"कबीर के दोहे": अवतरणों में अंतर
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गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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कस्तूरी कुंजल बसे, मृग ढूढै बन माहि । | कस्तूरी कुंजल बसे, मृग ढूढै बन माहि । | ||
ऐसे घट घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि | ऐसे घट घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि ॥ | ||
कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय । | कामी, क्रोधी, लालची, इनसे भक्ति न होय । | ||
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काल करै सो आज कर, आज करै सो अब । | काल करै सो आज कर, आज करै सो अब । | ||
पल में प्रलय होयगी, बहुरि करेगौ कब | पल में प्रलय होयगी, बहुरि करेगौ कब ॥ | ||
कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय। | कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय। | ||
ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ | ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय॥ | ||
करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय। | करता था सो क्यों किया, अब करि क्यों पछताय। | ||
बोवे पेड बबूल का, आम कहां से | बोवे पेड बबूल का, आम कहां से खाय॥ | ||
कर बहियां बल आपनी, छोड़ बीरानी आस। | कर बहियां बल आपनी, छोड़ बीरानी आस। | ||
जाके आंगन नदि बहे, सो कस मरत | जाके आंगन नदि बहे, सो कस मरत प्यास॥ | ||
कथनी कथी तो क्या भया जो करनी ना ठहराइ । | कथनी कथी तो क्या भया जो करनी ना ठहराइ । | ||
कालबूत के कोट ज्यूं देखत ही ढहि | कालबूत के कोट ज्यूं देखत ही ढहि जाइ॥ | ||
कबिरा गरब न कीजिये, कबहूं न हंसिये कोय। | कबिरा गरब न कीजिये, कबहूं न हंसिये कोय। | ||
अबहूं नाव समुंद्र में, का जाने का | अबहूं नाव समुंद्र में, का जाने का होय॥ | ||
कबीरा गर्व ना किजीये, उंचा देख आवास । | कबीरा गर्व ना किजीये, उंचा देख आवास । | ||
काल परौ भुइं लेटना, उपर जमसी घास | काल परौ भुइं लेटना, उपर जमसी घास ॥ | ||
कबीरा खड़ा बजार में, सब की चाहे खैर । | कबीरा खड़ा बजार में, सब की चाहे खैर । | ||
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर | ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर ॥ | ||
कबीरा सोई पीर हैं, जो जाने पर पीर। | कबीरा सोई पीर हैं, जो जाने पर पीर। | ||
जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर | जो पर पीर न जानई, सो काफिर बेपीर ॥ | ||
कबीर माला काठ की, कहि समझावै तोहि। | कबीर माला काठ की, कहि समझावै तोहि। | ||
मन न फिरावै आपणा, कहा फिरावै | मन न फिरावै आपणा, कहा फिरावै मोहि॥ | ||
कबीर तूं काहै डरै, सिर पर हरि का हाथ। | कबीर तूं काहै डरै, सिर पर हरि का हाथ। | ||
हस्ती चढि नहि डोलिये, कुकर भूखे | हस्ती चढि नहि डोलिये, कुकर भूखे साथ॥ | ||
कबीर घोड़ा प्रेम का, चेतनि चढ़ि असवार। | कबीर घोड़ा प्रेम का, चेतनि चढ़ि असवार। | ||
ग्यान षड्ग गहि, काल सिरि, भली मचाई | ग्यान षड्ग गहि, काल सिरि, भली मचाई मार॥ | ||
कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और । | कबीरा ते नर अँध है, गुरु को कहते और । | ||
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कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान । | कबीरा सोया क्या करे, उठि न भजे भगवान । | ||
जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ | जम जब घर ले जायेंगे, पड़ी रहेगी म्यान ॥ | ||
सूरा के मैदान में, कायर का क्या काम । | सूरा के मैदान में, कायर का क्या काम । | ||
कायर भागे पीठ दे, सूरा करे संग्राम | कायर भागे पीठ दे, सूरा करे संग्राम ॥ | ||
सतनाम जाने बिना, हंस लोक नहिं जाए। | सतनाम जाने बिना, हंस लोक नहिं जाए। | ||
ज्ञानी पंडित सूरमा, कर कर मुये | ज्ञानी पंडित सूरमा, कर कर मुये उपाय॥ | ||
सुख मे सुमिरन ना किया, दुख में करते याद । | सुख मे सुमिरन ना किया, दुख में करते याद । | ||
पंक्ति 61: | पंक्ति 60: | ||
साई इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय। | साई इतना दीजिए जामें कुटुंब समाय। | ||
मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा | मैं भी भूखा ना रहूं साधु न भूखा जाय॥ | ||
सुमिरन करहु राम का, काल गहै है केस। | सुमिरन करहु राम का, काल गहै है केस। | ||
न जानो कब मारिहै, का घर का | न जानो कब मारिहै, का घर का परदेस॥ | ||
सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप । | सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप । | ||
जाके हिरदय सांच हें, वाके हिरदय आप | जाके हिरदय सांच हें, वाके हिरदय आप ॥ | ||
सहज सहज सब कोऊ कहै, सहज न चीन्है कोइ। | सहज सहज सब कोऊ कहै, सहज न चीन्है कोइ। | ||
पंक्ति 73: | पंक्ति 72: | ||
सुखिया सब संसार है खावै और सोवै। | सुखिया सब संसार है खावै और सोवै। | ||
दुखिया दास कबीर है जागै अरू | दुखिया दास कबीर है जागै अरू रोवै॥ | ||
सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ। | सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनराइ। | ||
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साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय। | साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय। | ||
आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥ | आगे पाछे हरी खड़े जब माँगे तब देय॥ | ||
जो तोको कांटा बुवै, ताहि बोओ तू फूल। | जो तोको कांटा बुवै, ताहि बोओ तू फूल। | ||
ताहि फूल को फूल हैं, वाको हैं | ताहि फूल को फूल हैं, वाको हैं तिरसूल॥ | ||
जो जल बाढ़े नांव में, घर में बाढ़े दाम। | जो जल बाढ़े नांव में, घर में बाढ़े दाम। | ||
दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो | दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो काम॥ | ||
जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ। | जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ। | ||
मैं बौरी बन डरी, रही किनारे | मैं बौरी बन डरी, रही किनारे बैठ॥ | ||
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए | जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान॥ | ||
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो | मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥ | ||
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । | जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । | ||
पंक्ति 107: | पंक्ति 105: | ||
जब में था हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। | जब में था हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। | ||
सब अंधियारा मिटी गया, जब दीपक देख्या माहिं | सब अंधियारा मिटी गया, जब दीपक देख्या माहिं ॥ | ||
जब तूं आया जगत में, लोग हसें तू रोए। | जब तूं आया जगत में, लोग हसें तू रोए। | ||
एसी करनी ना करी, पाछे हसें सब कोए | एसी करनी ना करी, पाछे हसें सब कोए ॥ | ||
ज्यों नैनों में पुतली, त्यों मालिक घट माहिं। | ज्यों नैनों में पुतली, त्यों मालिक घट माहिं। | ||
मूरख लोग ना जानहीं, बाहिर ढ़ूंढ़न जाहिं | मूरख लोग ना जानहीं, बाहिर ढ़ूंढ़न जाहिं ॥ | ||
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंड़ित भया न कोय। | पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंड़ित भया न कोय। | ||
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंड़ित | ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंड़ित होय॥ | ||
पूरब दिसा हरि को बासा, पश्चिम अलह मुकामा। | पूरब दिसा हरि को बासा, पश्चिम अलह मुकामा। | ||
दिल महं खोजु, दिलहि में खोजो यही करीमा | दिल महं खोजु, दिलहि में खोजो यही करीमा रामा॥ | ||
पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । | पाँच पहर धन्धे गया, तीन पहर गया सोय । | ||
पंक्ति 126: | पंक्ति 123: | ||
पाहन पूजै हरि मिले, तो मैं पूजूं पहार। | पाहन पूजै हरि मिले, तो मैं पूजूं पहार। | ||
ताते यह चाकी भली, पीस खाए संसार | ताते यह चाकी भली, पीस खाए संसार ॥ | ||
चलती चक्की देखि कै, दिया कबीरा रोय। | चलती चक्की देखि कै, दिया कबीरा रोय। | ||
पंक्ति 133: | पंक्ति 129: | ||
चारिउं वेदि पठाहि, हरि सूं न लाया हेत। | चारिउं वेदि पठाहि, हरि सूं न लाया हेत। | ||
बालि कबीरा ले गया, पंडित ढूंढे | बालि कबीरा ले गया, पंडित ढूंढे खेत॥ | ||
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। | ||
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥ | जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह॥ | ||
माली आवत देख कै कलियन करी पुकार। | माली आवत देख कै कलियन करी पुकार। | ||
फूली फूली चुन लिए, काल्हि हमारी | फूली फूली चुन लिए, काल्हि हमारी बार॥ | ||
माया मुई न मन मुवा, मरि मरि गया सरीर। | माया मुई न मन मुवा, मरि मरि गया सरीर। | ||
आशा त्रिष्णा ना मुई, यौ कह गया | आशा त्रिष्णा ना मुई, यौ कह गया कबीर॥ | ||
माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि ईवै पडंत। | माया दीपक नर पतंग, भ्रमि भ्रमि ईवै पडंत। | ||
पंक्ति 156: | पंक्ति 151: | ||
माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय । | माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय । | ||
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥ | एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय ॥ | ||
एक राम दशरथ का प्यारा, एक राम का सकल पसारा। | एक राम दशरथ का प्यारा, एक राम का सकल पसारा। | ||
एक राम घट घट में छा रहा, एक राम दुनिया से | एक राम घट घट में छा रहा, एक राम दुनिया से न्यारा॥ | ||
एकै साध सब सधै, सब साधे सब जाय । | एकै साध सब सधै, सब साधे सब जाय । | ||
जो तू सींचे मूल को, फूले फल अघाय | जो तू सींचे मूल को, फूले फल अघाय ॥ | ||
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोइ। | ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोइ। | ||
आपन को सीतल करे, और हु सीतल | आपन को सीतल करे, और हु सीतल होइ॥ | ||
धरती सब कागद करूं, लेखनी सब बनराय। | धरती सब कागद करूं, लेखनी सब बनराय। | ||
साह सुमुंद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न | साह सुमुंद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाय़॥ | ||
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । | धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय । | ||
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ | माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ॥ | ||
रज गुन ब्रह्मा तम गुन संकर सत्त गुन हरि सोई। | रज गुन ब्रह्मा तम गुन संकर सत्त गुन हरि सोई। | ||
कहै कबीर राम रमि रहिये हिन्दू तुरक न | कहै कबीर राम रमि रहिये हिन्दू तुरक न कोई॥ | ||
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । | रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय । | ||
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥ | हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥ | ||
लाली मेरे लाल की जित देखों तित लाल। | लाली मेरे लाल की जित देखों तित लाल। | ||
लाली देखन मैं चली, हो गई लाल | लाली देखन मैं चली, हो गई लाल गुलाल॥ | ||
लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट । | लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट । | ||
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥ | पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥ | ||
ऊंचे कुल का जनमिया, जे करणी ऊंच होइ। | ऊंचे कुल का जनमिया, जे करणी ऊंच होइ। | ||
सुबण कलस सुरा भरा, साधू निन्दै | सुबण कलस सुरा भरा, साधू निन्दै सोइ॥ | ||
उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास। | उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास। | ||
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥ | तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥ | ||
गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। | गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय। | ||
बलिहारी गुरु आपनै, गोबिंद दियो | बलिहारी गुरु आपनै, गोबिंद दियो मिलाय॥ | ||
हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय। | हीरा पड़ा बाज़ार में, रहा छार लपटाय। | ||
बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय॥ | बहुतक मूरख चलि गए, पारख लिया उठाय॥ | ||
तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय । | तिनका कबहुँ ना निंदये, जो पाँव तले होय । | ||
कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ | कबहुँ उड़ आँखो पड़े, पीर घानेरी होय ॥ | ||
बुरा जो देखन मैं चल्या, बुरा न मिलिया कोय। | बुरा जो देखन मैं चल्या, बुरा न मिलिया कोय। | ||
जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय | जो दिल खोजा आपना, मुझसा बुरा न कोय ॥ | ||
बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। | बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। | ||
पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥ | पंथी को छाया नही फल लागे अति दूर ॥ | ||
दोष पराए देख कर चल्या हंसत हंसत । | दोष पराए देख कर चल्या हंसत हंसत । | ||
अपनै चीति न आबई जाको आदि न अंत | अपनै चीति न आबई जाको आदि न अंत ॥ | ||
दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। | दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय। | ||
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥</poem> | जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥</poem> | ||
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13:42, 23 नवम्बर 2011 का अवतरण

कस्तूरी कुंजल बसे, मृग ढूढै बन माहि । |
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