"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[महाभारत]] [[हिन्दू धर्म]] के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक [[ग्रंथ]] है। हालाँकि इसे [[साहित्य]] की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या एक लाख हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को लौहयुग से जोड़ते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|100px|कृष्ण तथा अर्जुन]][[महाभारत]] [[हिन्दू धर्म]] के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है। यह विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक [[ग्रंथ]] है। हालाँकि इसे [[साहित्य]] की सबसे अनुपम कॄतियों में से एक माना जाता है, किन्तु आज भी यह प्रत्येक भारतीय के लिये एक अनुकरणीय स्रोत है। यह कृति [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के इतिहास की एक गाथा है। पूरे [[महाभारत]] में [[श्लोक|श्लोकों]] की संख्या एक लाख हैं। विद्वानों में महाभारत काल को लेकर विभिन्न मत हैं, फिर भी अधिकतर विद्वान महाभारत काल को लौहयुग से जोड़ते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{[[कुन्ती]] पुत्र [[अर्जुन]] के पोते का नाम क्या था? | {[[कुन्ती]] पुत्र [[अर्जुन]] के पोते का नाम क्या था? | ||
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||[[महाभारत]] की मूल अभिकल्पना में अठारह की संख्या का विशिष्ट योग है। [[कौरव]] और [[पाण्डव]] पक्षों के मध्य हुए युद्ध की अवधि अठारह दिन थी। दोनों पक्षों की सेनाओं का सम्मिलित संख्या-बल भी अठारह अक्षौहिणी था। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी अठारह हैं। महाभारत की प्रबन्ध योजना में सम्पूर्ण [[ग्रन्थ]] को अठारह पर्वों में विभक्त किया गया है और महाभारत में [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]] के अन्तर्गत वर्णित श्रीमद्भगवद गीता में भी अठारह अध्याय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|100px|अर्जुन को गीता का ज्ञान]][[महाभारत]] की मूल अभिकल्पना में अठारह की संख्या का विशिष्ट योग है। [[कौरव]] और [[पाण्डव]] पक्षों के मध्य हुए युद्ध की अवधि अठारह दिन थी। दोनों पक्षों की सेनाओं का सम्मिलित संख्या-बल भी अठारह अक्षौहिणी था। इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी अठारह हैं। महाभारत की प्रबन्ध योजना में सम्पूर्ण [[ग्रन्थ]] को अठारह पर्वों में विभक्त किया गया है और महाभारत में [[भीष्म पर्व महाभारत|भीष्म पर्व]] के अन्तर्गत वर्णित श्रीमद्भगवद गीता में भी अठारह अध्याय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{[[हरिवंश पुराण]] में कितने पर्व हैं? | {[[हरिवंश पुराण]] में कितने पर्व हैं? | ||
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||लक्षश्लोकात्मक [[महाभारत]] की सम्पूर्ति के लिए अठारह पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 [[श्लोक]] हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है। सन्तान-प्राप्ति के लिए हरिवंश पुराण का श्रवण लाभदायक माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Puran-1.png|right|100px|पुराण]]लक्षश्लोकात्मक [[महाभारत]] की सम्पूर्ति के लिए अठारह पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 [[श्लोक]] हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है। सन्तान-प्राप्ति के लिए हरिवंश पुराण का श्रवण लाभदायक माना गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{विचित्रवीर्य की माता का नाम क्या था? | {विचित्रवीर्य की माता का नाम क्या था? | ||
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-[[द्रोणाचार्य]] | -[[द्रोणाचार्य]] | ||
-[[शल्य]] | -[[शल्य]] | ||
||[[श्रीकृष्ण]] द्वारा समझाये जाने पर [[अर्जुन]] रथारूढ़ होकर युद्ध में प्रवृत्त हुए। उन्होंने शंखध्वनि की। [[दुर्योधन]] की सेना में सबसे पहले पितामह [[भीष्म]] सेनापति हुए। पाण्डवों के सेनापति [[शिखण्डी]] थे। इन दोनों में भारी युद्ध छिड़ गया। भीष्म सहित [[कौरव]] पक्ष के योद्धा उस युद्ध में पाण्डव-पक्ष के सैनिकों पर प्रहार करने लगे और शिखण्डी आदि पाण्डव-पक्ष के वीर कौरव-सैनिकों को अपने [[बाण अस्त्र|बाणों]] का निशाना बनाने लगे। कौरव और [[पाण्डव]] सेना का वह युद्ध [[देवासुर संग्राम]] के समान जान पड़ता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|भीष्म द्वारा कृष्ण की प्रतिज्ञा भंग]][[श्रीकृष्ण]] द्वारा समझाये जाने पर [[अर्जुन]] रथारूढ़ होकर युद्ध में प्रवृत्त हुए। उन्होंने शंखध्वनि की। [[दुर्योधन]] की सेना में सबसे पहले पितामह [[भीष्म]] सेनापति हुए। पाण्डवों के सेनापति [[शिखण्डी]] थे। इन दोनों में भारी युद्ध छिड़ गया। भीष्म सहित [[कौरव]] पक्ष के योद्धा उस युद्ध में पाण्डव-पक्ष के सैनिकों पर प्रहार करने लगे और शिखण्डी आदि पाण्डव-पक्ष के वीर कौरव-सैनिकों को अपने [[बाण अस्त्र|बाणों]] का निशाना बनाने लगे। कौरव और [[पाण्डव]] सेना का वह युद्ध [[देवासुर संग्राम]] के समान जान पड़ता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीष्म]] | ||
{[[द्रौपदी]] के भाई [[धृष्टद्युम्न]] का वध किसने किया? | {[[द्रौपदी]] के भाई [[धृष्टद्युम्न]] का वध किसने किया? | ||
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||[[महाभारत]] में राज्य के स्वरूप में सात अंग निहित हैं। ये इस प्रकार हैं:- 'राजा', '[[अमात्य]]', 'कोष', 'दण्ड', 'मित्र', 'जनपद' तथा 'पुर'। इनको महाभारत में नाम भेद से जहाँ-तहाँ अनेक बार स्मरण किया गया है। शांतिपर्व में राजा के कर्त्तव्यों का उल्लेख करते हुए [[भीष्म]] ने कहा है कि राजा को उचित है कि वह सात वस्तुओं की अवश्य रक्षा करे। ये हैं- राजा का अपना शरीर, मंत्री, कोष, दण्ड, मित्र, राष्ट्र और नगर। राजा को इन सात का प्रयत्नपूर्वक पालन करना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpgअर्जुन को गीता का ज्ञान देना]][[महाभारत]] में राज्य के स्वरूप में सात अंग निहित हैं। ये इस प्रकार हैं:- 'राजा', '[[अमात्य]]', 'कोष', 'दण्ड', 'मित्र', 'जनपद' तथा 'पुर'। इनको महाभारत में नाम भेद से जहाँ-तहाँ अनेक बार स्मरण किया गया है। शांतिपर्व में राजा के कर्त्तव्यों का उल्लेख करते हुए [[भीष्म]] ने कहा है कि राजा को उचित है कि वह सात वस्तुओं की अवश्य रक्षा करे। ये हैं- राजा का अपना शरीर, मंत्री, कोष, दण्ड, मित्र, राष्ट्र और नगर। राजा को इन सात का प्रयत्नपूर्वक पालन करना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||
{[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था? | {[[धृतराष्ट्र]] के दामाद का क्या नाम था? | ||
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-[[भूरिश्रवा]] | -[[भूरिश्रवा]] | ||
-[[शाल्व|शाल्वराज]] | -[[शाल्व|शाल्वराज]] | ||
||[[महाभारत]] में [[जयद्रथ]] [[सिंधु]] प्रदेश का राजा था। जयद्रथ का [[विवाह]] कौरवों की एकमात्र बहन 'दुशाला' से हुआ था। जयद्रथ 'वृद्धक्षत्र' का पुत्र था। वृद्धक्षत्र के यहाँ जयद्रथ का जन्म देर से हुआ था। [[पिता]] द्वारा जयद्रथ को यह वरदान प्राप्त था कि उसका वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा। साथ ही यह वरदान भी प्राप्त था कि जो भी जयद्रथ को मारेगा और जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, उसके सिर के हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयद्रथ]] | ||[[चित्र:Jaydrath-vadh.jpg|right|100px|जयद्रथ का वध]][[महाभारत]] में [[जयद्रथ]] [[सिंधु]] प्रदेश का राजा था। जयद्रथ का [[विवाह]] कौरवों की एकमात्र बहन 'दुशाला' से हुआ था। जयद्रथ 'वृद्धक्षत्र' का पुत्र था। वृद्धक्षत्र के यहाँ जयद्रथ का जन्म देर से हुआ था। [[पिता]] द्वारा जयद्रथ को यह वरदान प्राप्त था कि उसका वध कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर पायेगा। साथ ही यह वरदान भी प्राप्त था कि जो भी जयद्रथ को मारेगा और जयद्रथ का सिर ज़मीन पर गिरायेगा, उसके सिर के हज़ारों टुकड़े हो जायेंगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयद्रथ]] | ||
{[[अम्बा]] किस राज्य की राजकुमारी थी? | {[[अम्बा]] किस राज्य की राजकुमारी थी? | ||
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-[[शाल्व राज्य|शाल्व]] | -[[शाल्व राज्य|शाल्व]] | ||
-[[विराट नगर|विराट]] | -[[विराट नगर|विराट]] | ||
||काशीराज '[[इंद्रद्युम्न]]' की तीन कन्याओं में ज्येष्ठ कन्या [[अम्बा]] थी। [[भीष्म]] ने अपने दो छोटे भाईयों- 'विचित्रवीर्य' और 'चित्रांगद' के [[विवाह]] के लिए काशीराज की पुत्रियों का अपहरण किया था। भीष्म के पराक्रम के कारण अम्बा उन पर मुग्ध थी और उनसे विवाह करना चाहती थीं। किन्तु भीष्म आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा कर चुके थे, अत: यह विवाह सम्पन्न न हो सका। इस अपहरण की घटना के पूर्व अम्बा का विवाह [[शाल्व]] के साथ होना निश्चित हो चुका था, परन्तु इस घटना के कारण उन्होंने भी अम्बा से विवाह करना अस्वीकार कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अम्बा]] | ||[[चित्र:Vishwanath-Temple-Varanasi.jpg|right|100px|विश्वनाथ मन्दिर, काशी]]काशीराज '[[इंद्रद्युम्न]]' की तीन कन्याओं में ज्येष्ठ कन्या [[अम्बा]] थी। [[भीष्म]] ने अपने दो छोटे भाईयों- 'विचित्रवीर्य' और 'चित्रांगद' के [[विवाह]] के लिए काशीराज की पुत्रियों का अपहरण किया था। भीष्म के पराक्रम के कारण अम्बा उन पर मुग्ध थी और उनसे विवाह करना चाहती थीं। किन्तु भीष्म आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा कर चुके थे, अत: यह विवाह सम्पन्न न हो सका। इस अपहरण की घटना के पूर्व अम्बा का विवाह [[शाल्व]] के साथ होना निश्चित हो चुका था, परन्तु इस घटना के कारण उन्होंने भी अम्बा से विवाह करना अस्वीकार कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अम्बा]] | ||
{वीर [[बर्बरीक]] किसके पुत्र थे? | {वीर [[बर्बरीक]] किसके पुत्र थे? |
13:40, 2 फ़रवरी 2012 का अवतरण
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