"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर

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||देवी [[शकुंतला]] के धर्मपिता के रूप में महर्षि [[कण्व ऋषि|कण्व]] की अत्यन्त प्रसिद्धि है। महाकवि [[कालिदास]] ने अपने '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में महर्षि के तपोवन, उनके आश्रम-प्रदेश तथा उनका जो धर्माचारपरायण उज्ज्वल एवं उदात्त चरित प्रस्तुत किया है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं होता। उनके मुख से एक भारतीय कथा के लिये [[विवाह]] के समय जो शिक्षा निकली है, वह उत्तम गृहिणी का आदर्श बन गयी। [[वेद]] में ये बातें तो वर्णित नहीं हैं, पर इनके उत्तम ज्ञान, तपस्या, मन्त्रज्ञान, अध्यात्मशक्ति आदि का आभास प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कण्व ऋषि|कण्व]]
||देवी [[शकुंतला]] के धर्मपिता के रूप में महर्षि [[कण्व ऋषि|कण्व]] की अत्यन्त प्रसिद्धि है। महाकवि [[कालिदास]] ने अपने '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में महर्षि के तपोवन, उनके आश्रम-प्रदेश तथा उनका जो धर्माचारपरायण उज्ज्वल एवं उदात्त चरित प्रस्तुत किया है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं होता। उनके मुख से एक भारतीय कथा के लिये [[विवाह]] के समय जो शिक्षा निकली है, वह उत्तम गृहिणी का आदर्श बन गयी। [[वेद]] में ये बातें तो वर्णित नहीं हैं, पर इनके उत्तम ज्ञान, तपस्या, मन्त्रज्ञान, अध्यात्मशक्ति आदि का आभास प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कण्व ऋषि|कण्व]]


{[[द्रोणाचार्य]] की पत्नी का नाम क्या था?
{निम्नलिखित में से कौन [[द्रोणाचार्य]] की पत्नी थीं?
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-[[दमयंती]]
-[[दमयंती]]
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-[[देवयानी]]
-[[देवयानी]]
||[[चित्र:Dronacharya.jpg|right|100px|द्रोणाचार्य वध]][[द्रोणाचार्य]] [[भारद्वाज|भारद्वाज मुनि]] के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने [[पिता]] भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों [[वेद|वेदों]] तथा [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्रों]] के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म [[उत्तरांचल]] की राजधानी [[देहरादून]] में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे। द्रोणाचार्य का [[विवाह]] [[कृपाचार्य]] की बहिन 'कृपि' के साथ हुआ था, जिससे इन्हें पुत्ररत्न के रूप में [[अश्वत्थामा]] नामक एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]]
||[[चित्र:Dronacharya.jpg|right|100px|द्रोणाचार्य वध]][[द्रोणाचार्य]] [[भारद्वाज|भारद्वाज मुनि]] के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने [[पिता]] भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों [[वेद|वेदों]] तथा [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्रों]] के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म [[उत्तरांचल]] की राजधानी [[देहरादून]] में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे। द्रोणाचार्य का [[विवाह]] [[कृपाचार्य]] की बहिन 'कृपि' के साथ हुआ था, जिससे इन्हें पुत्ररत्न के रूप में [[अश्वत्थामा]] नामक एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]]
{महर्षि [[भृगु]] की पत्नी का नाम क्या था?
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+पुलोमा
-[[अनुसूया]]
-[[दिति]]
-[[अरुन्धती]]


{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे?
{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे?
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-[[जन्मेजय]]
-[[जन्मेजय]]
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण तथा अर्जुन]][[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह 'शोणितपुर' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]]
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|100px|श्रीकृष्ण तथा अर्जुन]][[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह 'शोणितपुर' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]]
{महर्षि [[भृगु]] की पत्नी का नाम क्या था?
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+पुलोमा
-[[अनुसूया]]
-[[दिति]]
-[[अरुन्धती]]


{निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे?
{निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे?

12:26, 5 फ़रवरी 2012 का अवतरण

महाभारत सामान्य ज्ञान

1 हरिद्वार में 2 मील दूर, गंगा नदी और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है?

अनूपक
काम्यकवन
बैराट
कनखल

2 शकुंतला के पोषक पिता का नाम क्या था?

कण्व
भृगु
कर्दम
गौतम

3 निम्नलिखित में से कौन द्रोणाचार्य की पत्नी थीं?

दमयंती
रेणुका
कृपि
देवयानी

4 निम्नलिखित में से कौन बृहस्पति के बड़े पुत्र थे?

अधिरथ
कच
अचल
भूरिश्रवा

5 श्रीकृष्ण के रुक्मणी से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?

भूरिश्रवा
प्रद्युम्न
उग्रसेन
जन्मेजय

6 महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था?

पुलोमा
अनुसूया
दिति
अरुन्धती

7 निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे?

चित्ररथ
शशबिन्दु
कंस
देवक

8 सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था?

आर्यावर्त
ब्रह्मावर्त
पंचनद क्षेत्र
अच्युतस्थल

9 निम्नलिखित में से द्रोणाचार्य के पिता कौन थे?

अंगिरा
अगस्त्य
भारद्वाज
कश्यप

10 हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं। इन पर्वों में कुल कितने अध्याय हैं?

321
311
318

11 वभ्रुवाहन किसका पुत्र था?

भीम
युधिष्ठिर
अर्जुन
नकुल

12 कुरुक्षेत्र में किस स्थान पर कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया?

इझुला
ज्योतीसर
करुष
अपरसेक

13 दुर्योधन कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था?

11 अक्षौहिणी
10 अक्षौहिणी
9 अक्षौहिणी
7 अक्षौहिणी

14 निम्नलिखित में किस स्थान को 'ब्रह्मा की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है?

आदित्य तीर्थ
अश्वतीर्थ
कुरुक्षेत्र
इन्द्रप्रस्थ