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| |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 12 मई 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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| [[चित्र:Pyaz-01.jpg|right|border|110px|link=भारतकोश सम्पादकीय 12 मई 2012]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 12 मई 2012|काम की खुन्दक]]
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| "प्याज़ खाने में क्या है कितनी भी खा जाओ। आप लोग तो बिना बात प्याज़ का हौव्वा बना रहे हैं।" छोटे ने खुन्दक में कहा।
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| "अच्छा ! तो तू कितनी खा जाएगा ?" पंडित जी बोले
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| "मैं... मेरा क्या है मैं तो सौ भी खा जाऊँगा"
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| "क्या ? सौ प्याज़ ?..." [[भारतकोश सम्पादकीय 12 मई 2012|पूरा पढ़ें]]
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 5 मई 2012|बस एक चान्स !]] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 28 अप्रॅल 2012|मैं तो एक भूत हूँ]]
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| |}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
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