"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
-मध्य केन्द्र | -मध्य केन्द्र | ||
-आरम्भ केन्द्र | -आरम्भ केन्द्र | ||
{उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात की प्रचंडता का अनुभव [[भारत]] में सर्वाधिक किस क्षेत्र में होता है?(भूगोल, पृष्ठ 104, प्रश्न 22) | |||
|type="()"} | |||
+[[बंगाल की खाड़ी]] | |||
-[[अरब सागर]] | |||
-[[हिमालय पर्वत]] | |||
-[[हिन्द महासागर]] | |||
||[[चित्र:Bay-Of-Bengal.jpg|right|120px|बंगाल की खाड़ी]]'बंगाल की खाड़ी', जो कि विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी मानी जाती है, [[हिन्द महासागर]] का उत्तर पूर्वी भाग है। इस खाड़ी का नाम भारतीय राज्य [[पश्चिम बंगाल]] के नाम पर रखा गया है। यह खाड़ी आकार में त्रिभुजाकार है। [[बंगाल की खाड़ी]] के उत्तर में [[बांग्लादेश]] और पश्चिम बंगाल, पूर्व में [[म्यांमार]] और [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] और पश्चिम में [[भारत]] और [[श्रीलंका]] स्थित हैं।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[बंगाल की खाड़ी]] | |||
{[[ज्वालामुखी]] से लावा के अतिरिक्त शैलों तथा [[खनिज|खनिजों]] के टुकड़े बाहर आते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?(भूगोल, पृष्ठ 29, प्रश्न 13) | {[[ज्वालामुखी]] से लावा के अतिरिक्त शैलों तथा [[खनिज|खनिजों]] के टुकड़े बाहर आते हैं, उन्हें क्या कहते हैं?(भूगोल, पृष्ठ 29, प्रश्न 13) | ||
पंक्ति 28: | पंक्ति 36: | ||
-चट्टानी टुकड़े | -चट्टानी टुकड़े | ||
{ | {'कैगा परमाणु ऊर्जा केन्द्र' किस राज्य में है?(भूगोल, पृष्ठ 448, प्रश्न 33) | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[राजस्थान]] | ||
-[[ | -[[उत्तर प्रदेश]] | ||
-[[ | -[[गुजरात]] | ||
+[[ | +[[कर्नाटक]] | ||
||[[चित्र: | ||[[चित्र:Shivanasamudra-Falls.jpg|right|100px|शिवनासमुद्र झरना, कर्नाटक]]'कर्नाटक' के कुछ स्थानों में उच्च [[खनिज]] भंडार वाली पूर्व कैंब्रियन युग की चट्टानें हैं, जो कम से कम 57 करोड़ वर्ष पुरानी हैं। [[कर्नाटक]] [[भारत]] में [[क्रोमाइट]] का सबसे बड़ा उत्पादन कर्ता है। यह देश में [[मैग्नेसाइट]] उत्पादक दो राज्यों में से एक है, जबकि दूसरा राज्य [[तमिलनाडु]] है। उच्च गुणवत्ता वाले [[लौह अयस्क]] के भंडार मुख्यत: चिकमगलूर और [[चित्रदुर्ग ज़िला|चित्रदुर्ग]] ज़िलों में हैं। अल्प मात्रा में [[अभ्रक]], [[ताम्र|ताम्र अयस्क]], [[बॉक्साइट]], रक्तमणि का भी खनन यहाँ होता है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[कर्नाटक]] | ||
{वे क्रिस्टल जो केवल [[माइक्रोस्कोप]] की सहायता से देखे जाते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है?(भूगोल, पृष्ठ 44, प्रश्न 02) | {वे क्रिस्टल जो केवल [[माइक्रोस्कोप]] की सहायता से देखे जाते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है?(भूगोल, पृष्ठ 44, प्रश्न 02) | ||
पंक्ति 42: | पंक्ति 50: | ||
-मैफ़िक | -मैफ़िक | ||
-फ़ेल्सिक | -फ़ेल्सिक | ||
{निम्न में से कौन-सा [[सागर|महासागर]] प्रतिवर्ष छोटा होता जा रहा है?(भूगोल, पृष्ठ 36, प्रश्न 08) | |||
|type="()"} | |||
-अटलांटिक महासागर | |||
-[[हिन्द महासागर]] | |||
-[[अरब सागर]] | |||
+[[प्रशांत महासागर]] | |||
||[[चित्र:Prashant-Mahasagar.JPG|right|120px|प्रशान्त महासागर]]'प्रशान्त महासागर' विश्व का सबसे बड़ा तथा सबसे गहरा [[समुद्र]] है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में [[पृथ्वी]] का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है। वैज्ञानिक अन्वेषकों तथा साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के अनेक प्रयत्न किए गए तथा अब भी इसका अध्ययन जारी है। इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात अंटार्कटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[प्रशांत महासागर]] | |||
{अब तक मिलने वाला सबसे बड़ा [[हीरा]] निम्न में से कौन-सा है?(भूगोल, पृष्ठ 45, प्रश्न 11) | {अब तक मिलने वाला सबसे बड़ा [[हीरा]] निम्न में से कौन-सा है?(भूगोल, पृष्ठ 45, प्रश्न 11) | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 65: | ||
-[[कोहिनूर हीरा|कोहिनूर]] | -[[कोहिनूर हीरा|कोहिनूर]] | ||
-कैरो | -कैरो | ||
{[[भारत]] की सर्वाधिक उपजाऊ [[मिट्टी]] कौन-सी है?(भूगोल, पृष्ठ 51, प्रश्न 04) | {[[भारत]] की सर्वाधिक उपजाऊ [[मिट्टी]] कौन-सी है?(भूगोल, पृष्ठ 51, प्रश्न 04) | ||
पंक्ति 64: | पंक्ति 73: | ||
-[[लैटेराइट मिट्टी]] | -[[लैटेराइट मिट्टी]] | ||
||'जलोढ़ मिट्टी' [[उत्तर भारत]] के पश्चिम में [[पंजाब]] से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए [[गंगा नदी]] के डेल्टा क्षेत्र तक फैली हुई है। इस प्रकार की मिट्टी [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र]], [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावरी]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]], [[कावेरी नदी|कावेरी]] आदि बड़ी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में ही मिलती है। [[जलोढ़ मिट्टी]] दलदली एवं नमकीन प्रकृति की होती है। इसके कण अत्यधिक बारीक होते हैं तथा इसमें पोटाश, चूना, फ़ॉस्फ़ोरस, [[मैग्नीशियम]] एवं जीवांशों की अधिक मात्रा समाहित रहती है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[जलोढ़ मिट्टी]] | ||'जलोढ़ मिट्टी' [[उत्तर भारत]] के पश्चिम में [[पंजाब]] से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए [[गंगा नदी]] के डेल्टा क्षेत्र तक फैली हुई है। इस प्रकार की मिट्टी [[गंगा]], [[ब्रह्मपुत्र]], [[महानदी]], [[गोदावरी नदी|गोदावरी]], [[कृष्णा नदी|कृष्णा]], [[कावेरी नदी|कावेरी]] आदि बड़ी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में ही मिलती है। [[जलोढ़ मिट्टी]] दलदली एवं नमकीन प्रकृति की होती है। इसके कण अत्यधिक बारीक होते हैं तथा इसमें पोटाश, चूना, फ़ॉस्फ़ोरस, [[मैग्नीशियम]] एवं जीवांशों की अधिक मात्रा समाहित रहती है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[जलोढ़ मिट्टी]] | ||
{सर्वप्रथम किस देश का मृदा वर्गीकरण सम्पूर्ण रूप से [[1938]] में प्रकाशित हुआ?(भूगोल, पृष्ठ 51, प्रश्न 01) | |||
|type="()"} | |||
-[[फ़्राँस]] | |||
+[[संयुक्त राज्य अमरीका]] | |||
-[[भारत]] | |||
-[[चीन]] | |||
{[[उत्तरी भारत]] में गर्मियों में चलने वाली गर्म पवन को क्या कहते हैं?(भूगोल, पृष्ठ 86, प्रश्न 07) | {[[उत्तरी भारत]] में गर्मियों में चलने वाली गर्म पवन को क्या कहते हैं?(भूगोल, पृष्ठ 86, प्रश्न 07) | ||
पंक्ति 87: | पंक्ति 103: | ||
+[[मक्का]] | +[[मक्का]] | ||
||[[चित्र:Maize.jpg|right|120px|मक्का]][[भारत]] में [[मक्का]] मुख्यतः [[उत्तर भारत]] में पैदा किया जाता है। ऊपरी [[गंगा]] की घाटी, उत्तर पूर्वी [[पंजाब]], दक्षिण-पश्चिम [[कश्मीर]], दक्षिण [[राजस्थान]] में यह उगाया जाता है। मक्का [[मई]] से [[जुलाई]] तक बोई जाती है और [[नवम्बर]] तक काट ली जाती है। अब मक्का की अनेक सुधरी हुई किस्में बोई जाने लगी हैं, जिनमें 'गंगा-101', 'गंगा-3', 'गंगा श्वेत-3', 'रणजीत', 'दक्कन-103', 'हिमालय-123', 'हाई स्टार्च', 'जवाहर', 'सोना', 'विजय बस्ती', 'विक्रम' और 'उदयपुर' आदि चयनित हैं।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[मक्का]] | ||[[चित्र:Maize.jpg|right|120px|मक्का]][[भारत]] में [[मक्का]] मुख्यतः [[उत्तर भारत]] में पैदा किया जाता है। ऊपरी [[गंगा]] की घाटी, उत्तर पूर्वी [[पंजाब]], दक्षिण-पश्चिम [[कश्मीर]], दक्षिण [[राजस्थान]] में यह उगाया जाता है। मक्का [[मई]] से [[जुलाई]] तक बोई जाती है और [[नवम्बर]] तक काट ली जाती है। अब मक्का की अनेक सुधरी हुई किस्में बोई जाने लगी हैं, जिनमें 'गंगा-101', 'गंगा-3', 'गंगा श्वेत-3', 'रणजीत', 'दक्कन-103', 'हिमालय-123', 'हाई स्टार्च', 'जवाहर', 'सोना', 'विजय बस्ती', 'विक्रम' और 'उदयपुर' आदि चयनित हैं।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[मक्का]] | ||
{'उकटा रोग' से किसकी फ़सल को नुकसान पहुँचता है?(भारतकोश) | {'उकटा रोग' से किसकी फ़सल को नुकसान पहुँचता है?(भारतकोश) | ||
पंक्ति 118: | पंक्ति 126: | ||
-तोरिया | -तोरिया | ||
||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|right|120px|रँगीन मूँगफली, गुजरात]][[भारत]] में [[मूँगफली]] को 'ग़रीबों का काजू' के नाम से भी जाना जाता है। सिकी हुई मूँगफली खाना भारत काफ़ी समय से प्रचलित है। इसे हम आमतौर पर 'टाइम पास' के नाम से भी जानते हैं। भारत में इसका उत्पादन [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[राजस्थान]] और [[तमिलनाडु]] राज्यों में [[काली मिट्टी]] और दक्षिण के [[पठार]] की [[लाल मिट्टी]] वाले क्षेत्रों में होता है। [[गंगा]] की कछारी बालू मिट्टी में भी यह बोयी जाती है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[मूँगफली]] | ||[[चित्र:Colourful-Peanut-Gujarat.jpg|right|120px|रँगीन मूँगफली, गुजरात]][[भारत]] में [[मूँगफली]] को 'ग़रीबों का काजू' के नाम से भी जाना जाता है। सिकी हुई मूँगफली खाना भारत काफ़ी समय से प्रचलित है। इसे हम आमतौर पर 'टाइम पास' के नाम से भी जानते हैं। भारत में इसका उत्पादन [[महाराष्ट्र]], [[कर्नाटक]], [[गुजरात]], [[मध्य प्रदेश]], [[राजस्थान]] और [[तमिलनाडु]] राज्यों में [[काली मिट्टी]] और दक्षिण के [[पठार]] की [[लाल मिट्टी]] वाले क्षेत्रों में होता है। [[गंगा]] की कछारी बालू मिट्टी में भी यह बोयी जाती है।{{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[मूँगफली]] | ||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
08:21, 5 जून 2012 का अवतरण
भूगोल सामान्य ज्ञान
|