"प्रयोग:गोविन्द3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) (पन्ने को खाली किया) |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
<poem> | |||
यूँ तो कुछ भी नया नहीं मेरे फ़साने में ! | |||
लुत्फ़ आता है तुझे, बारहा सुनाने में !! | |||
वो जो इक दूर से आवाज़़ आ रही थी कोई ! | |||
उसे तो वक़्त है, मेरे क़रीब आने में !! | |||
तुझे भुला न सकूँगा ये मेरी फ़ितरत है ! | |||
चैन मिलता है मुझे, ख़ुद को भूल जाने में !! | |||
सुन के आवाज़ अपने दिल के टूट जाने की ! | |||
मैं भी हैरान हूँ, इस क़िस्म के वीराने में !! | |||
ग़मे दौराँ की भी क़ीमत लगाई जाती है ! | |||
तन्हा जीने की भी इक, शर्त है ज़माने में !! | |||
कोई मक़्सद ही नहीं मुझको मिला जीने का ! | |||
एक लम्हा ही जीऊँ, जब हो मौत आने में !! | |||
ा</poem> |
14:13, 4 सितम्बर 2012 का अवतरण
यूँ तो कुछ भी नया नहीं मेरे फ़साने में !
लुत्फ़ आता है तुझे, बारहा सुनाने में !!
वो जो इक दूर से आवाज़़ आ रही थी कोई !
उसे तो वक़्त है, मेरे क़रीब आने में !!
तुझे भुला न सकूँगा ये मेरी फ़ितरत है !
चैन मिलता है मुझे, ख़ुद को भूल जाने में !!
सुन के आवाज़ अपने दिल के टूट जाने की !
मैं भी हैरान हूँ, इस क़िस्म के वीराने में !!
ग़मे दौराँ की भी क़ीमत लगाई जाती है !
तन्हा जीने की भी इक, शर्त है ज़माने में !!
कोई मक़्सद ही नहीं मुझको मिला जीने का !
एक लम्हा ही जीऊँ, जब हो मौत आने में !!
ा