"कन्याकुमारी": अवतरणों में अंतर
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यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], पश्चिम में [[अरब सागर]] एवं दक्षिण में [[हिंद महासागर]] है। यहां आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर मां [[भगवती देवी]] कुमारी के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है। यहां पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई होगी। अंग्रेजों ने इस स्थल को केप कोमोरिन कहा था। [[तिरुअनंतपुरम]] के बेहद निकट होने के कारण सामान्यत: समझा जाता है कि यह शहर [[केरल]] राज्य में स्थित है, लेकिन कन्याकुमारी वास्तव में तमिलनाडु राज्य का एक खास पर्यटन स्थल है। | यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], पश्चिम में [[अरब सागर]] एवं दक्षिण में [[हिंद महासागर]] है। यहां आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर मां [[भगवती देवी]] कुमारी के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है। यहां पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई होगी। अंग्रेजों ने इस स्थल को केप कोमोरिन कहा था। [[तिरुअनंतपुरम]] के बेहद निकट होने के कारण सामान्यत: समझा जाता है कि यह शहर [[केरल]] राज्य में स्थित है, लेकिन कन्याकुमारी वास्तव में तमिलनाडु राज्य का एक खास पर्यटन स्थल है। | ||
==स्वामी विवेकानंद का स्मृतिशेष== | |||
[[चित्र:Vivekananda-Rock-Memorial-kanyakumari.jpg|thumb|[[विवेकानन्द]] रॉक मेमोरियल, कन्याकुमारी<br />Vivekananda Rock Memorial, Kanyakumari]] | |||
समुद्र में उभरी दूसरी चट्टान पर दूर से ही एक मंडप नजर आता है। यह मंडप दरअसल [[विवेकानंद रॉक मेमोरियल]] है। 1892 में [[स्वामी विवेकानंद]] कन्याकुमारी आए थे। एक दिन वे तैर कर इस विशाल शिला पर पहुंच गए। इस निर्जन स्थान पर साधना के बाद उन्हें जीवन का लक्ष्य एवं लक्ष्य प्राप्ति हेतु मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। विवेकानंद के उस अनुभव का लाभ पूरे विश्व को हुआ, क्योंकि इसके कुछ समय बाद ही वे शिकागो सम्मेलन में भाग लेने गए थे। इस सम्मेलन में भाग लेकर उन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया था। उनके अमर संदेशों को साकार रूप देने के लिए 1970 में उस विशाल शिला पर एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया। | |||
==यहाँ आए थे चैतन्य महाप्रभु== | |||
माना जाता है कि [[चैतन्य महाप्रभु]] कुमारी अम्मन मंदिर में जलयात्रा पर्व पर आए थे। यहाँ मंदिर में पुरुषों को ऊपरी वस्त्र यानी शर्ट एवं बनियान उतार कर जाना होता है। सागर तट से कुछ दूरी पर मध्य में दो चट्टानें नजर आती हैं। दक्षिण पूर्व में स्थित इन चट्टानों में से एक चट्टान पर विशाल प्रतिमा पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। वह प्रतिमा प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की है। वह आधुनिक मूर्तिशिल्प 5000 शिल्पकारों की मेहनत से बन कर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 133 फुट है, जो कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ तिरुवकुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है। | |||
==शिल्प का संग्रहालय== | |||
तीन सागरों का संगम स्थल होने के कारण हमारी धरती का यह छोर एक पवित्र स्थान है। इसलिए राष्ट्रपिता [[महात्मा गांधी]] के अस्थि अवशेषों का एक अंश समुद्र संगम पर भी प्रवाहित किया गया था। समुद्र तट पर जिस जगह उनका अस्थि कलश लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था, वहां आज एक सुंदर स्मारक है, जिसे गांधी मंडप कहते हैं। मंडप में गांधी जी के संदेश एवं उनके जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं के चित्र प्रदर्शित हैं। स्मारक के गुंबद के नीचे वह स्थान एक पीठ के रूप में है, जहां कलश रखा गया था। यह शिल्प कौशल का कमाल है कि प्रतिवर्ष गांधी जी के जन्मदिवस दो अक्टूबर को दोपहर के समय छत के छिद्र से सूर्य की किरणें सीधी इस पीठ पर पड़ती हैं। गांधी मंडप के निकट ही मणि मंडप स्थित है। यह [[तमिलनाडु]] के भूतपूर्व मुख्यमंत्री [[कामराज]] का स्मारक है। ये दोनों स्मारक देखने के बाद हम राजकीय संग्रहालय देखने गए। बीच रोड पर स्थित इस संग्रहालय में दक्षिण भारत के मंदिरों के कई प्रकार के शिल्प तथा मूर्ति शिल्प आदि का संग्रह देखने को मिलता है। | |||
कन्याकुमारी का सेंट मेरी चर्च भी एक दर्शनीय स्थान है। इसकी ऊंची इमारत विवेकानंद मेमोरियल से आते हुए बोट से भी नजर आती है। | |||
==सामान्य जानकारी== | ==सामान्य जानकारी== | ||
यहां [[तमिल भाषा|तमिल]] एवं [[मलयालम भाषा]] बोली जाती है। लेकिन पर्यटन स्थल होने के कारण [[हिंदी]] एवं इंग्लिश जानने वाले लोग भी मिल जाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थल पैदल ही देखे जा सकते हैं। बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन बाजार और होटलों से अधिक दूर नहीं है। | यहां [[तमिल भाषा|तमिल]] एवं [[मलयालम भाषा]] बोली जाती है। लेकिन पर्यटन स्थल होने के कारण [[हिंदी भाषा|हिंदी]] एवं इंग्लिश जानने वाले लोग भी मिल जाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थल पैदल ही देखे जा सकते हैं। बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन बाजार और होटलों से अधिक दूर नहीं है। | ||
==कब जायें== | ==कब जायें== | ||
यह एक समुद्र तटीय शहर है इसलिए मानसून का | यह एक समुद्र तटीय शहर है इसलिए मानसून का यहाँ काफी प्रभाव रहता है। इसलिए जून मध्य से सितंबर मध्य यहां घूमने के लिए उपयुक्त नहीं है। शेष हर मौसम में यहां आ सकते है। | ||
==कैसे जायें== | ==कैसे जायें== | ||
'''रेल मार्ग-''' कन्याकुमारी रेल मार्ग द्वारा जम्मू, [[दिल्ली]], मुंबई, चेन्नई, मदुराई, तिरुअनंतपुरम, [[एरनाकुलम]] से जुड़ा है। दिल्ली से यह यात्रा 60 घंटे, जम्मूतवी से 74 घंटे, मुंबई से 48 घंटे एवं तिरुअनंतपुरम से ढाई घंटे की है। | '''रेल मार्ग-''' कन्याकुमारी रेल मार्ग द्वारा जम्मू, [[दिल्ली]], मुंबई, चेन्नई, मदुराई, तिरुअनंतपुरम, [[एरनाकुलम]] से जुड़ा है। दिल्ली से यह यात्रा 60 घंटे, जम्मूतवी से 74 घंटे, मुंबई से 48 घंटे एवं तिरुअनंतपुरम से ढाई घंटे की है। |
10:38, 6 जून 2010 का अवतरण
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Thiruvalluvar Statue, Kanyakumari
- कन्याकुमारी तमिलनाडु राज्य का एक शहर है। भारत के मस्तक पर मुकुट के समान सजे हिमालय के धवल शिखरों को निकट से देखने के बाद हर सैलानी के मन में भारतभूमि के अंतिम छोर को देखने की इच्छा भी उभरने लगती है।
- भारत भूमि के सबसे दक्षिण बिंदु पर स्थित कन्याकुमारी में केवल एक तीर्थस्थान है बल्कि देशी विदेशी सैलानियों का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। देश के मानचित्र के अंतिम छोर पर होने के कारण अधिकांश लोग इसे देख लेने की इच्छा रखते हैं।
अद्वितीय शहर
यह स्थान एक खाड़ी, एक सागर और एक महासागर का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर एवं दक्षिण में हिंद महासागर है। यहां आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के संगम की इस दिव्यभूमि पर मां भगवती देवी कुमारी के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को एलेक्जेंड्रिया ऑफ ईस्ट की उपमा से विदेशी सैलानियों ने नवाजा है। यहां पहुंच कर लगता है मानो पूर्व में सभ्यता की शुरुआत यहीं से हुई होगी। अंग्रेजों ने इस स्थल को केप कोमोरिन कहा था। तिरुअनंतपुरम के बेहद निकट होने के कारण सामान्यत: समझा जाता है कि यह शहर केरल राज्य में स्थित है, लेकिन कन्याकुमारी वास्तव में तमिलनाडु राज्य का एक खास पर्यटन स्थल है।
स्वामी विवेकानंद का स्मृतिशेष

Vivekananda Rock Memorial, Kanyakumari
समुद्र में उभरी दूसरी चट्टान पर दूर से ही एक मंडप नजर आता है। यह मंडप दरअसल विवेकानंद रॉक मेमोरियल है। 1892 में स्वामी विवेकानंद कन्याकुमारी आए थे। एक दिन वे तैर कर इस विशाल शिला पर पहुंच गए। इस निर्जन स्थान पर साधना के बाद उन्हें जीवन का लक्ष्य एवं लक्ष्य प्राप्ति हेतु मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। विवेकानंद के उस अनुभव का लाभ पूरे विश्व को हुआ, क्योंकि इसके कुछ समय बाद ही वे शिकागो सम्मेलन में भाग लेने गए थे। इस सम्मेलन में भाग लेकर उन्होंने भारत का नाम ऊंचा किया था। उनके अमर संदेशों को साकार रूप देने के लिए 1970 में उस विशाल शिला पर एक भव्य स्मृति भवन का निर्माण किया गया।
यहाँ आए थे चैतन्य महाप्रभु
माना जाता है कि चैतन्य महाप्रभु कुमारी अम्मन मंदिर में जलयात्रा पर्व पर आए थे। यहाँ मंदिर में पुरुषों को ऊपरी वस्त्र यानी शर्ट एवं बनियान उतार कर जाना होता है। सागर तट से कुछ दूरी पर मध्य में दो चट्टानें नजर आती हैं। दक्षिण पूर्व में स्थित इन चट्टानों में से एक चट्टान पर विशाल प्रतिमा पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती है। वह प्रतिमा प्रसिद्ध तमिल संत कवि तिरुवल्लुवर की है। वह आधुनिक मूर्तिशिल्प 5000 शिल्पकारों की मेहनत से बन कर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 133 फुट है, जो कि तिरुवल्लुवर द्वारा रचित काव्य ग्रंथ तिरुवकुरल के 133 अध्यायों का प्रतीक है।
शिल्प का संग्रहालय
तीन सागरों का संगम स्थल होने के कारण हमारी धरती का यह छोर एक पवित्र स्थान है। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अस्थि अवशेषों का एक अंश समुद्र संगम पर भी प्रवाहित किया गया था। समुद्र तट पर जिस जगह उनका अस्थि कलश लोगों के दर्शनार्थ रखा गया था, वहां आज एक सुंदर स्मारक है, जिसे गांधी मंडप कहते हैं। मंडप में गांधी जी के संदेश एवं उनके जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाओं के चित्र प्रदर्शित हैं। स्मारक के गुंबद के नीचे वह स्थान एक पीठ के रूप में है, जहां कलश रखा गया था। यह शिल्प कौशल का कमाल है कि प्रतिवर्ष गांधी जी के जन्मदिवस दो अक्टूबर को दोपहर के समय छत के छिद्र से सूर्य की किरणें सीधी इस पीठ पर पड़ती हैं। गांधी मंडप के निकट ही मणि मंडप स्थित है। यह तमिलनाडु के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कामराज का स्मारक है। ये दोनों स्मारक देखने के बाद हम राजकीय संग्रहालय देखने गए। बीच रोड पर स्थित इस संग्रहालय में दक्षिण भारत के मंदिरों के कई प्रकार के शिल्प तथा मूर्ति शिल्प आदि का संग्रह देखने को मिलता है। कन्याकुमारी का सेंट मेरी चर्च भी एक दर्शनीय स्थान है। इसकी ऊंची इमारत विवेकानंद मेमोरियल से आते हुए बोट से भी नजर आती है।
सामान्य जानकारी
यहां तमिल एवं मलयालम भाषा बोली जाती है। लेकिन पर्यटन स्थल होने के कारण हिंदी एवं इंग्लिश जानने वाले लोग भी मिल जाते हैं। यहां के दर्शनीय स्थल पैदल ही देखे जा सकते हैं। बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन बाजार और होटलों से अधिक दूर नहीं है।
कब जायें
यह एक समुद्र तटीय शहर है इसलिए मानसून का यहाँ काफी प्रभाव रहता है। इसलिए जून मध्य से सितंबर मध्य यहां घूमने के लिए उपयुक्त नहीं है। शेष हर मौसम में यहां आ सकते है।
कैसे जायें
रेल मार्ग- कन्याकुमारी रेल मार्ग द्वारा जम्मू, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, मदुराई, तिरुअनंतपुरम, एरनाकुलम से जुड़ा है। दिल्ली से यह यात्रा 60 घंटे, जम्मूतवी से 74 घंटे, मुंबई से 48 घंटे एवं तिरुअनंतपुरम से ढाई घंटे की है।
बस मार्ग- तिरुअनंतपुरम, चेन्नई, मदुराई, रामेश्वरम आदि शहरों से कन्याकुमारी के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
वायु मार्ग- कन्याकुमारी का निकटतम हवाई अड्डा तिरुअनंतपुरम में है। वहां के लिए दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई से सीधी उड़ाने हैं।
प्रमुख स्थानों से दूरी
- दिल्ली से 2850 किमी
- मुंबई से 2155 किमी
- चेन्नई से 703 किमी
- तिरुअनंतपुरम से 87 किमी
- जम्मू से 3734 किमी
- मदुराई से 260 किमी
- रामेश्वरम 302 किमी
- नागरकोविल 20 किमी
कहाँ ठहरें
होटल तमिलनाडु, केरल गेस्ट हाउस, होटल समुद्र, होटल शिंगार इंटरनेशनल, होटल केप रेसीडेंसी, होटल सरवना, शंकर गेस्ट हाउस, विवेकानंद पुरम।