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| |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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| [[चित्र:Yamuna-Mathura-2.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013]]
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| <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|अहम का वहम]]</center>
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| हमारे आस-पास अक्सर ऐसे लोग मिल जाते हैं जिनमें कोई न कोई विशेष प्रतिभा होती है लेकिन वे सफल नहीं होते और भाग्य को दोष देते मिलते हैं। जबकि वे यह नहीं जान पाते कि उनकी सफलता का रास्ता रोकने के लिए अहंकार हर समय उनके मस्तिष्क पर शासन करता है। प्रतिभा को निखारने के लिए अपने ऊपर से ध्यान हटाना पड़ता है। उसके बाद ही हमारा ध्यान प्रतिभा को निखारने में लगता है। कोई जन्म से 'रहमान' या 'गुलज़ार' नहीं होता [[भारतकोश सम्पादकीय 25 जनवरी 2013|...पूरा पढ़ें]]
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 31 दिसम्बर 2012|यमलोक में एक निर्भय अमानत 'दामिनी']] ·
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| | [[भारतकोश सम्पादकीय 30 अक्टूबर 2012|उसके सुख का दु:ख]]
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| |}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
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