"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[विपिनचन्द्र पाल]] | -[[विपिनचन्द्र पाल]] | ||
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||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले [[लाला लाजपत राय]] 'पंजाब केसरी' भी कहे जाते हैं। जब वी. पी. वाडिया ने भारत में 'मद्रास श्रमिक संघ' की स्थापना की, तब लालाजी के प्रयासों से ही [[1926]] ई. में 'श्रमिक संघ अधिनियम' पारित किया गया। [[1920]] ई. में स्थापित 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' (ए.आई.टी.यू.सी.) में तत्कालीन, लगभग 64 श्रमिक संघ शामिल हो गये। [[एन. एम. जोशी]], [[लाला लाजपत राय]] एवं जोसेफ़ बैपटिस्टा के प्रयत्नों से [[1920]] ई. में स्थापित 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' पर वामपंथियों का प्रभाव बढ़ने लगा। 'एटक' (ए.आई.टी.यू.सी) के प्रथम अध्यक्ष लाला लाजपत राय थे। यह सम्मेलन 1920 ई. में [[बम्बई]] में हुआ था। इसके उपाध्यक्ष जोसेफ़ बैप्टिस्टा तथा महामंत्री दीवान चमनलाल थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला लाजपत राय]] | |||
{'स्ट्रेची आयोग' निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 562, प्र. 45) | {'स्ट्रेची आयोग' निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 562, प्र. 45) | ||
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-स्थानीय स्वायत्त शासन से | -स्थानीय स्वायत्त शासन से | ||
+[[अकाल]] से | +[[अकाल]] से | ||
||[[चित्र:Dry-Field.jpg|right|100px|अकाल]]'अकाल' से अभिप्राय है- 'ऐसा समय, जिसमें अनाज आदि खाने की वस्तुओं की बहुत अधिक कमी हो जाये और वे बड़ी कठिनाई से प्राप्त हों।' [[अकाल]] का सबसे बड़ा कारण होता है- [[वर्षा]] का न होना, जिस कारण अन्न आदि खाद्य वस्तुओं की पैदावार नहीं हो पाती और सूखे की समस्या उत्पन्न हो जाती है। '[[अकाल]]' [[भारत]] के आर्थिक जीवन की एक दु:खद विशेषता है। [[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि- "[[भारत]] में अकाल नहीं पड़ता", लेकिन यह कथन बाद के [[इतिहास]] में सही नहीं सिद्ध होता। सच तो यह है कि भारत जैसे देश में मुख्यत: खेती ही जीवन-यापन का साधन है और वह मुख्यत: अनिश्चित [[मानसून]] की वर्षा पर निर्भर रहती है। अत: यहाँ अकाल प्राय: पड़ता रहता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकाल]], [[अकाल आयोग]], | |||
{निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मण्डल' की स्थापना की थी?(यूजीसी इतिहास, पृ. 563, प्र. 46) | {निम्नलिखित में से किसने 'विधवा विवाह मण्डल' की स्थापना की थी?(यूजीसी इतिहास, पृ. 563, प्र. 46) | ||
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-[[वी. डी. सावरकर]] | -[[वी. डी. सावरकर]] | ||
+[[एम. जी. रानाडे]] | +[[एम. जी. रानाडे]] | ||
- | -[[स्वामी सहजानंद सरस्वती]] | ||
||[[चित्र:M-g-ranade.jpg|right|100px|महादेव गोविन्द रानाडे]]'महादेव गोविन्द रानाडे' [[भारत]] के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, विद्वान और न्यायविद थे। उन्होंने विभिन्न प्रकार के समाज सुधार के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। [[प्रार्थना समाज]], [[आर्य समाज]] और [[ब्रह्म समाज]] का [[महादेव गोविन्द रानाडे]] के जीवन पर बहुत प्रभाव था। प्रार्थना समाज के मंच से रानाडे ने [[महाराष्ट्र]] में अंधविश्वास और हानिकारक रूढ़ियों का जमकर विरोध किया था। [[धर्म]] में उनका अंधविश्वास नहीं था। वे मानते थे कि देश काल के अनुसार धार्मिक आचरण बदलते रहते हैं। उन्होंने स्त्री शिक्षा का प्रचार किया। वे '[[बाल विवाह]]' के कट्टर विरोधी और 'विधवा विवाह' के समर्थक थे। इसके लिए उन्होंने एक समिति 'विधवा विवाह मण्डल' की स्थापना भी की थी। महादेव गोविन्द रानाडे 'दकन एजुकेशनल सोसायटी' के संस्थापकों में भी प्रमुख थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एम. जी. रानाडे]] | |||
{किस स्थान पर '[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]]' लागू नहीं हुआ था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 563, प्र. 51) | {किस स्थान पर '[[वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट]]' लागू नहीं हुआ था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 563, प्र. 51) |
06:53, 1 जुलाई 2013 का अवतरण
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