"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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-[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] | -[[लॉर्ड विलियम बैंटिक]] | ||
||[[चित्र:Lord-Dalhousie.jpg|right|100px|लॉर्ड डलहौज़ी]]'लॉर्ड डलहौज़ी', जिसे "अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी" भी कहा जाता है, वर्ष 1848 ई. में [[गवर्नर-जनरल]] बनकर [[भारत]] आया था। उसका शासन काल [[आधुनिक भारत का इतिहास|आधुनिक भारत के इतिहास]] में एक स्मरणीय काल रहा, क्योंकि [[लॉर्ड डलहौज़ी]] ने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त के आधार पर [[ब्रिटिश साम्राज्य]] का विस्तार करते हुए अनेक महत्त्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को सम्पन्न किया। पहली बार डलहौज़ी ने ही [[भारत]] में [[डाक टिकट|डाक टिकटों]] का प्रचलन प्रारम्भ किया। उसने पृथक रूप से भारत में पहली बार '''सार्वजनिक निर्माण विभाग''' की स्थापना की। गंगा नहर का निर्माण कर [[8 अप्रैल]], 1854 ई. में उसे सिंचाई आदि के लिए खुलवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड डलहौज़ी]] | ||[[चित्र:Lord-Dalhousie.jpg|right|100px|लॉर्ड डलहौज़ी]]'लॉर्ड डलहौज़ी', जिसे "अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी" भी कहा जाता है, वर्ष 1848 ई. में [[गवर्नर-जनरल]] बनकर [[भारत]] आया था। उसका शासन काल [[आधुनिक भारत का इतिहास|आधुनिक भारत के इतिहास]] में एक स्मरणीय काल रहा, क्योंकि [[लॉर्ड डलहौज़ी]] ने युद्ध व व्यपगत सिद्धान्त के आधार पर [[ब्रिटिश साम्राज्य]] का विस्तार करते हुए अनेक महत्त्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों को सम्पन्न किया। पहली बार डलहौज़ी ने ही [[भारत]] में [[डाक टिकट|डाक टिकटों]] का प्रचलन प्रारम्भ किया। उसने पृथक रूप से भारत में पहली बार '''सार्वजनिक निर्माण विभाग''' की स्थापना की। गंगा नहर का निर्माण कर [[8 अप्रैल]], 1854 ई. में उसे सिंचाई आदि के लिए खुलवा दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड डलहौज़ी]] | ||
{1774 ई. में सर्वोच्च न्यायालय कहाँ गठित हुआ था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 560, प्र. 14) | {1774 ई. में सर्वोच्च न्यायालय कहाँ गठित हुआ था?(यूजीसी इतिहास, पृ. 560, प्र. 14) | ||
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-[[अबुल फ़ज़ल]] | -[[अबुल फ़ज़ल]] | ||
+[[अब्दुल कादिर बदायूँनी]] | +[[अब्दुल कादिर बदायूँनी]] | ||
||[[चित्र:Pratap-Singh-And-Chetak-Attacking-Man-Singh.jpg|right|100px|मान सिंह पर हमला करते हुए महाराणा प्रताप और चेतक]]'अब्द-उल क़ादिर बदायूँनी' [[फ़ारसी भाषा]] का भारतीय इतिहासकार एवं अनुवादक था। [[बदायूँनी]] का जन्म सन् 1540 ई. में [[बदायूँ]] में हुआ था। वह [[भारत]] में [[मुग़ल कालीन शासन व्यवस्था|मुग़लकालीन इतिहास]] के प्रमुखतम लेखकों में से एक था। बचपन में बदायूँनी बसबार में रहा और बाद में उसने [[संभल]] व [[आगरा]] में शिक्षा प्राप्ति के लिए अध्ययन किया। वह 1562 में बदायूँ आया और यहाँ से [[पटियाला]] जाकर एक स्थानीय राजा हुसैन ख़ाँ की सेवा में चला गया। यहाँ वह नौ वर्षों तक रहा। दरबार छोड़ने के बाद भी उसने अपनी शिक्षा जारी रखी और विभिन्न [[मुस्लिम]] रहस्यवादियों के साथ अध्ययन किया। 1574 में [[बदायूँनी]] [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबार में पेश किया गया, जहाँ अकबर ने उसे धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त किया और पेंशन भी दी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अब्दुल कादिर बदायूँनी]], [[हल्दीघाटी का युद्ध]] | |||
{' | {'[[तुज़्क-ए-बाबरी]]' किस [[भाषा]] की रचना है?(यूजीसी इतिहास, पृ. 576, प्र. 306) | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[उर्दू भाषा]] | -[[उर्दू भाषा]] | ||
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+तुर्की भाषा | +तुर्की भाषा | ||
-[[फ़ारसी भाषा]] | -[[फ़ारसी भाषा]] | ||
||[[चित्र:Babarnama-hindi.jpg|right|100px|तुज़्क-ए-बाबरी]]'तुज़्क-ए-बाबरी' अथवा '[[बाबरनामा]]' [[भारत]] में [[मुग़ल साम्राज्य]] के संस्थापक [[बाबर]] की आत्मलिखित जीवनी है। बाबर ने इस कृति की रचना तुर्की भाषा में की थी। बाद के समय में बाबर के पोते [[अकबर]] ने 1583 ई. में [[अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना]] द्वारा '[[तुज़्क-ए-बाबरी]]' का [[फ़ारसी भाषा]] में अनुवाद करवाया। यह पुस्तक [[भारत]] की 1504 से 1529 ई. तक की राजनीतिक एवं प्राकृतिक स्थिति पर वर्णनात्मक प्रकाश डालती है। पुस्तक में [[बाबर]] लिखता है कि- "हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक विशाल देश है। इसमें [[सोना|सोने]] और [[चाँदी]] की अधिकता है। यहाँ [[वर्षा]] के दिनों में जलवायु अच्छी रहती है।" वह यह भी लिखता है कि- "उसे यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि भारत में जरा देर में ही गाँव बस जाते है और उजड़ जाते हैं।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुजुक-ए-बाबरी]] | |||
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07:53, 1 जुलाई 2013 का अवतरण
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