"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|right|100px|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका भारतीय दर्शनशास्त्र में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। इन्होंने [[भारत]] में '[[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी|कम्युनिस्ट पार्टी]]' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] ई. में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी इन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह वर्ष की सज़ा हुई थी। राय मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विशेष महत्त्व देते | ||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|right|100px|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका भारतीय दर्शनशास्त्र में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। इन्होंने [[भारत]] में '[[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी|कम्युनिस्ट पार्टी]]' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] ई. में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी इन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह वर्ष की सज़ा हुई थी। राय मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विशेष महत्त्व देते थे, क्योंकि उनके विचार में इस स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति वास्तव में सुखी नहीं हो सकता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]] | ||
{संसदीय प्रणाली में मंत्रिमण्डल का प्रधान कौन होता है?(यूजीसी राजनीति, पृ.सं- 686, प्र. 196) | {संसदीय प्रणाली में मंत्रिमण्डल का प्रधान कौन होता है?(यूजीसी राजनीति, पृ.सं- 686, प्र. 196) | ||
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-रामविलास पासवान | -रामविलास पासवान | ||
-उपरोक्त में से कोई नहीं | -उपरोक्त में से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:V-P-Singh.jpg|right|100px|विश्वनाथ प्रताप सिंह]]विश्वनाथ प्रताप सिंह भारत के आठवें प्रधानमंत्री थे। राजीव गांधी सरकार के पतन | ||[[चित्र:V-P-Singh.jpg|right|100px|विश्वनाथ प्रताप सिंह]]'विश्वनाथ प्रताप सिंह' [[भारत]] के आठवें [[प्रधानमंत्री]] थे। [[राजीव गांधी]] की सरकार के पतन का कारण बने [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] ने आम चुनाव के माध्यम से [[2 दिसम्बर]], [[1989]] को प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया था। वे बेहद महत्त्वाकांक्षी तो थे ही, इसके साथ ही एक कुटिल राजनीतिज्ञ भी कहे जाते थे। [[वर्ष]] [[1957]] में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने '[[भूदान आन्दोलन]]' में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी ज़मीनें भी दान में दे दीं। इसके लिए पारिवारिक विवाद भी हुआ, जो न्यायालय तक जा पहुँचा था। सिंह [[इलाहाबाद]] की 'अखिल भारतीय कांग्रेस समिति' के अधिशासी प्रकोष्ठ के सदस्य भी रहे थे। राजनीति के अतिरिक्त इन्हें [[कविता]] और पेटिंग का भी बहुत शौक़ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] | ||
{किस वर्ष 'रक्षा विभाग' का नाम '[[रक्षा मंत्रालय]]' किया गया था?(यूजीसी राजनीति, पृ.सं- 831, प्र. 355) | {किस वर्ष 'रक्षा विभाग' का नाम '[[रक्षा मंत्रालय]]' किया गया था?(यूजीसी राजनीति, पृ.सं- 831, प्र. 355) |
10:42, 2 अगस्त 2013 का अवतरण
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