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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 8 नवम्बर 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम]]</center>
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 8 नवम्बर 2013|कभी ख़ुशी कभी ग़म]]</center>
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         ऑपरेटिंग सिस्टम के नये से नये रूपांतरण (वर्ज़न) लाना और लगातार सॉफ़्टवेयर अपडेट का आना ही माइक्रोसॉफ़्ट की सफलता का राज़ है। ज़माना अपडेट्स का है। न्यायपालिका और कार्यपालिका भी समाज के ऑपरेटिंग सिस्टम हैं। जिनको समय-समय पर नये रूपान्तरण (वर्ज़न) और अद्यतन (अपडेट) की आवश्यकता होती है। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|...पूरा पढ़ें]]
         भारत में अभी तक शिक्षार्थियों का पढ़ाई लिए नौकरी करना या पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने का प्रचलन उतना नहीं है जितना कि पश्चिमी देशों में है। इन शिक्षार्थियों को होटलों या रेस्तराओं में काम करने में शर्म महसूस होती है। यदि सरकार की ओर से इन शिक्षार्थियों को एक बिल्ला (Badge) दिया जाय जो इनके शिक्षार्थी-कर्मी होने की पहचान हो तो लोग इस बिल्ले को देखकर इनसे अपेक्षाकृत अच्छा व्यवहार करेंगे। जब सम्मान पूर्ण व्यवहार होगा तो शिक्षार्थियों को किसी भी नौकरी में लज्जा का अनुभव नहीं होगा। [[भारतकोश सम्पादकीय 8 नवम्बर 2013|...पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]  ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]]   
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12:19, 8 नवम्बर 2013 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
कभी ख़ुशी कभी ग़म

         भारत में अभी तक शिक्षार्थियों का पढ़ाई लिए नौकरी करना या पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी करने का प्रचलन उतना नहीं है जितना कि पश्चिमी देशों में है। इन शिक्षार्थियों को होटलों या रेस्तराओं में काम करने में शर्म महसूस होती है। यदि सरकार की ओर से इन शिक्षार्थियों को एक बिल्ला (Badge) दिया जाय जो इनके शिक्षार्थी-कर्मी होने की पहचान हो तो लोग इस बिल्ले को देखकर इनसे अपेक्षाकृत अच्छा व्यवहार करेंगे। जब सम्मान पूर्ण व्यवहार होगा तो शिक्षार्थियों को किसी भी नौकरी में लज्जा का अनुभव नहीं होगा। ...पूरा पढ़ें

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