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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|हिन्दी के ई-संसार का संचार]]</center> | <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|हिन्दी के ई-संसार का संचार]]</center> | ||
[[चित्र:Vishwa-Hindi-Patrika-2015.jpg|right| | [[चित्र:Vishwa-Hindi-Patrika-2015.jpg|right|100px|border|link=भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016]] | ||
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साइबर दुनिया में हिन्दी कितनी और कैसी है यह किसी से छुपा नहीं है। इंटरनेट के सर्च इंजन स्थानीय भाषा को कितनी वरीयता दे रहे हैं और कितनी देनी चाहिए यह जानना आवश्यक है। इंटरनेट पर सर्च इंजनों की अपनी सीमाएँ हैं जिन्हें अधिक विकसित करना होगा। जैसे कि सामान्यत: लोग हिन्दी की सामग्री खोजने में भी रोमन याने अंग्रेज़ी की लिपि का प्रयोग करते हैं। ऐसा करने से अंग्रेज़ी की वेबसाइटें ही परिणाम में दिखाई देती हैं। जबकि होना यह चाहिए कि हिन्दी या भारत से संबंधित शब्द या वाक्य को खोजने पर सर्च इंजनों को परिणाम देने के साथ-साथ यह भी विकल्प दिखाना चाहिए कि प्रयोक्ता को किस भाषा में परिणाम चाहिए और इससे अच्छा यह रहेगा कि सभी भाषाओं का विकल्प भी दिया जाए … [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|पूरा पढ़ें]] | साइबर दुनिया में हिन्दी कितनी और कैसी है यह किसी से छुपा नहीं है। इंटरनेट के सर्च इंजन स्थानीय भाषा को कितनी वरीयता दे रहे हैं और कितनी देनी चाहिए यह जानना आवश्यक है। इंटरनेट पर सर्च इंजनों की अपनी सीमाएँ हैं जिन्हें अधिक विकसित करना होगा। जैसे कि सामान्यत: लोग हिन्दी की सामग्री खोजने में भी रोमन याने अंग्रेज़ी की लिपि का प्रयोग करते हैं। ऐसा करने से अंग्रेज़ी की वेबसाइटें ही परिणाम में दिखाई देती हैं। जबकि होना यह चाहिए कि हिन्दी या भारत से संबंधित शब्द या वाक्य को खोजने पर सर्च इंजनों को परिणाम देने के साथ-साथ यह भी विकल्प दिखाना चाहिए कि प्रयोक्ता को किस भाषा में परिणाम चाहिए और इससे अच्छा यह रहेगा कि सभी भाषाओं का विकल्प भी दिया जाए … [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2016|पूरा पढ़ें]] |
14:24, 17 मार्च 2016 का अवतरण
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