"साँचा:एक त्योहार": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
<div style="padding:3px">[[चित्र:Rakhi-3.jpg|right|100px|link=रक्षाबन्धन|border]]</div>
<div style="padding:3px">[[चित्र:Vasudev-Krishna.jpg|right|80px|link=कृष्ण जन्माष्टमी|border]]</div>
<poem>
<poem>
         '''[[रक्षाबन्धन]]''' का अर्थ है (रक्षा+बंधन) अर्थात किसी को अपनी रक्षा के लिए बांध लेना। भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का पर्व है। यह पर्व मात्र रक्षा-सूत्र के रूप में [[राखी]] बाँधकर रक्षा का वचन ही नहीं देता वरन् प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। पहले रक्षाबन्धन बहन-भाई तक ही सीमित नहीं था, अपितु आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिये किसी को भी रक्षा-सूत्र (राखी) बांधा या भेजा जाता था। भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] ने [[गीता]] में कहा है कि- ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’- अर्थात ‘सूत्र’ अविच्छिन्नता का प्रतीक है, क्योंकि सूत्र (धागा) बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है। माला के सूत्र की तरह रक्षा-सूत्र (राखी) भी लोगों को जोड़ता है। [[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] की [[पूर्णिमा]] को भारतवर्ष में भाई-बहन के प्रेम व रक्षा का पवित्र त्योहार 'रक्षाबन्धन' मनाया जाता है। [[रक्षाबन्धन|... और पढ़ें]]
         '''[[कृष्ण जन्माष्टमी]]''' [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के [[गीता|भगवद्गीता]] के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को [[भारत]] में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना [[अवतार]] [[भाद्रपद]] माह की [[कृष्ण पक्ष]] की [[अष्टमी]] को मध्यरात्रि में [[कंस]] का विनाश करने के लिए [[मथुरा]] में लिया। [[कृष्ण जन्मभूमि]] पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे दिन [[व्रत]] रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में [[अभिषेक]] होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा [[द्वारिकाधीश मन्दिर मथुरा|द्वारिकाधीश]], [[बांके बिहारी मन्दिर|बिहारीजी]] एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है। [[कृष्ण जन्माष्टमी|... और पढ़ें]]
</poem>
</poem>
----
----
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
|-
|-
| [[एक त्योहार|पिछले लेख]] →
| [[एक त्योहार|पिछले लेख]] →
| [[रक्षाबन्धन]]
| [[नवरात्र]]  
| [[नवरात्र]]  
| [[होली]]  
| [[होली]]  
| [[दीपावली]]
|}</center>
|}</center>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

06:51, 23 अगस्त 2016 का अवतरण

एक त्योहार

        कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव है। योगेश्वर कृष्ण के भगवद्गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी इसे पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण ने अपना अवतार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि में कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में लिया। कृष्ण जन्मभूमि पर देश–विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और पूरे दिन व्रत रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मन्दिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण जन्मभूमि के अलावा द्वारिकाधीश, बिहारीजी एवं अन्य सभी मन्दिरों में इसका भव्य आयोजन होता है, जिनमें भारी भीड़ होती है। ... और पढ़ें


पिछले लेख रक्षाबन्धन नवरात्र होली