"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | |||
{'द बाथ' चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-118,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
-माने | |||
+मेरी कैसेट | |||
-डेविड | |||
-वान गॉग | |||
||'द चाइल्ड्स बाथ' (The Child's Bath) अथवा 'द बाथ' (The Bath) एक तैलीय चित्र (An Oil Painting) है, जिसका चित्रण अमेरिकी कलाकार मेरी कैसेट (Mary Cassatt) ने किया है। | |||
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफाओं]] की खोज कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-15 | |||
|type="()"} | |||
-1580 | |||
-[[1908]] | |||
+1819 | |||
-[[1918]] | |||
||1819 ई. में [[मद्रास]] रेजीमेंट के कुछ सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए [[अजंता की गुफा]] तक पहुंचे और उन्होंने अजंता की महान कलाकृतियों को सर्वप्रथम देखा। 1824 ई. में लेफ्टीनेंट जेम्स ई. अलेक्जेंडर ने [[अजंता की गुफाएं|अजंता की गुफाओं]] को देखा और इन गुफाओं का विवरण 'रायल सोसाइटी लंदन' को भेजा। | |||
{महाराजा संसारचंद द्वारा किस शैली को संरक्षण मिला? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-11 | |||
|type="()"} | |||
-जैन शैली | |||
-[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] | |||
+[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] | |||
-सिख शैली | |||
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) में पहाड़ी [[चित्रकला]] शैली को संरक्षण प्रदान किया। कांगड़ा शैली (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र में प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा सगीत के मर्मझ थे। संसारचंद के समय [[कांगड़ा चित्रकला]] उन्नति के शिखर पर थी। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौर थे। | |||
{'स्कूल ऑफ एथेंस' किसका भित्तिचित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-29 | |||
|type="()"} | |||
+राफेल | |||
-डेविड | |||
-[[सतीश गुजराल]] | |||
-माइकेल एंजिलो | |||
||पुनरुत्थानवादी [[चित्रकार]] (इटालियन) राफेक सैंजिओ के प्रमुख चित्र हैं- सैनिक का स्वप्न, स्कूल ऑफ़ एथेंस, क्रूसीफिक्शन, सिस्टीन मेडोना, मेडोना ऑफ़ द गोल्ड फिंचम परनासस, ज्यूरिस प्रूडेंस, द मैरिज ऑफ़ वर्जिन, ट्रांसफिगरेशन इत्यादि। | |||
{'तृण पर भोजन' का [[चित्रकार]] कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-32 | |||
|type="()"} | |||
+माने | |||
-मोने | |||
-कुर्बे | |||
-सेजां | |||
||1879 ई. में एडुवर्ड माने ने आकारों की स्पष्टता को कम करके विशुद्ध चमकीले रंगों का प्रयोग करते हुए एक नवीन कला (शैली) विकसित की। इस नवीन शैली के अप्रतिम उदाहरण हैं-'जार्ज मूर का व्यक्ति चित्र' तथा 'फिलिप बर्जेर का मदिरागृह'। | |||
{'गोएर्निका' नामक चित्र किसने चित्रित किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-35 | |||
|type="()"} | |||
+पिकासो | |||
-ज्वां ग्रीस | |||
-सेजां | |||
-टर्न | |||
||गोएर्निका का चित्र पाब्लो पिकासो द्वारा चित्रित एक तैल चित्र है जो युद्ध की त्रासदी तथा उसके द्वारा व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाती है। यह चित्र वर्ष [[1937]] में [[स्पेन]] के गृह युद्ध के समय बनाया गया था। वर्तमान में यह मैड्रिड के रेने सोफिया [[संग्रहालय]] में सुरक्षित है। | |||
{'बिंदु' प्रगतिवादी समूह के किस [[चित्रकार]] द्वारा बनाया गया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-144,प्रश्न-45 | |||
|type="()"} | |||
-[[एम.एफ. हुसैन]] | |||
+[[एस.एच. रज़ा]] | |||
-एम.एन. सुजां | |||
-हेबर | |||
||भारतीय [[चित्रकार]] तथा 'पैग' के सदस्य [[सैयद हैदर रज़ा]] फ्रांसीसी सरकार से उच्च पुरस्कार मिलने के बाद वर्ष [[1950]] में पेरिस में बस गए। [[एस.एच. रज़ा]] ने फ्रेंच चित्रकार निकोल दस्ताल के समान विस्तृत क्षेत्रों पर चित्रण, चाकू से मूल रंगों का प्रयोग करके, मोटी परतों की चौड़ी धज्जियों में दृश्य चित्र बनाएं। | |||
{शीतल प्रभाव उत्पन्न करने वाले रंग होते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-12 | |||
|type="()"} | |||
-[[लाल रंग|लाल]], [[पीला रंग|पीला]] | |||
+[[नीला रंग|नीला]] [[हरा रंग|हरा]] | |||
-[[काला रंग|काला]], [[सफेद रंग|सफेद]] | |||
-[[लाल रंग|लाल]], [[काला रंग|काला]] | |||
||प्रकाशयुक्तता एवं अक्ष-पटल की उत्तेजना के विचार से कुछ वर्ण गरम और शीतल माने जाते हैं। लाल और [[नारंगी रंग|नारंगी]] वर्ण उष्ण (गर्म) हैं, नीला एवं हरा वर्ण शीतल (ठंडा)। पीला एवं बैंगनी न उष्ण हैं, न शीतल। | |||
{मोनालिसा की पेंटिंग किस रंग के विभिन्न टोनों में की गई है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-164,प्रश्न-51 | |||
|type="()"} | |||
-[[नीला रंग|नीला]] | |||
+[[काला रंग|काला]] | |||
-[[हरा रंग|हरा]] | |||
-[[लाल रंग|लाल]] | |||
||पेंटिंग 'मोनालिसा' के रंग के घटकों के वितरण का अध्ययन करने से पता चलता है कि चित्र में [[प्रकाश]] बहुत से छाया की ओर स्थानांतरण सफेद और काले में टोन के सामंजस्य से से हुआ है। मोनालिसा की तस्वीर फ्लोरेंस के एक व्यापारी फ्रांसको देल जोकांदा की पत्नी 'लिसा गेरार्दिनी' को देखकर आंकी गई है। 'मोनालिसा' के प्रसिद्ध चित्र में तीन आयाम हैं। | |||
{तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52 | |||
|type="()"} | |||
-बाइंडए के रूप में | |||
-रंग में चमक के लिए | |||
+[[रंग]] को पतला करने के लिए | |||
-इनमें से कोई नहीं | |||
||तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में रंग को पतला करने के लिए किया जाता है। | |||
{वह कलाकार जिसने लोककला को अपनी चित्रण शैली के रूप में अपनाया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-69 | |||
|type="()"} | |||
-मदन लाल नागर | |||
-बद्रीनाथ आर्य | |||
+[[जामिनी राय]] | |||
-ललिता मोहन सेन | |||
||आधुनिक भारतीय चित्रकारों में जामिनी राय लोककला में प्रभावित कलाकार हैं। | |||
{नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' किसने बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-42 | |||
|type="()"} | |||
+जॉर्ज सोरा | |||
-रेन्वार | |||
-सिन्याक | |||
-सेजां | |||
||जॉर्ज सोरा की कला में प्रभाववाद से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियां' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था। | |||
{'[[मेघदूत]]' किसकी रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
+[[कालिदास]] | |||
-[[बाणभट्ट]] | |||
-[[वाल्मीकि]] | |||
-[[कपिल मुनि]] | |||
||'[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के रचयिता [[कालिदास]] हैं। ऋतु संहार, अभिज्ञानशाकुंतकम्, मेघदूत, कुमारसंभव तथा यघुवंश आदि कालिदास की प्रमुख रचनाएं हैं। कवि और नाटककार के रूप में कालिदास का अद्वितीय स्थान है। | |||
{'[[ललित कला अकादमी|केंद्रीय ललित कला अकादमी]]', [[नई दिल्ली]] के प्रथम [[अध्यक्ष]] कौन चुने गए थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-94 | |||
|type="()"} | |||
-[[नंदलाल बोस]] | |||
-[[मकबूल फिदा हुसैन]] | |||
-[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]] | |||
+डी.पी. रायचौधरी | |||
||देवी प्रसाद (डी.पी.) रायचौधरी राष्ट्रीय ललित कला अकादमी, [[नई दिल्ली]] के प्रथम अध्यक्ष चुने गए थे। उनका कार्यकाल 1954-1960 तक था। वे दांडी मार्च के रूप में पूरी तरह से भारतीय विषयों को चित्रित करने की पश्चिमी तकनीकी और प्रतिनिधित्व के रूपों में प्रयोग करने के लिए अपने समय में अद्वितीय थे। | |||
{ब्लैक फिगर तकनीक किस कला में प्रयोग की गई हैं। (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-174,प्रश्न-62 | |||
|type="()"} | |||
-हेलेनिस्टिक | |||
-रोम के मोजैक | |||
+[[यूनान]] | |||
-मिनोअन कला | |||
||ब्लैक फिगर तकनीक का प्रयोग यूनान में छठीं शताब्दी ई.पू. की शुरुआत और चौथे ई.पू. के अंत के मध्य में प्रयोग की जाती थी। इसका प्रयोग मिट्टी की गोलियों व कब्र की दीवारों को सजाने के लिए किया जाता था। | |||
{कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44 | |||
|type="()"} | |||
-प्रतीक से | |||
-रेखा से | |||
-रंग से | |||
+प्रकाश-छाया से | |||
||प्रकाश-छाया से आकृति आरूपित नहीं होती है। रेखाओं, वर्णों, छाया-प्रकाश अथवा धरातलीय गठन के प्रयोग से चित्र तल का निश्चय अंकन रूप कहलाता है। | |||
{मोनालिया कहां संग्रहित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-39 | |||
|type="()"} | |||
+म्यूसी द लूव्र | |||
-ओरसे म्यूजियम | |||
-म्यूसी द क्वाय ब्रांले | |||
-म्यूसी रोंदा | |||
||मोनालिया इटैलियन चित्रकार लियोनार्दों द विंसी द्वारा 1508-06 ई. के मध्य चित्रित की गई। इस चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य चित्र दर्शाया गया है। वर्तमान में यह पेरिस के लूव्र संग्रहालय में है। | |||
{'मैटरनिटी' चित्र किसने तैयार किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-52 | |||
|type="()"} | |||
-वान गॉग | |||
-रूसो | |||
+पॉल गॉगिन | |||
-सेजां | |||
||मैटरनिटी (थ्री वुमेन ऑन द सी शोर अर्थात समुद्र तट पर तीन महिलाएं) नामक चित्र पॉल गॉगिन ने बनाया है, जिसे साधारणतया 'मैटरनिटी' के नाम से जानते हैं जिसे 1899 में तैल चित्रण द्वारा चित्रित किया है। यह चित्र रूप के हर्मिटेज (सेंट पीटर्सबर्ग) में सुरक्षित है। 'मैटरनिटी' नाम से पाब्लो पिकासो ने भी 1909 में एक चित्र बनाया था। | |||
{'प्राइमावेरा' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-73 | |||
|type="()"} | |||
-एक मूर्ति | |||
+एक चित्र | |||
-एक उपन्यास | |||
-एक भवन | |||
||'प्राइमावेरा' एक चित्रित है। इसे 'एलेगॉरी ऑफ़ स्प्रिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इसे इतालवी पुनर्जागरण चित्रकार सैंड्रो बोत्तिसेली ने चित्रित किया था। | |||
{नीचे दिए गए समूहों में से एक का चयन कीजिए जो उत्तर-प्रभाववादी रचनाओं के लिए उत्तरदायी कहा | |||
जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-63 | |||
|type="()"} | |||
-पाल क्ली, पोलाज, काल्डर | |||
+सेजां, वान गॉग, पाल गॉगिन | |||
-हर्बर्ट रीड, काल्डर, वान गॉग | |||
-होकुसाई, काल्डर, डेगा | |||
||पाल सेजां, पाल गॉगिन, विन्सेंट वान गॉग तथा जॉर्ज सोरा को उत्तर प्रभाववादी रचनाओं के लिए उत्तरदायी कहा जाता है। | |||
</quiz> | |||
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12:25, 15 नवम्बर 2017 का अवतरण
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