"जोगेन्द्र नाथ मंडल": अवतरणों में अंतर
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'''जोगेन्द्र नाथ मंडल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jogendranath Mandal'', जन्म- [[29 जनवरी]], [[1904]]; मृत्यु- [[5 अक्टूबर]], [[1968]], [[पश्चिम बंगाल]]) [[पाकिस्तान]] के पहले कानून मंत्री और श्रमिक के रूप में सेवा करने वाले विधायक थे। यह राष्ट्रमंडल और [[कश्मीर]] मामलों के दूसरे मंत्री थे। जोगेन्द्र नाथ मंडल एक भारतीय और बाद में पाकिस्तानी नेता थे, जो पाकिस्तान में कानून और श्रम के पहले मंत्री थे। [[1950]] में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल वापस [[भारत]] लौट आये थे, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के विरोधी हिंदू पूर्वाग्रह का हवाला दिया गया था। उन्होंने अपने इस्तीफे पत्र में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया था। | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
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}}'''जोगेन्द्र नाथ मंडल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jogendranath Mandal'', जन्म- [[29 जनवरी]], [[1904]]; मृत्यु- [[5 अक्टूबर]], [[1968]], [[पश्चिम बंगाल]]) [[पाकिस्तान]] के पहले कानून मंत्री और श्रमिक के रूप में सेवा करने वाले विधायक थे। यह राष्ट्रमंडल और [[कश्मीर]] मामलों के दूसरे मंत्री थे। जोगेन्द्र नाथ मंडल एक भारतीय और बाद में पाकिस्तानी नेता थे, जो पाकिस्तान में कानून और श्रम के पहले मंत्री थे। [[1950]] में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल वापस [[भारत]] लौट आये थे, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के विरोधी हिंदू पूर्वाग्रह का हवाला दिया गया था। उन्होंने अपने इस्तीफे पत्र में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया था। | |||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
जोगेन्द्र नाथ मंडल का जन्म 29 जनवरी, 1904 में बारीसल जिले (तब बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत) वर्तमान में [[बांग्लादेश]] में हुआ था। वह नमूसूरा समुदाय से आते थे। तब ये समुदाय [[हिंदू]] जाति व्यवस्था के बाहर माना जाता था। उन्होंने इसी मुद्दे पर आंदोलन खड़ा किया था। जोगेन्द्र नाथ मंडल ने [[1937]] के भारतीय प्रांतीय विधानसभा चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। उन्होंने बखरागंज उत्तर पूर्व ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र बंगाल विधान सभा में एक सीट पर चुनाव लड़ा और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की जिला समिति के अध्यक्ष सरकल कुमार दत्ता को हराया। [[सुभाष चंद्र बोस]] और [[शरतचंद्र बोस]] दोनों ने इस समय जोगेन्द्र नाथ मंडल को काफी प्रभावित किया था। [[1940]] में जोगेन्द्र नाथ मंडल [[मुस्लिम लीग]] (एमएल) के साथ जुड़ गए थे जो एकमात्र दूसरी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पार्टी थी। कहा जाता है कि इसी समय के आसपास जोगेन्द्र नाथ मंडल और [[भीमराव अंबेडकर]] ने अनुसूचित जाति संघ की बंगाल शाखा की स्थापना की थी।<ref name="pp">{{cite web |url=https://www.aajtak.in/education/story/who-is-jogendra-nath-mandal-pakistan-ex-law-minister-who-came-back-to-india-pm-modi-explained-tedu-1022801-2020-02-06 |title=Who is Jogendra Nath Mandal, PAK के पहले कानून मंत्री, मोदी ने किया जिक्र|accessmonthday=29 नवंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= aajtak.in|language=हिंदी}}</ref> | |||
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==भारत वापस आना== | ==भारत वापस आना== | ||
जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान सरकार के उच्चतम पदों में हिंदू सदस्य के तौर पर [[1947]] से [[1950]] तक तत्कालीन राजधानी कराची के बंदरगाह शहर में रहते थे। फिर साल [[1950]] में भारत लौट आए, वो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद वापस लौटे थे, उन्होंने इसके लिए पाकिस्तानी प्रशासन के हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह का हवाला दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया था।<ref name="pp"/> | |||
कहा जाता कि [[पाकिस्तान]] बनने के कुछ ही समय बाद वहां गैर मुस्लिमो को निशाना बनाया जाने लगा। हिन्दुओं के साथ लूटमार, बलात्कार की घटनाएं सामने आने लगीं तो | कहा जाता कि [[पाकिस्तान]] बनने के कुछ ही समय बाद वहां गैर मुस्लिमो को निशाना बनाया जाने लगा। हिन्दुओं के साथ लूटमार, बलात्कार की घटनाएं सामने आने लगीं तो जोगेन्द्र नाथ मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई पत्र लिखे। लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी। जोगेन्द्र नाथ मंडल को बाहर करने के लिए उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगा। जोगेन्द्र नाथ मंडल को इस बात का एहसास हुआ, जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था, वो उनके रहने लायक नहीं है। वह बहुत आहत हुए, क्योंकि उन्हें यकीन था कि पाकिस्तान में दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा। तकरीबन दो सालों में ही दलित मुस्लिम एकता का उनका ख्बाब टूट गया था, जिसके बाद वो वापस हिंदुस्तान लौट आए थे। | ||
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[[पाकिस्तान]] में मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद | [[पाकिस्तान]] में मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल [[भारत]] आ गये थे। कुछ वर्ष गुमनामी की जिन्दगी जीने के बाद [[5 अक्टूबर]], [[1968]] को [[पश्चिम बंगाल]] में उन्होंने अंतिम सांस ली । | ||
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*[https://www.amarujala.com/photo-gallery/bizarre-news/know-the-story-of-jogendra-nath-mandal-who-was-considered-as-traitor-in-pakistan?pageId=3 जोगेन्द्र नाथ मंडल: जिन्हें पाकिस्तान में 'देशद्रोही' और भारत में 'अछूत' माना गया] | *[https://www.amarujala.com/photo-gallery/bizarre-news/know-the-story-of-jogendra-nath-mandal-who-was-considered-as-traitor-in-pakistan?pageId=3 जोगेन्द्र नाथ मंडल: जिन्हें पाकिस्तान में 'देशद्रोही' और भारत में 'अछूत' माना गया] | ||
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जोगेन्द्र नाथ मंडल
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पूरा नाम | जोगेंद्र नाथ मंडल |
जन्म | 29 जनवरी, 1904 |
जन्म भूमि | बारीसल, बंगाल प्रेसीडेंसी |
मृत्यु | 5 अक्टूबर, 1968 |
मृत्यु स्थान | बंगाव, पश्चिम बंगाल |
कर्म भूमि | भारत |
प्रसिद्धि | प्रथम कानून मंत्री, पाकिस्तान |
नागरिकता | भारतीय पाकिस्तानी |
पद | प्रथम कानून मंत्री, पाकिस्तान-15 अगस्त, 1947 से 8 अक्टूबर, 1950 पाकिस्तान के श्रम मंत्री-15 अगस्त, 1947 से 8 अक्टूबर, 1950 |
जोगेन्द्र नाथ मंडल (अंग्रेज़ी: Jogendranath Mandal, जन्म- 29 जनवरी, 1904; मृत्यु- 5 अक्टूबर, 1968, पश्चिम बंगाल) पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री और श्रमिक के रूप में सेवा करने वाले विधायक थे। यह राष्ट्रमंडल और कश्मीर मामलों के दूसरे मंत्री थे। जोगेन्द्र नाथ मंडल एक भारतीय और बाद में पाकिस्तानी नेता थे, जो पाकिस्तान में कानून और श्रम के पहले मंत्री थे। 1950 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल वापस भारत लौट आये थे, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के विरोधी हिंदू पूर्वाग्रह का हवाला दिया गया था। उन्होंने अपने इस्तीफे पत्र में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया था।
परिचय
जोगेन्द्र नाथ मंडल का जन्म 29 जनवरी, 1904 में बारीसल जिले (तब बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत) वर्तमान में बांग्लादेश में हुआ था। वह नमूसूरा समुदाय से आते थे। तब ये समुदाय हिंदू जाति व्यवस्था के बाहर माना जाता था। उन्होंने इसी मुद्दे पर आंदोलन खड़ा किया था। जोगेन्द्र नाथ मंडल ने 1937 के भारतीय प्रांतीय विधानसभा चुनाव में एक स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। उन्होंने बखरागंज उत्तर पूर्व ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र बंगाल विधान सभा में एक सीट पर चुनाव लड़ा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की जिला समिति के अध्यक्ष सरकल कुमार दत्ता को हराया। सुभाष चंद्र बोस और शरतचंद्र बोस दोनों ने इस समय जोगेन्द्र नाथ मंडल को काफी प्रभावित किया था। 1940 में जोगेन्द्र नाथ मंडल मुस्लिम लीग (एमएल) के साथ जुड़ गए थे जो एकमात्र दूसरी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पार्टी थी। कहा जाता है कि इसी समय के आसपास जोगेन्द्र नाथ मंडल और भीमराव अंबेडकर ने अनुसूचित जाति संघ की बंगाल शाखा की स्थापना की थी।[1]
पाकिस्तान संविधान सभा के सदस्य
15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद, जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान के संविधान सभा के सदस्य और अस्थायी अध्यक्ष बने और कानून और श्रम के लिए नए बने देश के पहले मंत्री की जिम्मेदारी उन्हें दी गई। पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार जोगेन्द्र नाथ मंडल को 1946 में भारत के विभाजन से पहले तैयार राजनीतिक सेटअप में मुस्लिम लीग के मंत्री के रूप में प्रतिनिधित्व करने का गौरव मिला था। बाद में, उन्होंने 11 अगस्त, 1947 को संविधान सभा के ऐतिहासिक सत्र की अध्यक्षता की, जहां मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान के पहले गवर्नर-जनरल के रूप में शपथ ली। जिन्ना ने हिंदू धार्मिक पदानुक्रम के सबसे निचले स्तर जिसे अछूत या दलित माना जाता था, उस वर्ग से आने वाले जोगेन्द्र नाथ मंडल पर भरोसा किया था, जो जिन्ना की धार्मिकता के प्रति दृष्टि दर्शाता है।
भारत वापस आना
जोगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान सरकार के उच्चतम पदों में हिंदू सदस्य के तौर पर 1947 से 1950 तक तत्कालीन राजधानी कराची के बंदरगाह शहर में रहते थे। फिर साल 1950 में भारत लौट आए, वो पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान को अपना इस्तीफा देने के बाद वापस लौटे थे, उन्होंने इसके लिए पाकिस्तानी प्रशासन के हिंदू विरोधी पूर्वाग्रह का हवाला दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में सामाजिक अन्याय और गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रति पक्षपातपूर्ण व्यवहार से संबंधित घटनाओं का उल्लेख किया था।[1]
कहा जाता कि पाकिस्तान बनने के कुछ ही समय बाद वहां गैर मुस्लिमो को निशाना बनाया जाने लगा। हिन्दुओं के साथ लूटमार, बलात्कार की घटनाएं सामने आने लगीं तो जोगेन्द्र नाथ मंडल ने इस विषय पर सरकार को कई पत्र लिखे। लेकिन सरकार ने उनकी एक न सुनी। जोगेन्द्र नाथ मंडल को बाहर करने के लिए उनकी देशभक्ति पर संदेह किया जाने लगा। जोगेन्द्र नाथ मंडल को इस बात का एहसास हुआ, जिस पाकिस्तान को उन्होंने अपना घर समझा था, वो उनके रहने लायक नहीं है। वह बहुत आहत हुए, क्योंकि उन्हें यकीन था कि पाकिस्तान में दलितों के साथ अन्याय नहीं होगा। तकरीबन दो सालों में ही दलित मुस्लिम एकता का उनका ख्बाब टूट गया था, जिसके बाद वो वापस हिंदुस्तान लौट आए थे।
मृत्यु
पाकिस्तान में मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद जोगेन्द्र नाथ मंडल भारत आ गये थे। कुछ वर्ष गुमनामी की जिन्दगी जीने के बाद 5 अक्टूबर, 1968 को पश्चिम बंगाल में उन्होंने अंतिम सांस ली ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 Who is Jogendra Nath Mandal, PAK के पहले कानून मंत्री, मोदी ने किया जिक्र (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 29 नवंबर, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
- जानिए जोगेन्द्र नाथ मंडल की कहानी, प्रधानमंत्री ने लिया जिनका नाम
- जोगेन्द्र नाथ मंडल: जिन्हें पाकिस्तान में 'देशद्रोही' और भारत में 'अछूत' माना गया