"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर

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!उपसर्ग !! उदाहरण  !! उपसर्ग !! उदाहरण
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| अति || अत्यधिकम् || दुस् || दुस्तरणम्
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|अधि || अधिष्ठानम् || दुर् || दुर्भाग्यम्
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|  ||  || सु || सुकर
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'''प्रत्यय''' - धातुओं के पश्चात् लगने वाले [[प्रत्यय]] कृत् प्रत्यय कहलाते हैं। शब्दों के पश्चात् लगने वाले प्रत्यय तद्धित कहलाते हैं।
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!कृत्प्रत्यय !! उदाहरण  !! कृत्प्रत्यय !! उदाहरण
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|अ, अङ || पिपठिषा|| इत्नु|| स्तनयित्नु
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| - || छिदा || इष्णुच् || रोचिष्ण
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|अच्, अप् || पचः, सरः || उ || जिगमिषुः
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| - || कर: || उण् || कारू:
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|अण्‌ || कुम्भकार: || ऊक || जागरूक
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|अथुच् || वेपथु: || क (अ) || ज्ञ:, द:
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|अनीयर्‌ || करणीय, दर्शनीय || कि (इ) || चक्रि
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|आलुच्‌ || स्पृहयालु || कुरच्‌ || विदुर
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|इक्‌ || पचिः || क्त (त, न) || हत, छिन्न
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06:57, 1 अगस्त 2023 का अवतरण

विशेष वक्तव्य

छात्रों की आवश्यकता का विशेष ध्यान रखकर इस कोश को और भी अधिक उपादेय बनाने के लिए प्रायः सभी मूल शब्दों के साथ उनकी संक्षिप्त व्युत्पत्ति दे दी गई है। शब्दों की रचना में उपसर्ग और प्रत्ययों का बड़ा महत्त्व है। इनकी पूरी जानकारी तो व्याकरण के पढ़ने से ही होगी। फिर भी इनका यहाँ दिग्दर्शन अत्यंत लाभदायक होगा।

उपसर्ग - “उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते । प्रहाराहार संहारविहारपरिहारवत् ।”

उपसर्ग धातुओं के पूर्व लगकर उनके अर्थों में विभिन्नता ला देते हैं-

उपसर्ग उदाहरण उपसर्ग उदाहरण
अति अत्यधिकम् दुस् दुस्तरणम्
अधि अधिष्ठानम् दुर् दुर्भाग्यम्
अनु अनुगमनम् नि निदेश:
अप अपयश: निस् निस्तारणम्
अपि पिंघानम्‌ निर् निर्धन
अभि अभिभाषणम् परा पराजय:
अव अवतरणम् परि परिव्राजक:
आगमनम् प्र प्रबल
उत् उत्थाय, उद्गमनम् प्रति प्रतिक्रिया
उप उपगमनम् वि विज्ञानम्
सु सुकर

प्रत्यय - धातुओं के पश्चात् लगने वाले प्रत्यय कृत् प्रत्यय कहलाते हैं। शब्दों के पश्चात् लगने वाले प्रत्यय तद्धित कहलाते हैं।

कृत्प्रत्यय उदाहरण कृत्प्रत्यय उदाहरण
अ, अङ पिपठिषा इत्नु स्तनयित्नु
- छिदा इष्णुच् रोचिष्ण
अच्, अप् पचः, सरः जिगमिषुः
- कर: उण् कारू:
अण्‌ कुम्भकार: ऊक जागरूक
अथुच् वेपथु: क (अ) ज्ञ:, द:
अनीयर्‌ करणीय, दर्शनीय कि (इ) चक्रि
आलुच्‌ स्पृहयालु कुरच्‌ विदुर
इक्‌ पचिः क्त (त, न) हत, छिन्न