"सौरमण्डल": अवतरणों में अंतर
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ब्रह्माण्ड में वैसे तो कई सौरमण्डल है, लेकिन हमारा सौरमण्डल ( Solar System ) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है। हमारे सौरमण्डल में सूर्य और वे सभी खगोलीय पिंड जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, सम्मलित हैं, जो एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। सौरमण्डल में सूर्य का आकार सब से बड़ा है जिसका प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है। सौरमण्डल के केन्द्र मे सूर्य है तथा सबसे बाहरी सीमा पर नेप्च्युन ग्रह है। नेपच्युन के परे | ब्रह्माण्ड में वैसे तो कई सौरमण्डल है, लेकिन हमारा सौरमण्डल ( Solar System ) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है। हमारे सौरमण्डल में सूर्य और वे सभी खगोलीय पिंड जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, सम्मलित हैं, जो एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। सौरमण्डल में सूर्य का आकार सब से बड़ा है जिसका प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है। सौरमण्डल के केन्द्र मे सूर्य है तथा सबसे बाहरी सीमा पर नेप्च्युन ग्रह है। नेपच्युन के परे प्लूटो जैसे बौने ग्रहो के अलावा [[धूमकेतु]] भी आते है। | ||
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| 6 दिन और 9.3 घंटे | |||
| 248.6 वर्ष | |||
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11:07, 20 जनवरी 2011 का अवतरण

Solar System
ब्रह्माण्ड में वैसे तो कई सौरमण्डल है, लेकिन हमारा सौरमण्डल ( Solar System ) सभी से अलग है, जिसका आकार एक तश्तरी जैसा है। हमारे सौरमण्डल में सूर्य और वे सभी खगोलीय पिंड जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, सम्मलित हैं, जो एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। सौरमण्डल में सूर्य का आकार सब से बड़ा है जिसका प्रभुत्व है, क्योंकि सौरमण्डल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है। सौरमण्डल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है। सौरमण्डल के केन्द्र मे सूर्य है तथा सबसे बाहरी सीमा पर नेप्च्युन ग्रह है। नेपच्युन के परे प्लूटो जैसे बौने ग्रहो के अलावा धूमकेतु भी आते है।
ग्रहों के नाम | भूमध्यरेखीय व्यास (कि.मी.) | परिभ्रमण समय अपने अक्ष पर | परिक्रमण समय सूर्य के चारों ओर | उपग्रहों की संख्या |
---|---|---|---|---|
बुध | 4,878 | 58.6 दिन | 88 दिन | 0 |
शुक्र | 12,102 | 243 दिन | 224.7 दिन | 0 |
पृथ्वी | 12,756-12,714 | 23.9 घंटे | 365.26 दिन | 1 |
मंगल | 6,787 | 24.6 घंटे | 687 दिन | 2 |
बृहस्पति | 1,42,800 | 9.9 घंटे | 11.9 वर्ष | 28 |
शनि | 1,20,500 | 10.3 घंटे | 29.5 वर्ष | 30 |
वरुण (यूरेनस) | 51,400 | 16.2 घंटे | 84.0 वर्ष | 21 |
अरुण (नेप्च्यून) | 48,600 | 18.5 घंटे | 164.8 घंटे | 8 |
यम (प्लूटो) [1] | 3,000 | 6 दिन और 9.3 घंटे | 248.6 वर्ष | 1 |
सूर्य (Sun)
सूर्य सौरमण्डल का प्रधान है और इसके केंद्र में स्थित एक तारा है। सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हज़ार किमी. है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है। सूर्य पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरब वाँ भाग मिलता है। पृथ्वी से सूर्य की दूरी 149 लाख कि.मी है. सूर्य प्रकाश को पृथ्वी में आने में 8 मिनिट 18 सेकंड लगते है। सूर्य से दिखाई देने वाली सतह को "प्रकाश मंडल" कहते है. सूर्य कि सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सिअस होता है. इसकी आकर्षण शक्ति पृथ्वी से 28 गुना ज्यादा है। परिमंडल (Corona) सूर्य ग्रहण के समय दिखाई देने वाली उपरी सतह है.. इसे सूर्य मुकुट भी कहते है।
सौरमण्डल के पिण्ड
- अंतर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ ( International Astronomical Union — IAU ) की प्राग सम्मेलन — 24 अगस्त 2006 के अनुसार सौरमण्डल में मौज़ूद पिण्डों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है —
- प्रधान ( परम्परागत ) ग्रह ( Major Planets ) — ग्रह - सूर्य से उनकी दूरी के बढते क्रम में हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण ( यूरेनस ) एवं वरुण ( नेप्च्यून ) । ( आठ ग्रह हैं - चार पार्थिव / स्थलीय आंतरिक ग्रह और चार विशाल गैस से बने बाहरी ग्रह ) शुक्र सूर्य से सब से करीब है और नेपच्यून उस से सब से दूर हैं।
- बौने ग्रह ( Dwarf Planet ) — यम ( प्लूटो / Pluto ), एरीज़ (Eris), सीरीज़ (Ceres), हॉमिया (Haumea), माकीमाकी (Makemake) ( प्लूटो को पहले खगोलिय वैज्ञानिक नवें ग्रह के रूप में मानते थे लेकिन अब नही मानते है ) सीरीज़ (Ceres) क्षुद्रग्रह पट्टी में है और वरुण से परे चार बौने ग्रह यम ( प्लूटो ), हॉमिया (Haumea), माकीमाकी (Makemake), और एरीज़ (Eris)।
- लघु सौरमण्डलीय पिण्ड — 166 ज्ञात उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलिय पिण्ड जिसमे - क्षुद्रग्रह पट्टी, धूमकेतु ( पुच्छल तारे ), उल्कायें, बर्फीली क्विपर पट्टी के पिंड और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।
- छह ग्रहो और तीन बौने ग्रहों की परिक्रमा प्राकृतिक उपग्रह करते हैं, जिन्हें आम तौर पर पृथ्वी के चंद्रमा के नाम के आधार पर "चन्द्रमा" ही पुकारा जाता है। प्रत्येक बाहरी ग्रह को धूल और अन्य कणों से निर्मित छल्लों द्वारा परिवृत किया जाता है।
ग्रह
ग्रह वे खगोलिय पिण्ड हैं, जो कि निम्न शर्तों को पूरा करते हैं— जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो, उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो, जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके, उसके आसपास का क्षेत्र साफ़ हो यानि उसके आसपास अन्य खगोलिए पिण्डों की भीड़–भाड़ न हो।
बुध (Mercury)
यह सूर्य का सबसे नज़दीकी ग्रह है।
शुक्र (Venus)
यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है।
बृहस्पति (Jupiter)
यह सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह है।
मंगल (Mars)
इसे लाल ग्रह (Red Planet) कहा जाता है।
शनि (Saturn)
यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
अरुण (Uranus)
यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है।
वरुण (Neptune)
नई खगोलिय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है।
पृथ्वी (Earth)
यह आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है।
चन्द्रमा (Moon)
चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।
बौने ग्रह
यम (Pluto)
इसकी खोज 1930 में क्लाड टामवों ने की थी।
सेरस (Ceres)
इसकी खोज़ इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था।
लघु सौरमण्डलीय पिण्ड
क्षुद्र ग्रह (Asteroids)
मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे–छोटे आकाशीय पिण्ड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं।
धूमकेतु (Comet)
सौरमण्डल के छोर पर बहुत ही छोटे–छोटे अरबों पिण्ड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारा कहलाते हैं।
उल्का (Meteros)
उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखती हैं।
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संबंधित लेख
- ↑ 24 अगस्त, 2006 से ग्रह का दर्जा समाप्त