"प्रयोग:लक्ष्मी1": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
-[[शिव]]  
-[[शिव]]  
-[[गणेश]]
-[[गणेश]]
||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय|100px|right]] पार्वती, [[पर्वतराज]] [[हिमालय]] और मेना की कन्या हैं। मैना और हिमवान ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया। उसका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व [[सती]] तथा आदिशक्ति थी। इन्हीं को [[उमा]], गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[पार्वती|पार्वती देवी]]
||[[चित्र:Bhagwan-Shiv-1.jpg|शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय|100px|right]] पार्वती, पर्वतराज [[हिमालय]] और मेना की कन्या हैं। मेना और हिमवान ने आदिशक्ति के वरदान से आदिशक्ति को कन्या के रूप में प्राप्त किया। उसका नाम पार्वती रखा गया। वह भूतपूर्व [[सती]] तथा आदिशक्ति थीं। इन्हीं को [[उमा]], गिरिजा और शिवा भी कहते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[पार्वती|पार्वती देवी]]


{निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी ताल नहीं है?  
{निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी ताल नहीं है?  
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
{[[संगीत]] में समय नापने का नाम कहलाता है?
{[[संगीत]] में समय नापने का नाम कहलाता है?
|type="()"}
|type="()"}
-मात्रा
+मात्रा
+ताल  
-ताल  
-लय  
-लय  
-विभाग  
-विभाग  


{भातखण्डे संगीत पद्धति में सम को चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
{भातखण्डे संगीत पद्धति में सम को किस चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?
|type="()"}
|type="()"}
-+  
-+  
+x
+x
-O
-0
-1  
-1  


{'ध्रुपद' एवं 'धमार' गायकों में किस प्रकार के अलाप की परम्परा है?
{'ध्रुपद' एवं 'धमार' गायकों में किस प्रकार के आलाप की परम्परा है?
|type="()"}
|type="()"}
-नोमतोम का आलाप  
+नोमतोम का आलाप  
+आकार का आलाप  
-आकार का आलाप  
-'a' व 'b' दोनों  
-'a' व 'b' दोनों  
-इनमें से कोई नहीं  
-इनमें से कोई नहीं  
पंक्ति 54: पंक्ति 54:
|type="()"}
|type="()"}
-अलंकृत तान  
-अलंकृत तान  
+कूट तान  
-कूट तान  
-जबड़े की तान  
-जबड़े की तान  
-ये सभी  
+ये सभी  


{'खटका' का दूसरा नाम है?
{'खटका' का दूसरा नाम है?
पंक्ति 67: पंक्ति 67:
{'मिजराब' द्वारा किस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है?
{'मिजराब' द्वारा किस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है?
|type="()"}
|type="()"}
-[[सितार]]  
+[[सितार]]  
-गिटार  
-गिटार  
+वीणा  
-वीणा  
-वायलिन  
-वायलिन  
||[[चित्र:Sitar.jpg|सितार|100px|right]]सितार के जन्म के विषय में विद्वानों के अनेक मत हैं। अभी तक किसी भी मत के पक्ष में कोई ठोस प्रमाण नहीं प्राप्त हो सका हैं। कुछ विद्वानों के मतानुसार इसका निर्माण वीणा के एक प्रकार के आधार पर हुआ है। भारतीयता को महत्त्व देने वाले भारतीय विद्वान इस मत को सहज में ही मान लेते हैं।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[सितार]]


{'संगीत' गाने- बजाने की नवीन पद्धति है जिसकी शुरुआत की
{'संगीत' गाने- बजाने की नवीन पद्धति है जिसकी शुरुआत की
|type="()"}
|type="()"}
-पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने  
-पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने  
-पं. भातखण्डे ने  
-पं. भातखण्डे ने  
-पं. त्यागराज ने  
+पं. त्यागराज ने  
+पं. शारंगदेव ने  
-पं. शारंगदेव ने  


{निम्नलिखित में कौन [[कर्नाटक]] [[संगीत]] के संगीतज्ञ नहीं है?
{निम्नलिखित में कौन कर्नाटक संगीत के संगीतज्ञ नहीं है?
|type="()"}
|type="()"}
-त्यागराज  
-त्यागराज  
+[[रामदास]]  
‌-[[रामदास]]  
-पुरन्दरदास  
-पुरन्दरदास  
-साजन मिश्र  
+साजन मिश्र  


{रागों में 'तान' किस लय में गाया जाता है?
{[[राग|रागों]] में 'तान' किस लय में गाया जाता है?
|type="()"}
|type="()"}
-विलम्बित  
-विलम्बित  
पंक्ति 94: पंक्ति 94:
-सभी में  
-सभी में  


{[[कर्नाटक]] [[संगीत]] में सरगम को कहा जाता है?  
{कर्नाटक संगीत में सरगम को कहा जाता है?  
|type="()"}
|type="()"}
+वर्णम  
-वर्णम  
-नेराबल
-नेराबल
-कल्पना स्वर  
+कल्पना स्वर  
-मुखारी  
-मुखारी  


{तंत्र वादन में 'मींड' लेने की क्रिया को कहा जाता है?
{तंत्र वादन में 'मींड' लेने की क्रिया को कहा जाता है?
|type="()"}
|type="()"}
-सूत  
+सूत  
+आवर्तन  
-आवर्तन  
-झाला  
-झाला  
-कण  
-कण  
पंक्ति 110: पंक्ति 110:
{हिंदुस्तानी शैली का विकास किसने किया?
{हिंदुस्तानी शैली का विकास किसने किया?
|type="()"}
|type="()"}
-[[अमीर खुसरो]]  
+[[अमीर ख़ुसरो]]  
-[[तानसेन]]  
-[[तानसेन]]  
-[[स्वामी हरिदास]]  
-[[स्वामी हरिदास]]  
+भारखण्डे  
-भारखण्डे  
||[[चित्र:Amir-Khusro.jpg|100px|right]][[हिन्दी]] खड़ी बोली के पहले लोकप्रिय कवि अमीर ख़ुसरो ने कई गज़ल, ख़याल, कव्वाली, रुबाई, तराना की रचना की हैं। अमीर ख़ुसरो का जन्म सन 1253 ई. में [[एटा]] ([[उत्तरप्रदेश]]) के पटियाली नामक क़स्बे में [[गंगा]] किनारे हुआ था। अमीर ख़ुसरो मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफ़द्दीन के पुत्र हैं। {{point}} अधिक जानकारी देखें:- [[अमीर ख़ुसरो]]


{निम्नलिखित में कौन 'ध्रुपद' गायक नहीं थे?
{निम्नलिखित में कौन '[[ध्रुपद]]' गायक नहीं थे?
|type="()"}
|type="()"}
-[[स्वामी हरिदास]]  
-[[स्वामी हरिदास]]  
-सदारंग  
+सदारंग  
+[[तानसेन]]  
-[[तानसेन]]  
-[[बैजू बावरा]]
-[[बैजू बावरा]]
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|अकबर, तानसेन, हरिदास|100px|right]] संगीत सम्राट् तानसेन (जन्म- संवत 1563, बेहट ग्राम; मृत्यु- संवत 1646) की गणना [[भारत]] के महान गायकों एवं संगीतज्ञों में की जाती है। तानसेन का नाम [[अकबर]] के प्रमुख संगीतज्ञों की सूची में सर्वोपरि है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:- [[तानसेन]] 


{'ध्रुपद' में किस ताल का प्रयोग होता है?
{'[[ध्रुपद]]' में किस ताल का प्रयोग होता है?
|type="()"}
|type="()"}
-दादरा
-दादरा
पंक्ति 132: पंक्ति 132:
{निम्नलिखित में कौन असत्य है?
{निम्नलिखित में कौन असत्य है?
|type="()"}
|type="()"}
-ध्रुपद को मर्दाना गीत कहा जाता है
-[[ध्रुपद]] को मर्दाना गीत कहा जाता है
-ध्रुपद की रचना [[तानसेन]] ने की थी
+ध्रुपद की रचना सर्वप्रथम [[तानसेन]] ने की थी
+बड़े ख्याल के आविष्कार सुल्तान हुसैन शर्की थे  
-बड़े ख्याल के आविष्कारक सुल्तान हुसैन शर्की थे  
-'ख्याल' [[फ़ारसी भाषा]] से लिया गया है
-'ख्याल' [[फ़ारसी भाषा]] से लिया गया है


{प्राचीन काल में ध्रुपद गाने वाले को कहा जाता था?
{प्राचीन काल में [[ध्रुपद]] गाने वाले को कहा जाता था?
|type="()"}
|type="()"}
+गायक  
-गायक  
-ध्रुपदविद्  
-ध्रुपदविद्  
-कलावंत  
+कलावंत  
-इनमें से कोई नहीं  
-इनमें से कोई नहीं  


{'विलम्बित ख्याल' में न प्रयोग होने वाला ताल है?
{'विलम्बित ख्याल' में न प्रयोग होने वाला ताल है?
|type="()"}
|type="()"}
-रूपक  
+रूपक  
+तिलवाड़ा  
-तिलवाड़ा  
-एकताल  
-एकताल  
-झूमरा  
-झूमरा  
पंक्ति 159: पंक्ति 159:
||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]]   
||[[चित्र:Raskhan-2.jpg|रसखान के दोहे|100px|right]] ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक [[भारत]] में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]], [[अलीगढ़]] ज़िलों में बोली जाती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[ब्रज भाषा]]   


{'धमार ताल' कितने मात्रा का होता है?
{'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है?
|type="()"}
|type="()"}
-10मात्रा  
-10मात्रा  
+12मात्रा  
-12मात्रा  
-14मात्रा
+14मात्रा
-18 मात्रा  
-18 मात्रा  


पंक्ति 169: पंक्ति 169:
|type="()"}
|type="()"}
-राग खमाज  
-राग खमाज  
+राग भैरवी  
-राग भैरवी  
-राग देश  
-राग देश  
-ये सभी  
+ये सभी  


{निम्नलिखित में कौन ठुमरी गायक/गायिका नहीं है?
{निम्नलिखित में कौन ठुमरी गायक/गायिका नहीं है?
|type="()"}
|type="()"}
+बेगम अख्तर  
-बेगम अख्तर  
-गिरजा देवी  
-गिरजा देवी  
-बड़े गुलाम अली खाँ
-[[बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ]]
-बिरजू महाराज  
+[[बिरजू महाराज]]
||[[चित्र:Birju-Maharaj-2.jpg|बिरजू महाराज|100px|right]] बिरजू महाराज का पूरा नाम बृज मोहन मिश्रा है। बिरजू महाराज [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के कालका–बिंदादीन घराने के एक मुख्य प्रतिनिधि हैं। अपनी परिशुद्ध ताल और भावपूर्ण अभिनय के लिये प्रसिद्ध बिरजू महाराज ने एक ऐसी शैली विकसित की है, जो उनके दोनों चाचाओं और पिता से संबंधित तत्वों को सम्मिश्रित करती है।{{point}} अधिक जानकारी देखें:-[[बिरजू महाराज]]


{'दादरा' गायन शैली में किस गायन शैली की छाया दृष्टिगोचर होती है?
{'दादरा' गायन शैली में किस गायन शैली की छाया दृष्टिगोचर होती है?
पंक्ति 189: पंक्ति 190:
{'मार्गी संगीत' का अभिप्राय है?
{'मार्गी संगीत' का अभिप्राय है?
|type="()"}
|type="()"}
-मोक्ष प्राप्त करने से  
+मोक्ष प्राप्त करने से  
-जनरंजन से  
-जनरंजन से  
-संगीत के प्रचार से  
-[[संगीत]] के प्रचार से  
+संगीतज्ञों की जीवनी से।  
-संगीतज्ञों की जीवनी से।  
</quiz>
</quiz>
|}
|}
|}
|}

12:41, 29 अप्रैल 2011 का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
इस सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी में कुल 15 प्रश्न हैं। इसे हल करने के उपरांत पन्ने के नीचे की ओर "परिणाम देखें" पर क्लिक करें और उत्तरों का मिलान करें साथ ही अर्जित अंक भी देखें।

1 संगीत में समान गति को कहा जाता है?

मात्रा
ताल
लय
विभाग

2 भारतीय ग्रंथानुसार 'ताल' में 'लय' वर्ण किसका द्योतक है?

कृष्ण
पार्वती
शिव
गणेश

3 निम्नलिखित में कौन हिन्दुस्तानी ताल नहीं है?

कहरवा
दादरा
धमार
आदिताल

4 संगीत में समय नापने का नाम कहलाता है?

मात्रा
ताल
लय
विभाग

5 भातखण्डे संगीत पद्धति में सम को किस चिह्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है?

+
x
0
1

6 'ध्रुपद' एवं 'धमार' गायकों में किस प्रकार के आलाप की परम्परा है?

नोमतोम का आलाप
आकार का आलाप
'a' व 'b' दोनों
इनमें से कोई नहीं

7 निम्नलिखित में कौन तान का रूप है?

अलंकृत तान
कूट तान
जबड़े की तान
ये सभी

8 'खटका' का दूसरा नाम है?

मुर्की
कण
गमक
जमजमा

9 'मिजराब' द्वारा किस वाद्य यंत्र को बजाया जाता है?

सितार
गिटार
वीणा
वायलिन

10 'संगीत' गाने- बजाने की नवीन पद्धति है जिसकी शुरुआत की

पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर ने
पं. भातखण्डे ने
पं. त्यागराज ने
पं. शारंगदेव ने

11 निम्नलिखित में कौन कर्नाटक संगीत के संगीतज्ञ नहीं है?

त्यागराज
पुरन्दरदास
साजन मिश्र

12 रागों में 'तान' किस लय में गाया जाता है?

विलम्बित
मध्य
द्रुत
सभी में

13 कर्नाटक संगीत में सरगम को कहा जाता है?

वर्णम
नेराबल
कल्पना स्वर
मुखारी

14 तंत्र वादन में 'मींड' लेने की क्रिया को कहा जाता है?

सूत
आवर्तन
झाला
कण

15 हिंदुस्तानी शैली का विकास किसने किया?

अमीर ख़ुसरो
तानसेन
स्वामी हरिदास
भारखण्डे

16 निम्नलिखित में कौन 'ध्रुपद' गायक नहीं थे?

स्वामी हरिदास
सदारंग
तानसेन
बैजू बावरा

17 'ध्रुपद' में किस ताल का प्रयोग होता है?

दादरा
रूपक
कहरवा
चारताल

18 निम्नलिखित में कौन असत्य है?

ध्रुपद को मर्दाना गीत कहा जाता है
ध्रुपद की रचना सर्वप्रथम तानसेन ने की थी
बड़े ख्याल के आविष्कारक सुल्तान हुसैन शर्की थे
'ख्याल' फ़ारसी भाषा से लिया गया है

19 प्राचीन काल में ध्रुपद गाने वाले को कहा जाता था?

गायक
ध्रुपदविद्
कलावंत
इनमें से कोई नहीं

20 'विलम्बित ख्याल' में न प्रयोग होने वाला ताल है?

रूपक
तिलवाड़ा
एकताल
झूमरा

21 'धमार' गायक शैली में किस भाषा का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है?

अवधी भाषा
मैथिली भाषा
फ़ारसी भाषा
ब्रज भाषा

22 'धमार ताल' कितनी मात्रा का होता है?

10मात्रा
12मात्रा
14मात्रा
18 मात्रा

23 'ठुमरी' गायन शैली में प्रयुक्त राग है?

राग खमाज
राग भैरवी
राग देश
ये सभी

24 निम्नलिखित में कौन ठुमरी गायक/गायिका नहीं है?

बेगम अख्तर
गिरजा देवी
बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ
बिरजू महाराज

25 'दादरा' गायन शैली में किस गायन शैली की छाया दृष्टिगोचर होती है?

टप्पा
धमार
ठुमरी
ख्याल

26 'मार्गी संगीत' का अभिप्राय है?

मोक्ष प्राप्त करने से
जनरंजन से
संगीत के प्रचार से
संगीतज्ञों की जीवनी से।