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| *अतीश दीपांकर श्रीज्ञान 834 से 838 ई. तक तत्कालीन [[विक्रमशिला विश्वविद्यालय]], [[भागलपुर]] के उपकुलपति थे।
| | #REDIRECT[[अतिशा]] |
| *[[बौद्ध धर्म]] की ब्रजयान शाखा (तांत्रिक महायान) के वे महान दार्शनिक थे। जिसका विकास विक्रमशिला विश्वविद्यालय में ही हुआ था।
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| *उसके बाद ब्रजयान [[दर्शन]] को उन्होंने [[तिब्बत]] में भी फैलाया। तिब्बत में प्रचलित '''लामा प्रणाली''' मूल रूप से इसी ब्रजयान दर्शन का विकसित रूप है। जिसे अतीश अपने साथ तिब्बत ले गए।
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| *उन्हें तिब्बत में मंजुश्री का अवतार माना जाता है तथा [[बुद्ध]] और पद्मसम्भव के बाद सबसे अधिक सम्मानित माना जाता है।
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| {{संदर्भ ग्रंथ}}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:बौद्ध धर्म कोश]]
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| [[Category:दार्शनिक]]
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| [[Category:शिक्षक]][[Category:शिक्षा कोश]]
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| [[Category:साहित्य कोश]]
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