"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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-[[लाला लाजपत राय]] | -[[लाला लाजपत राय]] | ||
||[[चित्र:Subhash-Chandra-Bose-2.jpg|right| | ||[[चित्र:Subhash-Chandra-Bose-2.jpg|right|100px|सुभाषचन्द्र बोस]][[भारत]] की स्वतंत्रता के लिए सुभाषचन्द्र बोस ने क़रीब-क़रीब पूरे [[यूरोप]] में अलख जगाया। बोस प्रकृति से [[साधु]], ईश्वर भक्त तथा तन एवं मन से देशभक्त थे। [[महात्मा गाँधी]] के [[नमक सत्याग्रह]] को 'नेपोलियन की पेरिस यात्रा' की संज्ञा देने वाले सुभाषचन्द्र बोस का एक ऐसा व्यक्तित्व था, जिसका मार्ग कभी भी स्वार्थों ने नहीं रोका, जिसके पाँव लक्ष्य से पीछे नहीं हटे, जिसने जो भी स्वप्न देखे, उन्हें साधा और जिसमें सच्चाई के सामने खड़े होने की अद्भुत क्षमता थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभाषचन्द्र बोस]] | ||
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-मौलाना मुहम्मद अली | -मौलाना मुहम्मद अली | ||
-[[जवाहर लाल नेहरू]] | -[[जवाहर लाल नेहरू]] | ||
||[[ | ||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|right|120px|सर सैयद अहमद ख़ाँ]]सर सैयद अहमद ख़ाँ ने लोगों को आधुनिक ज्ञान हासिल करने के लिए प्रेरित किया था, क्योंकि वह जानते थे कि, आधुनिक शिक्षा के बिना प्रगति संभव नहीं है। उन्होंने मुसलमानों और हिन्दुओं के विरोधात्मक स्वर को चुपचाप सहन किया। इसी सहनशीलता का परिणाम है, कि आज वे एक युग पुरुष के रूप में याद किए जाते हैं और [[हिन्दू]] तथा [[मुसलमान]] दोनों ही उनका आदर करते हैं। सर सैयद अहमद ख़ाँ ने सदा ही यह बात अपने भाषणों में कही थी कि, 'हिन्दू और मुसलमान [[भारत]] की दो आँखें हैं'।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ|सैय्यद अहमद ख़ाँ]] | ||
{1908 ई. में मजदूरों ने [[बम्बई]] में 6 दिन तक हड़ताल रखी। इसका मुख्य उद्देश्य क्या था? | {1908 ई. में मजदूरों ने [[बम्बई]] में 6 दिन तक हड़ताल रखी। इसका मुख्य उद्देश्य क्या था? |
08:22, 10 अगस्त 2011 का अवतरण
इतिहास
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