"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-6 ब्राह्मण-1": अवतरणों में अंतर

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*यहाँ 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता का प्रतिपादन किया गया है।  
*यहाँ 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता का प्रतिपादन किया गया है।  
*[[छान्दोग्य उपनिषद]] में भी इसी भांति '[[प्राणतत्त्व]]' की श्रेष्ठता दर्शायी गयी है।  
*[[छान्दोग्य उपनिषद]] में भी इसी भांति '[[प्राणतत्त्व]]' की श्रेष्ठता दर्शायी गयी है।  

11:13, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • यहाँ 'प्राण' की सर्वश्रेष्ठता का प्रतिपादन किया गया है।
  • छान्दोग्य उपनिषद में भी इसी भांति 'प्राणतत्त्व' की श्रेष्ठता दर्शायी गयी है।
  • अन्य सभी इन्द्रियों से 'प्राण' ही सर्वश्रेष्ठ हैं।
  • छान्दोग्य उपनिषद के पांचवे अध्याय में भी इसका वर्नन है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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