"शारदा माता की आरती": अवतरणों में अंतर

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किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है |
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है |



09:37, 9 सितम्बर 2011 का अवतरण

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हे शारदे! कहाँ तू बीणा बजा रही है |
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है |

किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है |

हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं,
चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं |

अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर कर दे,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में माँ शारदे तू भर दे |

बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे,
प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे |

हमको दया मयी ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ |

ह्रदय रुपी पलक में करते है आहो जारी,
हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी |

मातेश्वरी तू सुन ले सुन्दर विनय हमारी,
करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी |



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