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| अशोक के पिता [[बिंदुसार]] ने (18 वर्ष की उम्र में) उसे उज्जैन का वाइसराय बनाकर भेजा।<ref>महावंश,13,8-11</ref> | | अशोक के पिता [[बिंदुसार]] ने (18 वर्ष की उम्र में) उसे उज्जैन का वाइसराय बनाकर भेजा।<ref>[[महावंश]],13,8-11</ref> | ||
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| वेदिसा (बेसनगर, भिलसा) की देवी से अशोक का | | | ||
ईसा पूर्व 284- अशोक के ज्येष्ठ पुत्र महेंद्र का जन्म ( | *वेदिसा (बेसनगर, भिलसा) की देवी से अशोक का विवाह। | ||
ईसा पूर्व 282- अशोक की सबसे बड़ी पुत्री संघमित्रा का | *ईसा पूर्व 284- अशोक के ज्येष्ठ पुत्र महेंद्र का जन्म ([[महावंश]] 204)। | ||
*ईसा पूर्व 282- अशोक की सबसे बड़ी पुत्री संघमित्रा का जन्म। | |||
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ईसा पूर्व 274- | ईसा पूर्व 274- | ||
*उत्तराधिकार के लिए युद्ध। | *उत्तराधिकार के लिए युद्ध। | ||
*युवराज सुमन की मृत्यु। | *युवराज सुमन की मृत्यु। | ||
*अशोक का सिंहासन पर अधिकार। | *अशोक का सिंहासन पर अधिकार। | ||
*सुमन की मृत्यु के बाद उसके बेटे निग्रोघ का जन्म ( | *सुमन की मृत्यु के बाद उसके बेटे निग्रोघ का जन्म ([[महावंश]]40-50)। | ||
ईसा पूर्व 270- अशोक का राज्यभिषेक ( | ईसा पूर्व 270- अशोक का राज्यभिषेक ([[महावंश]]22) | ||
ईसा पूर्व 270-266-अशोक का छोटा भाई तिस्स उपराज बना ( | ईसा पूर्व 270-266-अशोक का छोटा भाई तिस्स उपराज बना ([[महावंश]]33)। | ||
ईसा पूर्व 270-240- असंघिमित्रा अशोक की अग्रमहिषी (पटरानी) ( | ईसा पूर्व 270-240- असंघिमित्रा अशोक की अग्रमहिषी (पटरानी) ([[महावंश]]85;20,2)। | ||
ईसा पूर्व 268- संघमित्रा का अग्निब्रह्मा से विवाह। | ईसा पूर्व 268- संघमित्रा का अग्निब्रह्मा से विवाह। | ||
ईसा पूर्व 267- संघमित्रा के पुत्र सुमन का जन्म ( | ईसा पूर्व 267- संघमित्रा के पुत्र सुमन का जन्म ([[महावंश]]v170)। | ||
ईसा पूर्व 266- निग्रोघ द्वारा अशोक का बौद्ध धर्म में परिवर्तन। उस समय | ईसा पूर्व 266- निग्रोघ द्वारा अशोक का बौद्ध धर्म में परिवर्तन। उस समय | ||
*निग्रोघ केवल सात वर्ष का था ( | *निग्रोघ केवल सात वर्ष का था ([[महावंश]]v 45)। यह तिथि बड़े महत्व की है क्योंकि (क) इससे पता चलता है कि महावंश में उल्लिखित तिथियाँ उसके अभिषेक से गिनी गई हैं (जैसाकि विंसेंट स्मिथ ने किया है) न कि उसके राज्य पाने की तिथि से [जैसा कि कैंब्रिज हिस्ट्री (खंड 1,पृष्ठ संख्या 503) में किया है], (ख) इससे एक अतिरिक्त प्रमाण इस बात का मिलता है कि अशोक के राज्य पाने की तिथि सही है, और (ग) इससे लघु चट्टान लेख 1 में अशोक के बौद्ध उपासक बनने की जो तिथि दी है उसकी पुष्टि होती है। | ||
*अशोक ने अपने छोटे भाई और युवराज तिस्स को बौद्ध बनाया ( | *अशोक ने अपने छोटे भाई और युवराज तिस्स को बौद्ध बनाया ([[महावंश]]160)। | ||
*तिस्स को आचार्य महाधर्मरक्षित ने दीक्षा दी ( | *तिस्स को आचार्य महाधर्मरक्षित ने दीक्षा दी ([[महावंश]]168)। | ||
*अशोक के भागिनेय व जामाता अग्निब्रह्मा को बौद्ध धर्म की दीक्षा ( | *अशोक के भागिनेय व जामाता अग्निब्रह्मा को बौद्ध धर्म की दीक्षा ([[महावंश]]170) | ||
*महेंद्र की तिस्स के स्थान पर उपराज पद पर (उसकी 18 वर्ष की उम्र में) नियुक्ति ( | *महेंद्र की तिस्स के स्थान पर उपराज पद पर (उसकी 18 वर्ष की उम्र में) नियुक्ति ([[महावंश]]202)। | ||
ईसा पूर्व 266-263- अशोक ने विहार न चैत्य बनवाये ( | ईसा पूर्व 266-263- अशोक ने विहार न चैत्य बनवाये ([[महावंश]]173, दिव्या.27)। | ||
ईसा पूर्व 264- थेर महादेव ने महेंद्र को भिक्षु बनाया। भज्झंतिक ने कंमवाचं पूरा किया। मोग्गलिपुत्त तिस्स ने महेंद्र को पुन: दीक्षा दी और वह उसका उपाध्याय बना। | ईसा पूर्व 264- थेर महादेव ने महेंद्र को भिक्षु बनाया। भज्झंतिक ने कंमवाचं पूरा किया। मोग्गलिपुत्त तिस्स ने महेंद्र को पुन: दीक्षा दी और वह उसका उपाध्याय बना। | ||
*आचार्या आयुपाला और उपाध्याया धर्मपाला ने संघमित्रा को भिक्षुणी बनाया (महावंश v204-209)। | *आचार्या आयुपाला और उपाध्याया धर्मपाला ने संघमित्रा को भिक्षुणी बनाया (महावंश v204-209)। | ||
*अशोक पच्चयदायक से उन्नति कर सासनदायक बना ( | *अशोक पच्चयदायक से उन्नति कर सासनदायक बना ([[महावंश]]197)। | ||
ईसा पूर्व 263- कुणाल का अशोक की पत्नी पद्मावती के गर्भ से जन्म (दिव्या. 27)। | ईसा पूर्व 263- कुणाल का अशोक की पत्नी पद्मावती के गर्भ से जन्म (दिव्या. 27)। | ||
ईसा पूर्व 262- थेर तिस्स व सुमित्त की मृत्यु। संघ में अवांछित भिक्षु-भिक्षुणियों की वृद्धि जिससे उदासीन होकर मोग्गलिपुत्त तिस्स संघ से विरक्त रहने लगा (महावंश v 227-30)। | ईसा पूर्व 262- थेर तिस्स व सुमित्त की मृत्यु। संघ में अवांछित भिक्षु-भिक्षुणियों की वृद्धि जिससे उदासीन होकर मोग्गलिपुत्त तिस्स संघ से विरक्त रहने लगा (महावंश v 227-30)। | ||
ईसा पूर्व 262-254- महेंद्र संघ का अध्यक्ष रहा। अशोक ने मोग्गलिपुत्त तिस्स को बुला भेजा। तिस्स ने उसे संबुद्ध के सिद्धांत का अध्यापन किया। तिस्स को अध्यक्षता में संघ की बैठक। अशोक ने अपधर्मी भिक्षुओं को संघ से निकाल बाहर किया ( | ईसा पूर्व 262-254- महेंद्र संघ का अध्यक्ष रहा। अशोक ने मोग्गलिपुत्त तिस्स को बुला भेजा। तिस्स ने उसे संबुद्ध के सिद्धांत का अध्यापन किया। तिस्स को अध्यक्षता में संघ की बैठक। अशोक ने अपधर्मी भिक्षुओं को संघ से निकाल बाहर किया ([[महावंश]]231-274), मिला. सांची व सारनाथ के स्तंभ लेख। | ||
ईसा पूर्व 260-250- अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थों की यात्रा का संभावित काल जिसके अंत में उसने (दिव्या.27 के अनुसार) धर्मराजिक को पूरा कराया। दिव्यावदाना के अनुसार उपगुप्त अशोक को सबसे पहले लुंबिनी वन ले गया फिर उसने उसे बोधिमूल की यात्रा करायी। चट्टान लेख 8 में ई. पू. 260 में अशोक के संबोधि के दर्शन का उल्लेख हैं। रुम्मिनदीई स्तंभ लेख ई. पू. 250 में उसकी लुंबिनी यात्रा का उल्लेख करता है। | ईसा पूर्व 260-250- अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थों की यात्रा का संभावित काल जिसके अंत में उसने (दिव्या.27 के अनुसार) धर्मराजिक को पूरा कराया। दिव्यावदाना के अनुसार उपगुप्त अशोक को सबसे पहले लुंबिनी वन ले गया फिर उसने उसे बोधिमूल की यात्रा करायी। चट्टान लेख 8 में ई. पू. 260 में अशोक के संबोधि के दर्शन का उल्लेख हैं। रुम्मिनदीई स्तंभ लेख ई. पू. 250 में उसकी लुंबिनी यात्रा का उल्लेख करता है। | ||
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ईसा पूर्व 252- लंका जाते हुए महेंद्र ने विदिशा में अपनी माता देवी के दर्शन किये (वहीं 13, 1,8-11)। उसे भिक्षु बने 12 वर्ष बीत चुके थे। | ईसा पूर्व 252- लंका जाते हुए महेंद्र ने विदिशा में अपनी माता देवी के दर्शन किये (वहीं 13, 1,8-11)। उसे भिक्षु बने 12 वर्ष बीत चुके थे। | ||
ईसा पूर्व 240- अशोक की प्रियपत्नी और संबुद्ध की द्दढ़ विश्वासिनी असंघिमित्रा की मृत्यु ( | ईसा पूर्व 240- अशोक की प्रियपत्नी और संबुद्ध की द्दढ़ विश्वासिनी असंघिमित्रा की मृत्यु ([[महावंश]]20,2)। | ||
ईसा पूर्व 236- तिष्यरक्षिता अग्रमहिषी बनी ( | ईसा पूर्व 236- तिष्यरक्षिता अग्रमहिषी बनी ([[महावंश]]3 व दिव्या. 27 में उसे अशोक की अग्रमहिषी कहा है)। | ||
ईसा पूर्व 235- तक्षशिला में विद्रोह। कुणाल वहाँ वाइसराय बनाकर भेजा गया (दिव्या. पृष्ठ संख्या 407)। | ईसा पूर्व 235- तक्षशिला में विद्रोह। कुणाल वहाँ वाइसराय बनाकर भेजा गया (दिव्या. पृष्ठ संख्या 407)। | ||
ईसा पूर्व 233- तिष्यरक्षिता का बोधि-वृक्ष से द्वेष, जिसे उसने नष्ट करने की चेष्टा की [महा. 20, 4-6, दिव्या. में बिना तिथि के उलिखित (पृष्ठ संख्या 397 कावेल का संस्करण) | ईसा पूर्व 233- तिष्यरक्षिता का बोधि-वृक्ष से द्वेष, जिसे उसने नष्ट करने की चेष्टा की [महा. 20, 4-6, दिव्या. में बिना तिथि के उलिखित (पृष्ठ संख्या 397 कावेल का संस्करण) | ||
ईसा पूर्व 232- शासन के अड़तीसवें वर्ष में अशोक की मृत्यु (महा. 20,1-6)। | ईसा पूर्व 232- शासन के अड़तीसवें वर्ष में अशोक की मृत्यु (महा. 20,1-6)। |
07:32, 24 सितम्बर 2011 का अवतरण
जीवन और शासनकाल
अशोक के जीवन और शासन का जो कालक्रम उसके लेखों से विदित होता है उसकी तुलना जनश्रुतियों से करना लाभदायक होगा। ये जनश्रुतियां उत्तरी और दक्षिणी दोनों हैं। उत्तरी जनश्रुति दिव्यावदान में और दक्षिणी महावंश में सुरक्षित है। कालक्रम के ये दोनों आधार यद्यपि अलग-अलग हैं तथापि अनेक मामलों में ये एक दूसरे का समर्थन करते प्रतीत होते हैं। अशोक के अभिषेक की तिथि ईसा पूर्व 270 में निश्चित हो चुकी है। अब इसी स्थाम से शुरु करके हम अशोक के जीवन व शासन की नीचे लिखी घटनाओं की तिथियां निकाल सकते हैं और उन्हें कालक्रम से सुव्यवस्थित भी कर सकते हैं:
तिथि | विवरण |
ईसा पूर्व 304 | अशोक का जन्म (अशोक के सबसे बड़े पुत्र की जन्मतिथि के आधार पर अनुमान कर) |
ईसा पूर्व 286 | अशोक के पिता बिंदुसार ने (18 वर्ष की उम्र में) उसे उज्जैन का वाइसराय बनाकर भेजा।[1] |
ईसा पूर्व 286 |
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ईसा पूर्व 274-
- उत्तराधिकार के लिए युद्ध।
- युवराज सुमन की मृत्यु।
- अशोक का सिंहासन पर अधिकार।
- सुमन की मृत्यु के बाद उसके बेटे निग्रोघ का जन्म (महावंश40-50)।
ईसा पूर्व 270- अशोक का राज्यभिषेक (महावंश22) ईसा पूर्व 270-266-अशोक का छोटा भाई तिस्स उपराज बना (महावंश33)। ईसा पूर्व 270-240- असंघिमित्रा अशोक की अग्रमहिषी (पटरानी) (महावंश85;20,2)। ईसा पूर्व 268- संघमित्रा का अग्निब्रह्मा से विवाह। ईसा पूर्व 267- संघमित्रा के पुत्र सुमन का जन्म (महावंशv170)।
ईसा पूर्व 266- निग्रोघ द्वारा अशोक का बौद्ध धर्म में परिवर्तन। उस समय
- निग्रोघ केवल सात वर्ष का था (महावंशv 45)। यह तिथि बड़े महत्व की है क्योंकि (क) इससे पता चलता है कि महावंश में उल्लिखित तिथियाँ उसके अभिषेक से गिनी गई हैं (जैसाकि विंसेंट स्मिथ ने किया है) न कि उसके राज्य पाने की तिथि से [जैसा कि कैंब्रिज हिस्ट्री (खंड 1,पृष्ठ संख्या 503) में किया है], (ख) इससे एक अतिरिक्त प्रमाण इस बात का मिलता है कि अशोक के राज्य पाने की तिथि सही है, और (ग) इससे लघु चट्टान लेख 1 में अशोक के बौद्ध उपासक बनने की जो तिथि दी है उसकी पुष्टि होती है।
- अशोक ने अपने छोटे भाई और युवराज तिस्स को बौद्ध बनाया (महावंश160)।
- तिस्स को आचार्य महाधर्मरक्षित ने दीक्षा दी (महावंश168)।
- अशोक के भागिनेय व जामाता अग्निब्रह्मा को बौद्ध धर्म की दीक्षा (महावंश170)
- महेंद्र की तिस्स के स्थान पर उपराज पद पर (उसकी 18 वर्ष की उम्र में) नियुक्ति (महावंश202)।
ईसा पूर्व 266-263- अशोक ने विहार न चैत्य बनवाये (महावंश173, दिव्या.27)। ईसा पूर्व 264- थेर महादेव ने महेंद्र को भिक्षु बनाया। भज्झंतिक ने कंमवाचं पूरा किया। मोग्गलिपुत्त तिस्स ने महेंद्र को पुन: दीक्षा दी और वह उसका उपाध्याय बना।
- आचार्या आयुपाला और उपाध्याया धर्मपाला ने संघमित्रा को भिक्षुणी बनाया (महावंश v204-209)।
- अशोक पच्चयदायक से उन्नति कर सासनदायक बना (महावंश197)।
ईसा पूर्व 263- कुणाल का अशोक की पत्नी पद्मावती के गर्भ से जन्म (दिव्या. 27)। ईसा पूर्व 262- थेर तिस्स व सुमित्त की मृत्यु। संघ में अवांछित भिक्षु-भिक्षुणियों की वृद्धि जिससे उदासीन होकर मोग्गलिपुत्त तिस्स संघ से विरक्त रहने लगा (महावंश v 227-30)। ईसा पूर्व 262-254- महेंद्र संघ का अध्यक्ष रहा। अशोक ने मोग्गलिपुत्त तिस्स को बुला भेजा। तिस्स ने उसे संबुद्ध के सिद्धांत का अध्यापन किया। तिस्स को अध्यक्षता में संघ की बैठक। अशोक ने अपधर्मी भिक्षुओं को संघ से निकाल बाहर किया (महावंश231-274), मिला. सांची व सारनाथ के स्तंभ लेख। ईसा पूर्व 260-250- अशोक द्वारा बौद्ध तीर्थों की यात्रा का संभावित काल जिसके अंत में उसने (दिव्या.27 के अनुसार) धर्मराजिक को पूरा कराया। दिव्यावदाना के अनुसार उपगुप्त अशोक को सबसे पहले लुंबिनी वन ले गया फिर उसने उसे बोधिमूल की यात्रा करायी। चट्टान लेख 8 में ई. पू. 260 में अशोक के संबोधि के दर्शन का उल्लेख हैं। रुम्मिनदीई स्तंभ लेख ई. पू. 250 में उसकी लुंबिनी यात्रा का उल्लेख करता है।
ईसा पूर्व 253- तृतीय बौद्ध संगीति जिसके अध्यक्ष मोग्गलिपुत्त तुस्स थे। विभिन्न देशों में दूतों का भेजना (महा. 12,1-8)। ईसा पूर्व 252- लंका जाते हुए महेंद्र ने विदिशा में अपनी माता देवी के दर्शन किये (वहीं 13, 1,8-11)। उसे भिक्षु बने 12 वर्ष बीत चुके थे।
ईसा पूर्व 240- अशोक की प्रियपत्नी और संबुद्ध की द्दढ़ विश्वासिनी असंघिमित्रा की मृत्यु (महावंश20,2)। ईसा पूर्व 236- तिष्यरक्षिता अग्रमहिषी बनी (महावंश3 व दिव्या. 27 में उसे अशोक की अग्रमहिषी कहा है)। ईसा पूर्व 235- तक्षशिला में विद्रोह। कुणाल वहाँ वाइसराय बनाकर भेजा गया (दिव्या. पृष्ठ संख्या 407)। ईसा पूर्व 233- तिष्यरक्षिता का बोधि-वृक्ष से द्वेष, जिसे उसने नष्ट करने की चेष्टा की [महा. 20, 4-6, दिव्या. में बिना तिथि के उलिखित (पृष्ठ संख्या 397 कावेल का संस्करण) ईसा पूर्व 232- शासन के अड़तीसवें वर्ष में अशोक की मृत्यु (महा. 20,1-6)।