गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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||[[महाभारत]] युद्ध में कृपाचार्य [[कौरव|कौरवों]] की ओर से सक्रिय थे। [[कर्ण]] के वधोपरांत उन्होंने [[दुर्योधन]] को बहुत समझाया कि उसे [[पांडव|पांडवों]] से संधि कर लेनी चाहिए किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपाचार्य]] | ||[[महाभारत]] युद्ध में कृपाचार्य [[कौरव|कौरवों]] की ओर से सक्रिय थे। [[कर्ण]] के वधोपरांत उन्होंने [[दुर्योधन]] को बहुत समझाया कि उसे [[पांडव|पांडवों]] से संधि कर लेनी चाहिए किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपाचार्य]] | ||
{ | {तूणीर कहते है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-तलवार के खोल को | |||
- | -एक प्रकार की पहाड़ी को | ||
- | +बाण रखने के खोल को | ||
-एक प्रकार का प्रक्षेपास्त्र | |||
{[[युधिष्ठिर]] को [[राजसूय यज्ञ]] करने की सलाह किसने दी थी? | {[[युधिष्ठिर]] को [[राजसूय यज्ञ]] करने की सलाह किसने दी थी? |
12:48, 29 सितम्बर 2011 का अवतरण
महाभारत
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