"साँचा:एक व्यक्तित्व": अवतरणों में अंतर

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*'''[[ग़ालिब|मिर्ज़ा असदउल्ला बेग़ ख़ान]]''' जिन्हें सारी दुनिया '[[ग़ालिब|मिर्ज़ा ग़ालिब]]' के नाम से जानती है, [[उर्दू]]-[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के प्रख्यात कवि रहे हैं।
*'''[[कबीर|कबीरदास]]''' [[हिन्दी साहित्य]] के [[भक्ति काल]] के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे।
*ग़ालिब सदा किराये के मकानों में रहे, अपना मकान न बनवा सके। वे ऐसा मकान ज़्यादा पसंद करते थे, जिसमें बैठकख़ाना और अन्त:पुर अलग-अलग हों और उनके दरवाज़े भी अलग हों, जिससे यार-दोस्त बेझिझक आ-जा सकें।
*[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] के अनुसार, "[[भाषा]] पर कबीर का ज़बरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे। जिस बात को उन्होंने जिस रूप में प्रकट करना चाहा है, उसे उसी रूप में कहलवा लिया- बन गया है तो सीधे–सीधे, नहीं दरेरा देकर।" [[कबीर|... और पढ़ें]]
*“हैं और भी दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे<br />
:कहते हैं कि ग़ालिब का है अन्दाज़े-बयाँ और”        [[ग़ालिब|... और पढ़ें]]
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| [[सरोजिनी नायडू]]  
| [[सत्यजित राय]]  
 
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13:08, 1 दिसम्बर 2011 का अवतरण

एक व्यक्तित्व
कबीर
कबीर

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