"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 12: | पंक्ति 12: | ||
-[[कर्दम ऋषि|कर्दम]] | -[[कर्दम ऋषि|कर्दम]] | ||
-[[गौतम ऋषि|गौतम]] | -[[गौतम ऋषि|गौतम]] | ||
||देवी [[शकुंतला]] के धर्मपिता के रूप में महर्षि [[कण्व ऋषि|कण्व]] की अत्यन्त प्रसिद्धि है। महाकवि [[कालिदास]] ने अपने '[[अभिज्ञानशाकुन्तलम]]' में महर्षि के तपोवन, उनके आश्रम-प्रदेश तथा उनका जो धर्माचारपरायण उज्ज्वल एवं उदात्त चरित प्रस्तुत किया है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं होता। उनके मुख से एक भारतीय कथा के लिये [[विवाह]] के समय जो शिक्षा निकली है, वह उत्तम गृहिणी का आदर्श बन गयी। [[वेद]] में ये बातें तो वर्णित नहीं हैं, पर इनके उत्तम ज्ञान, तपस्या, मन्त्रज्ञान, अध्यात्मशक्ति आदि का आभास प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कण्व ऋषि|कण्व]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे? | {निम्नलिखित में से कौन [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के बड़े पुत्र थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अधिरथ]] | |||
+[[कच देवयानी|कच]] | +[[कच देवयानी|कच]] | ||
-[[अचल]] | -[[अचल]] | ||
-[[भूरिश्रवा]] | -[[भूरिश्रवा]] | ||
||देवगुरु [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] पीत वर्ण के हैं। उनके सिर पर स्वर्णमुकुट तथा गले में सुन्दर माला है। वे पीत [[वस्त्र]] धारण करते हैं तथा [[कमल]] के आसन पर विराजमान है। उनके चार हाथों में क्रमश: दण्ड, [[रुद्राक्ष]] की माला, पात्र और वरदमुद्रा सुशोभित है। देवगुरु बृहस्पति की एक पत्नी का नाम शुभा और दूसरी का [[तारा (बृहस्पति की पत्नी)|तारा]] है। शुभा से सात कन्याएँ और तारा से सात पुत्र तथा एक कन्या उत्पन्न हुई। बृहस्पति की तीसरी पत्नी ममता से [[कच देवयानी|कच]] तथा [[भारद्वाज]] नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | |||
{[[हरिद्वार]] में 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित [[तीर्थ]] का नाम क्या है? | {[[हरिद्वार]] में 2 मील दूर, [[गंगा नदी]] और नीलधारा के संगम पर स्थित [[तीर्थ]] का नाम क्या है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अनूपक]] | -[[अनूपक]] | ||
-[[काम्यकवन]] | -[[काम्यकवन]] | ||
-[[बैराट]] | -[[बैराट]] | ||
+[[कनखल]] | |||
||[[कनखल]] [[हरिद्वार]] के निकट अति प्राचीन स्थान है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[दक्ष]] प्रजापति ने अपनी राजधानी कनखल में ही वह [[यज्ञ]] किया था, जिसमें अपने पति भगवान [[शिव]] का अपमान सहन न करने के कारण दक्षकन्या [[सती]] जलकर भस्म हो गई थी। कनखल में दक्ष का मंदिर तथा यज्ञ स्थान आज भी बने हैं। [[मेघदूत]] में [[कालिदास]] ने कनखल का उल्लेख मेध की अलका-यात्रा के प्रसंग में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनखल]] | |||
{[[द्रोणाचार्य]] की पत्नी का नाम क्या था? | {[[द्रोणाचार्य]] की पत्नी का नाम क्या था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[दमयंती]] | -[[दमयंती]] | ||
-[[रेणुका]] | -[[रेणुका]] | ||
+कृपि | |||
-[[देवयानी]] | -[[देवयानी]] | ||
||[[द्रोणाचार्य]] [[भारद्वाज|भारद्वाज मुनि]] के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने [[पिता]] भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों [[वेद|वेदों]] तथा [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्रों]] के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म [[उत्तरांचल]] की राजधानी [[देहरादून]] में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे। द्रोणाचार्य का [[विवाह]] [[कृपाचार्य]] की बहिन 'कृपि' के साथ हुआ था, जिससे इन्हें पुत्ररत्न के रूप में [[अश्वत्थामा]] नामक एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]] | |||
{[[श्रीकृष्ण]] के [[रुक्मणी]] से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था? | {[[श्रीकृष्ण]] के [[रुक्मणी]] से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[भूरिश्रवा]] | |||
+चारुश्रवा | +चारुश्रवा | ||
-[[उग्रसेन राजा|उग्रसेन]] | -[[उग्रसेन राजा|उग्रसेन]] | ||
-[[जन्मेजय]] | -[[जन्मेजय]] | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 47: | ||
{निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे? | {निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[चित्ररथ]] | -[[चित्ररथ]] | ||
-[[शशबिन्दु]] | -[[शशबिन्दु]] | ||
-[[कंस]] | -[[कंस]] | ||
+[[देवक]] | |||
{महर्षि [[भृगु]] की पत्नी का नाम क्या था? | {महर्षि [[भृगु]] की पत्नी का नाम क्या था? | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 61: | ||
{वभ्रुवाहन किसका पुत्र था? | {वभ्रुवाहन किसका पुत्र था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[भीम]] | -[[भीम]] | ||
-[[युधिष्ठिर]] | -[[युधिष्ठिर]] | ||
+[[अर्जुन]] | |||
-[[नकुल]] | -[[नकुल]] | ||
{[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था? | {[[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[आर्यावर्त]] | |||
+[[ब्रह्मावर्त]] | +[[ब्रह्मावर्त]] | ||
-[[पंचनद (महाभारत)|पंचनद]] क्षेत्र | -[[पंचनद (महाभारत)|पंचनद]] क्षेत्र | ||
-[[अच्युतस्थल]] | -[[अच्युतस्थल]] | ||
पंक्ति 71: | पंक्ति 75: | ||
{निम्नलिखित में से [[द्रोणाचार्य]] के [[पिता]] कौन थे? | {निम्नलिखित में से [[द्रोणाचार्य]] के [[पिता]] कौन थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[अंगिरा]] | -[[अंगिरा]] | ||
-[[अगस्त्य]] | -[[अगस्त्य]] | ||
+[[भरद्वाज]] | |||
-[[कश्यप]] | -[[कश्यप]] | ||
{[[हरिवंश पुराण]] में तीन पर्व हैं। इन पर्वों में कुल कितने अध्याय हैं? | {[[हरिवंश पुराण]] में तीन पर्व हैं। इन पर्वों में कुल कितने अध्याय हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-321 | -321 | ||
-311 | -311 | ||
351 | 351 | ||
+318 | |||
{[[दुर्योधन]] कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था? | {[[दुर्योधन]] कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था? | ||
पंक्ति 92: | पंक्ति 96: | ||
{[[कुरुक्षेत्र]] में किस स्थान पर [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश दिया? | {[[कुरुक्षेत्र]] में किस स्थान पर [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश दिया? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[इझुला]] | |||
+ज्योतीसर | +ज्योतीसर | ||
-[[करुष]] | -[[करुष]] | ||
-[[अपरसेक]] | -[[अपरसेक]] | ||
पंक्ति 99: | पंक्ति 103: | ||
{निम्नलिखित में किस स्थान को '[[ब्रह्मा]] की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है? | {निम्नलिखित में किस स्थान को '[[ब्रह्मा]] की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[आदित्य तीर्थ]] | -[[आदित्य तीर्थ]] | ||
-[[अश्वतीर्थ]] | -[[अश्वतीर्थ]] | ||
+[[कुरुक्षेत्र]] | |||
-[[इन्द्रप्रस्थ]] | -[[इन्द्रप्रस्थ]] | ||
{[[शिखंडी]] किसके शिष्य थे? | {[[शिखंडी]] किसके शिष्य थे? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[गौतम ऋषि|गौतम]] | -[[गौतम ऋषि|गौतम]] | ||
-[[आंगिरस]] | -[[आंगिरस]] | ||
-[[वसिष्ठ]] | -[[वसिष्ठ]] | ||
+[[द्रोणाचार्य]] | |||
</quiz> | </quiz> | ||
|} | |} | ||
|} | |} | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
09:29, 5 फ़रवरी 2012 का अवतरण
महाभारत सामान्य ज्ञान
|