"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर

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-[[बैराट]]
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+[[कनखल]]
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||[[कनखल]] [[हरिद्वार]] के निकट अति प्राचीन स्थान है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[दक्ष]] प्रजापति ने अपनी राजधानी कनखल में ही वह [[यज्ञ]] किया था, जिसमें अपने पति भगवान [[शिव]] का अपमान सहन न करने के कारण दक्षकन्या [[सती]] जलकर भस्म हो गई थी। कनखल में दक्ष का मंदिर तथा यज्ञ स्थान आज भी बने हैं। [[मेघदूत]] में [[कालिदास]] ने कनखल का उल्लेख मेध की अलका-यात्रा के प्रसंग में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनखल]]
||[[चित्र:Garwhal-Gangotri-Waterfall.jpg|right|120px|गंगोत्री झरना, गढ़्वाल]][[कनखल]] [[हरिद्वार]] के निकट अति प्राचीन स्थान है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[दक्ष]] प्रजापति ने अपनी राजधानी कनखल में ही वह [[यज्ञ]] किया था, जिसमें अपने पति भगवान [[शिव]] का अपमान सहन न करने के कारण दक्षकन्या [[सती]] जलकर भस्म हो गई थी। कनखल में दक्ष का मंदिर तथा यज्ञ स्थान आज भी बने हैं। [[मेघदूत]] में [[कालिदास]] ने कनखल का उल्लेख मेध की अलका-यात्रा के प्रसंग में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कनखल]]


{[[द्रोणाचार्य]] की पत्नी का नाम क्या था?
{[[द्रोणाचार्य]] की पत्नी का नाम क्या था?
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+कृपि
+कृपि
-[[देवयानी]]
-[[देवयानी]]
||[[द्रोणाचार्य]] [[भारद्वाज|भारद्वाज मुनि]] के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने [[पिता]] भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों [[वेद|वेदों]] तथा [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्रों]] के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म [[उत्तरांचल]] की राजधानी [[देहरादून]] में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे। द्रोणाचार्य का [[विवाह]] [[कृपाचार्य]] की बहिन 'कृपि' के साथ हुआ था, जिससे इन्हें पुत्ररत्न के रूप में [[अश्वत्थामा]] नामक एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]]
||[[चित्र:Dronacharya.jpg|right|120px|द्रोणाचार्य वध]][[द्रोणाचार्य]] [[भारद्वाज|भारद्वाज मुनि]] के पुत्र थे। ये संसार के श्रेष्ठ धनुर्धर थे। द्रोण अपने [[पिता]] भारद्वाज मुनि के आश्रम में ही रहते हुये चारों [[वेद|वेदों]] तथा [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्रों]] के ज्ञान में पारंगत हो गये थे। द्रोण का जन्म [[उत्तरांचल]] की राजधानी [[देहरादून]] में बताया जाता है, जिसे 'देहराद्रोण' (मिट्टी का सकोरा) भी कहते थे। द्रोणाचार्य का [[विवाह]] [[कृपाचार्य]] की बहिन 'कृपि' के साथ हुआ था, जिससे इन्हें पुत्ररत्न के रूप में [[अश्वत्थामा]] नामक एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रोणाचार्य]]


{[[श्रीकृष्ण]] के [[रुक्मणी]] से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?
{[[श्रीकृष्ण]] के [[रुक्मणी]] से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?
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-[[उग्रसेन राजा|उग्रसेन]]
-[[उग्रसेन राजा|उग्रसेन]]
-[[जन्मेजय]]
-[[जन्मेजय]]
||[[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह 'शोणितपुर' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]]
||[[चित्र:Krishna-Arjuna.jpg|right|120px|श्रीकृष्ण तथा अर्जुन]][[श्रीकृष्ण]] की कई रानियाँ थीं। इनमें से कई रानियों को तो उनके माता-पिता ने [[विवाह]] में प्रदान किया था और शेष को कृष्ण विजय में प्राप्त कर लाये थे। सतांन-पुराणों से ज्ञात होता है कि कृष्ण के संतानों की संख्या बड़ी थी। [[रुक्मणी]] से दस पुत्र और एक कन्या थी। इनमें सबसे बड़ा [[प्रद्युम्न]] था। [[भागवत]] आदि [[पुराण|पुराणों]] में कृष्ण के गृहस्थ-जीवन तथा उनकी दैनिक चर्या का हाल विस्तार से मिलता है। प्रद्युम्न के पुत्र [[अनिरुद्ध]] का विवाह 'शोणितपुर' के राजा [[बाणासुर]] की पुत्री [[ऊषा]] के साथ हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्रीकृष्ण]]


{निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे?
{निम्नलिखित में से कौन [[श्रीकृष्ण]] के [[नाना]] थे?
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-[[पंचनद (महाभारत)|पंचनद]] क्षेत्र
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-[[अच्युतस्थल]]
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||[[वैदिक काल|वैदिक]] तथा परवर्ती काल में [[ब्रह्मावर्त]] [[पंजाब]] का वह भाग था, जो [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के मध्य में स्थित था। मेकडानेल्ड के अनुसार- दृषद्वती वर्तमान '[[घग्घर नदी|घग्घर]]' या 'घागरा' है। प्राचीन काल में यह [[यमुना नदी|यमुना]] और सरस्वती नदियों के बीच में बहती थी। [[कालिदास]] ने [[मेघदूत]] में [[महाभारत]] की युद्धस्थली [[कुरुक्षेत्र]] को 'ब्रह्मावर्त' में माना है। अगले पद्य 51 में कालिदास ने ब्रह्मावर्त में सरस्वती नदी का वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मावर्त]]
||[[चित्र:Saraswati-River.png|right|120px|सरस्वती नदी]][[वैदिक काल|वैदिक]] तथा परवर्ती काल में [[ब्रह्मावर्त]] [[पंजाब]] का वह भाग था, जो [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] और [[दृषद्वती नदी|दृषद्वती]] नदियों के मध्य में स्थित था। मेकडानेल्ड के अनुसार- दृषद्वती वर्तमान '[[घग्घर नदी|घग्घर]]' या 'घागरा' है। प्राचीन काल में यह [[यमुना नदी|यमुना]] और सरस्वती नदियों के बीच में बहती थी। [[कालिदास]] ने [[मेघदूत]] में [[महाभारत]] की युद्धस्थली [[कुरुक्षेत्र]] को 'ब्रह्मावर्त' में माना है। अगले पद्य 51 में कालिदास ने ब्रह्मावर्त में सरस्वती नदी का वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ब्रह्मावर्त]]


{निम्नलिखित में से [[द्रोणाचार्य]] के [[पिता]] कौन थे?
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||सम्पूर्ण [[महाभारत]] 18 पर्वों में विभक्त है। कई पर्व बहुत बड़े हैं और कई पर्व बहुत छोटे। अध्यायों में भी श्लोकों की संख्या अनियत है। किन्हीं अध्यायों में 50 से भी कम [[श्लोक]] हैं और किन्हीं-किन्हीं में संख्या 200 से भी अधिक है। लक्षश्लोकात्मक महाभारत की सम्पूर्ति के लिए इन 18 पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में 3 पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 श्लोक हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]
||[[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण]]सम्पूर्ण [[महाभारत]] 18 पर्वों में विभक्त है। कई पर्व बहुत बड़े हैं और कई पर्व बहुत छोटे। अध्यायों में भी श्लोकों की संख्या अनियत है। किन्हीं अध्यायों में 50 से भी कम [[श्लोक]] हैं और किन्हीं-किन्हीं में संख्या 200 से भी अधिक है। लक्षश्लोकात्मक महाभारत की सम्पूर्ति के लिए इन 18 पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में 3 पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 श्लोक हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]]


{[[दुर्योधन]] कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था?
{[[दुर्योधन]] कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था?
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-[[करुष]]
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-[[अपरसेक]]
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||[[कुरुक्षेत्र]] [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], [[यमुनानगर ज़िला|यमुना नगर]], [[करनाल]] और [[कैथल]] से घिरा हुवा है। माना जाता है कि यहीं [[महाभारत]] की लड़ाई हुई थी और भगवान [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश यहीं पर 'ज्योतीसर' नामक स्थान पर दिया था। यह ज़िला 'बासमती चावल' के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]]
||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|120px|कृष्ण तथा अर्जुन]][[कुरुक्षेत्र]] [[हरियाणा]] राज्य का एक प्रमुख ज़िला है। यह हरियाणा के उत्तर में स्थित है तथा [[अम्बाला]], [[यमुनानगर ज़िला|यमुना नगर]], [[करनाल]] और [[कैथल]] से घिरा हुवा है। माना जाता है कि यहीं [[महाभारत]] की लड़ाई हुई थी और भगवान [[कृष्ण]] ने [[अर्जुन]] को [[गीता]] का उपदेश यहीं पर 'ज्योतीसर' नामक स्थान पर दिया था। यह ज़िला 'बासमती चावल' के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र का पौराणिक महत्त्व अधिक माना जाता है। इसका [[ऋग्वेद]] और [[यजुर्वेद]] में अनेक स्थानो पर वर्णन किया गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]]


{निम्नलिखित में किस स्थान को '[[ब्रह्मा]] की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है?
{निम्नलिखित में किस स्थान को '[[ब्रह्मा]] की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है?

11:08, 5 फ़रवरी 2012 का अवतरण

महाभारत सामान्य ज्ञान

1 शकुंतला के पोषक पिता का नाम क्या था?

कण्व
भृगु
कर्दम
गौतम

2 निम्नलिखित में से कौन बृहस्पति के बड़े पुत्र थे?

अधिरथ
कच
अचल
भूरिश्रवा

3 हरिद्वार में 2 मील दूर, गंगा नदी और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है?

अनूपक
काम्यकवन
बैराट
कनखल

4 द्रोणाचार्य की पत्नी का नाम क्या था?

दमयंती
रेणुका
कृपि
देवयानी

5 श्रीकृष्ण के रुक्मणी से उत्पन्न पुत्र का नाम क्या था?

भूरिश्रवा
प्रद्युम्न
उग्रसेन
जन्मेजय

6 निम्नलिखित में से कौन श्रीकृष्ण के नाना थे?

चित्ररथ
शशबिन्दु
कंस
देवक

7 महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था?

पुलोमा
अनुसूया
दिति
अरुन्धती

8 वभ्रुवाहन किसका पुत्र था?

भीम
युधिष्ठिर
अर्जुन
नकुल

9 सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था?

आर्यावर्त
ब्रह्मावर्त
पंचनद क्षेत्र
अच्युतस्थल

10 निम्नलिखित में से द्रोणाचार्य के पिता कौन थे?

अंगिरा
अगस्त्य
भारद्वाज
कश्यप

11 हरिवंश पुराण में तीन पर्व हैं। इन पर्वों में कुल कितने अध्याय हैं?

321
311
318

12 दुर्योधन कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था?

11 अक्षौहिणी
10 अक्षौहिणी
9 अक्षौहिणी
7 अक्षौहिणी

13 कुरुक्षेत्र में किस स्थान पर कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया?

इझुला
ज्योतीसर
करुष
अपरसेक

14 निम्नलिखित में किस स्थान को 'ब्रह्मा की यज्ञीय वेदी' कहा जाता है?

आदित्य तीर्थ
अश्वतीर्थ
कुरुक्षेत्र
इन्द्रप्रस्थ