"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/3": अवतरणों में अंतर
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||ब्राह्मण-काल में अत्यन्त पुनीत नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] [[कुरुक्षेत्र]] से होकर ही बहती थी, जहाँ यह मरुभूमि में अन्तर्हित हो गयी थी उसे 'विनशन' कहा जाता था और वहाँ भी एक [[तीर्थ स्थान]] था। आरम्भिक रूप में कुरुक्षेत्र '[[ब्रह्मा]] की यज्ञिय वेदी' कहा जाता था। आगे चलकर इसे 'समन्तपञ्चक' कहा गया। जबकि [[परशुराम]] ने अपने [[पिता]] की हत्या के प्रतिशोध में [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के [[रक्त]] से पाँच कुण्ड बना डाले, जो [[पितर|पितरों]] के आशीर्वचनों से कालान्तर में पाँच पवित्र जलाशयों में परिवर्तित हो गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]] | ||[[चित्र:Krishna-arjun1.jpg|right|120px|कृष्ण तथा अर्जुन]]ब्राह्मण-काल में अत्यन्त पुनीत नदी [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] [[कुरुक्षेत्र]] से होकर ही बहती थी, जहाँ यह मरुभूमि में अन्तर्हित हो गयी थी उसे 'विनशन' कहा जाता था और वहाँ भी एक [[तीर्थ स्थान]] था। आरम्भिक रूप में कुरुक्षेत्र '[[ब्रह्मा]] की यज्ञिय वेदी' कहा जाता था। आगे चलकर इसे 'समन्तपञ्चक' कहा गया। जबकि [[परशुराम]] ने अपने [[पिता]] की हत्या के प्रतिशोध में [[क्षत्रिय|क्षत्रियों]] के [[रक्त]] से पाँच कुण्ड बना डाले, जो [[पितर|पितरों]] के आशीर्वचनों से कालान्तर में पाँच पवित्र जलाशयों में परिवर्तित हो गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुरुक्षेत्र]] | ||
{[[शिखंडी]] किसके शिष्य थे? | {[[शिखंडी]] किसके शिष्य थे? |
11:23, 5 फ़रवरी 2012 का अवतरण
महाभारत सामान्य ज्ञान
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