"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
| style="background:transparent;"| | | style="background:transparent;"| | ||
{| style="background:transparent; width:100%" | {| style="background:transparent; width:100%" | ||
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय | |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | ||
|- | |- | ||
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}} | {{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}} | ||
{| style="background:transparent; width:100%" align="left" | {| style="background:transparent; width:100%" align="left" | ||
|- valign="top" | |- valign="top" | ||
| | | | ||
<poem> | <poem> | ||
[[भारतकोश सम्पादकीय | [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|सफलता का शॉर्ट-कट]] | ||
जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अप्रॅल 2012|पूरा पढ़ें]] | |||
</poem> | </poem> | ||
<center> | <center> | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 17: | ||
|- | |- | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय | | [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अप्रॅल 2012|एक महान डाकू की शोक सभा]] · | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय | | [[भारतकोश सम्पादकीय 7 अप्रॅल 2012|सत्ता का रंग]] | ||
|}</center> | |}</center> | ||
|} | |} | ||
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude> | |}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude> |
14:38, 21 अप्रैल 2012 का अवतरण
|