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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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[[भारतकोश सम्पादकीय 26 मई 2012|कुछ तो कह जाते]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|लेकिन एक रिटेक और लेते हैं]]
         सीधी सी बात है अगर आपके पास कुछ 'कहने' को है तो आप बोल सकते हैं। यदि कुछ कहने को नहीं है तो बोलना तो क्या मंच पर खड़ा होना भी मुश्किल है। दुनियाँ में तमाम तरह के फ़ोबिया (डर) हैं जिनमें से सबसे बड़ा फ़ोबिया भाषण देना है, इसे ग्लोसोफ़ोबिया (Glossophobia) कहते हैं। यूनानी (ग्रीक) भाषा में जीभ को 'ग्लोसा' कहते हैं इसलिए इसका नाम भी ग्लोसोफ़ोबिया है। [[भारतकोश सम्पादकीय 26 मई 2012|पूरा पढ़ें]]
         प्यार-मुहब्बत के विषय पर हॉलीवुड में 'कासाब्लान्का' फ़िल्म को एक अधूरी प्रेम कहानी के बेजोड़ प्रस्तुति माना गया। इस फ़िल्म ने इंग्रिड बर्गमॅन को अभिनेत्री के रूप में सिनेमा-आकाश के शिखर पर पहुँचा दिया। इंग्रिड बर्गमॅन ने ढलती उम्र में इंगार बर्गमॅन की स्वीडिश फ़िल्म 'ऑटम सोनाटा' में भी उत्कृष्ठ अभिनय किया। यह फ़िल्म दो व्यक्तियों के परस्पर संवाद, अंतर्द्वंद, पश्चाताप, आत्मस्वीकृति, आरोप-प्रत्यारोप का सजीवतम चित्रण थी।। [[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 19 मई 2012|दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान]] ·
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 12 मई 2012|काम की खुन्दक]]
| [[भारतकोश सम्पादकीय 19 मई 2012|दोस्ती-दुश्मनी और मान-अपमान]]
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17:13, 2 जून 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

लेकिन एक रिटेक और लेते हैं
        प्यार-मुहब्बत के विषय पर हॉलीवुड में 'कासाब्लान्का' फ़िल्म को एक अधूरी प्रेम कहानी के बेजोड़ प्रस्तुति माना गया। इस फ़िल्म ने इंग्रिड बर्गमॅन को अभिनेत्री के रूप में सिनेमा-आकाश के शिखर पर पहुँचा दिया। इंग्रिड बर्गमॅन ने ढलती उम्र में इंगार बर्गमॅन की स्वीडिश फ़िल्म 'ऑटम सोनाटा' में भी उत्कृष्ठ अभिनय किया। यह फ़िल्म दो व्यक्तियों के परस्पर संवाद, अंतर्द्वंद, पश्चाताप, आत्मस्वीकृति, आरोप-प्रत्यारोप का सजीवतम चित्रण थी।। पूरा पढ़ें

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