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करी पत्ता अत्यन्त पौष्टिक तथा [[कैल्शियम]], [[फॉस्फोरस]], लौह, [[प्रोटीन]] और [[विटामिन]] ए, विटामिन बी-1, विटामिन बी-2, नियासीन और विटामिन `सी´ का श्रेष्ठ स्रोत है। करी पत्ता पाचन-सम्बंधी विकारों के उपचार में अत्यन्त उपयोगी है। करी पत्ते को [[मधुमेह]] के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। करी पत्ता जलन, [[बवासीर]] (अर्श), कृमि (कीड़े), सूजन कोढ़, भूत-बाधा और जहर को नष्ट करने वाले जैसे रोगों के लिए भी उपयोगी है। | करी पत्ता अत्यन्त पौष्टिक तथा [[कैल्शियम]], [[फॉस्फोरस]], लौह, [[प्रोटीन]] और [[विटामिन]] ए, विटामिन बी-1, विटामिन बी-2, नियासीन और विटामिन `सी´ का श्रेष्ठ स्रोत है। करी पत्ता पाचन-सम्बंधी विकारों के उपचार में अत्यन्त उपयोगी है। करी पत्ते को [[मधुमेह]] के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। करी पत्ता जलन, [[बवासीर]] (अर्श), कृमि (कीड़े), सूजन कोढ़, भूत-बाधा और जहर को नष्ट करने वाले जैसे रोगों के लिए भी उपयोगी है। |
01:38, 4 जून 2012 का अवतरण

करी पत्ता को मीठा नीम भी कहा जाता है और इन्हें बगीचों में भी उगाया जाता है। करी पत्ते के पेड़ केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, बिहार और हिमालय में कुमाऊं और सिक्किम में पाये जाते हैं।
उपयोग
मीठा नीम (करी पत्ता) एक प्रकार का पौधा है, जिसकी पत्तियों का प्रयोग सब्जी में तड़का लगाने में, चटनी पाउडर और चटनी बनाने के लिए भी किया जाता है। करी पत्ते की ताजी पत्तियों से जो ख़ुशबू मिलती है, वह सूखी पत्तियों से नहीं मिल पाती है। करी पत्ता को केरपेला, कटनीम, बाउला आदि नामों से भी जाना जाता है।

अत्यन्त गुणकारी
करी पत्ता अत्यन्त पौष्टिक तथा कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, प्रोटीन और विटामिन ए, विटामिन बी-1, विटामिन बी-2, नियासीन और विटामिन `सी´ का श्रेष्ठ स्रोत है। करी पत्ता पाचन-सम्बंधी विकारों के उपचार में अत्यन्त उपयोगी है। करी पत्ते को मधुमेह के उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता है। करी पत्ता जलन, बवासीर (अर्श), कृमि (कीड़े), सूजन कोढ़, भूत-बाधा और जहर को नष्ट करने वाले जैसे रोगों के लिए भी उपयोगी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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