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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | |||
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[[चित्र:Anti.jpg|border|right|120px|link=भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012]] | |||
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[[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|लक्ष्य और साधना]] | |||
जब सब ध्यानमग्न हो गए तो स्वामी जी ने एक पास में रखा हुआ डंडा उठाया और एक डंडा उस नौजवान संन्यासी की पीठ पर मारा, जब उसने आँखें खोली तो दो-तीन डण्डे और जमा दिए। वह एकदम उत्तेजित और परेशान हो गया। उसके साथ में जो तीन-चार लोग थे, वह भी एकदम से चौंक गए। वो खड़े हुए और कहने लगे- | |||
"ये आप क्या रहे हैं ? आपने इस तरह से क्यों पीटना शुरू कर दिया ? [[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|पूरा पढ़ें]] | |||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|लेकिन एक रिटेक और लेते हैं]] · | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 26 मई 2012|कुछ तो कह जाते]] | |||
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|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude> |
12:00, 10 जून 2012 का अवतरण
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