"प्रयोग:गोविन्द4": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(पन्ने को खाली किया)
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
<noinclude>{| width="49%" align="left" cellpadding="5" cellspacing="5"
|-</noinclude>
| style="background:transparent;"|
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
|- valign="top"
|
[[चित्र:Anti.jpg|border|right|120px|link=भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012]]
<poem>
[[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|लक्ष्य और साधना]]
        जब सब ध्यानमग्न हो गए तो स्वामी जी ने एक पास में रखा हुआ डंडा उठाया और एक डंडा उस नौजवान संन्यासी की पीठ पर मारा, जब उसने आँखें खोली तो दो-तीन डण्डे और जमा दिए। वह एकदम उत्तेजित और परेशान हो गया। उसके साथ में जो तीन-चार लोग थे, वह भी एकदम से चौंक गए। वो खड़े हुए और कहने लगे-
"ये आप क्या रहे हैं ? आपने इस तरह से क्यों पीटना शुरू कर दिया ? [[भारतकोश सम्पादकीय 10 जून 2012|पूरा पढ़ें]]
</poem>
<center>
{| style="margin:0; background:transparent" cellspacing="3"
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 2 जून 2012|लेकिन एक रिटेक और लेते हैं]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 26 मई 2012|कुछ तो कह जाते]]
|}</center>
|}
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

12:00, 10 जून 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

लक्ष्य और साधना
        जब सब ध्यानमग्न हो गए तो स्वामी जी ने एक पास में रखा हुआ डंडा उठाया और एक डंडा उस नौजवान संन्यासी की पीठ पर मारा, जब उसने आँखें खोली तो दो-तीन डण्डे और जमा दिए। वह एकदम उत्तेजित और परेशान हो गया। उसके साथ में जो तीन-चार लोग थे, वह भी एकदम से चौंक गए। वो खड़े हुए और कहने लगे-
"ये आप क्या रहे हैं ? आपने इस तरह से क्यों पीटना शुरू कर दिया ? पूरा पढ़ें

पिछले लेख लेकिन एक रिटेक और लेते हैं · कुछ तो कह जाते