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[[चित्र:Jugad-2.jpg|border|right|110px|link=भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012]]
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[[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|कहता है जुगाड़ सारा ज़माना]]
          "मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि इण्डिया जा रहे हो तो चुपचाप ताजमहल देखकर वापस आ जाना। लेकिन तुम नहीं माने।"
"सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?"
"उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। [[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 25 जून 2012|विज्ञापन लोक]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 17 जून 2012|चमचारथी]]
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15:05, 1 जुलाई 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

कहता है जुगाड़ सारा ज़माना
          "मैं पिछले साल इंडिया गया था। वहाँ से मैं ये रसगुल्ला और समोसा लेकर आया। अब तुम मुझे बताओ कि इस रसगुल्ले के अन्दर रस कैसे आया और इस समोसे के अन्दर आलू कैसे आया? अब तुम्हारी पूरी ज़िन्दगी यही सोचते हुए निकलेगी कि जलेबी में रस कैसे घुसा...मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि इण्डिया जा रहे हो तो चुपचाप ताजमहल देखकर वापस आ जाना। लेकिन तुम नहीं माने।"
"सर, मैंने ये इंडिया में भी पूछा था कि ये कैसे होता है? तो उन्होंने एक कोई टेक्नीक का नाम लिया... क्या नाम लिया था...?"
"उस टेक्नीक का नाम है 'जुगाड़'... यही है ना ?" बॉस ने बुझे स्वर में कहा। पूरा पढ़ें

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