"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर
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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय | |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | ||
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[[चित्र: | [[चित्र:Ship-sink.jpg|border|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012]] | ||
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[[भारतकोश सम्पादकीय | [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|शर्मदार की मौत]] | ||
जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सीखना। तीसरा याने प्रेम से सीखने वाला तरीक़ा सबसे अधिक सहज और प्रभावशाली होता है। [[भारतकोश सम्पादकीय 16 जुलाई 2012|पूरा पढ़ें]] | |||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | | [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] → | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय | | [[भारतकोश सम्पादकीय 8 जुलाई 2012|मानसून का शंख]] · | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय | | [[भारतकोश सम्पादकीय 1 जुलाई 2012|कहता है जुगाड़ सारा ज़माना]] | ||
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09:17, 16 जुलाई 2012 का अवतरण
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