"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर
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[[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|ईमानदारी की क़ीमत]] | [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|ईमानदारी की क़ीमत]] | ||
"देखिए सर ! पॉपुलर होने के बहुत सारे तरीक़े हैं पॉलिटिक्स में लेकिन जो आजकल सबसे ज़्यादा अच्छा माना जाता है और सबसे ज़्यादा हिट भी है, वो है 'स्कॅम पॉपुलरटी' याने 'घोटाला फ़ेम'। अगर आपके ऊपर कोई भ्रष्टाचार का आरोप लग जाये तो लोग जान जाएँगे कि आप भी मंत्री हैं... आपका नाम क्या है... आपके रिश्तेदार कौन-कौन हैं... मतलब ये कि आपको बच्चा-बच्चा जान जाएगा... आपको तो क्या आपकी सात पुश्तों को भी लोग जान जाएँगे... वैसे और भी कई तरीक़े हैं... लेकिन जो मुझे भी सही लगता है वो मैंने आपको बताया है।" [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|पूरा पढ़ें]] | "देखिए सर ! पॉपुलर होने के बहुत सारे तरीक़े हैं पॉलिटिक्स में लेकिन जो आजकल सबसे ज़्यादा अच्छा माना जाता है और सबसे ज़्यादा हिट भी है, वो है 'स्कॅम पॉपुलरटी' याने 'घोटाला फ़ेम'। अगर आपके ऊपर कोई भ्रष्टाचार का आरोप लग जाये तो लोग जान जाएँगे कि आप भी मंत्री हैं... आपका नाम क्या है... आपके रिश्तेदार कौन-कौन हैं... मतलब ये कि आपको बच्चा-बच्चा जान जाएगा... आपको तो क्या आपकी सात पुश्तों को भी लोग जान जाएँगे... वैसे और भी कई तरीक़े हैं... लेकिन जो मुझे भी सही लगता है वो मैंने आपको बताया है।" [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|...पूरा पढ़ें]] | ||
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06:28, 21 अगस्त 2012 का अवतरण
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