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[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|यादों का फंडा]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|यादों का फंडा]]
           कुल-मिलाकर हमारी कहानी की हिरोइन पिंकी ने अपने बॉयफ्रेंड पिंकू को भुलाने की पूरी कोशिश की लेकिन जितना ज़्यादा भुलाने की कोशिश की जा रही थी उतनी ही पिंकू की याद और मजबूत होती जा रही थी। पिंकू को भुलाने की कोशिश ही उसको याद करना बनता जा रहा था। दिन-रात पिंकी के दिमाग में पिंकू का चेहरा, पिंकू की बातें वग़ैरा-वग़ैरा चलती रहती थीं। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|...पूरा पढ़ें]]
           मस्तिष्क को वैज्ञानिकों ने एक कम्प्यूटर की तरह मानकर ही इसका अध्ययन किया है और यह अध्ययन लगातार जारी है। वैज्ञानिक मस्तिष्क की याददाश्त की क्षमता को अद्‌भुत मानते हैं और यह भी प्रमाणित है कि मस्तिष्क को जितने भी संदेश मिलते हैं वह उन्हें संचित कर लेता है। किंतु हिप्पोकॅम्पस में संचित इन संदेशों को पुन: प्रस्तुत करने के लिए मनुष्य के पास कोई सुगम प्रणाली नहीं होती। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|...पूरा पढ़ें]]
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13:58, 21 अगस्त 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

यादों का फंडा
          मस्तिष्क को वैज्ञानिकों ने एक कम्प्यूटर की तरह मानकर ही इसका अध्ययन किया है और यह अध्ययन लगातार जारी है। वैज्ञानिक मस्तिष्क की याददाश्त की क्षमता को अद्‌भुत मानते हैं और यह भी प्रमाणित है कि मस्तिष्क को जितने भी संदेश मिलते हैं वह उन्हें संचित कर लेता है। किंतु हिप्पोकॅम्पस में संचित इन संदेशों को पुन: प्रस्तुत करने के लिए मनुष्य के पास कोई सुगम प्रणाली नहीं होती। ...पूरा पढ़ें

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