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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
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[[चित्र:Hippocampus-brain.jpg|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012]]
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[[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|यादों का फंडा]]
          मस्तिष्क को वैज्ञानिकों ने एक कम्प्यूटर की तरह मानकर ही इसका अध्ययन किया है और यह अध्ययन लगातार जारी है। वैज्ञानिक मस्तिष्क की याददाश्त की क्षमता को अद्‌भुत मानते हैं और यह भी प्रमाणित है कि मस्तिष्क को जितने भी संदेश मिलते हैं वह उन्हें संचित कर लेता है। किंतु हिप्पोकॅम्पस में संचित इन संदेशों को पुन: प्रस्तुत करने के लिए मनुष्य के पास कोई सुगम प्रणाली नहीं होती। [[भारतकोश सम्पादकीय 21 अगस्त 2012|...पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 14 अगस्त 2012|ईमानदारी की क़ीमत]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 31 जुलाई 2012|मौसम है ओलम्पिकाना]]
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