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[[चित्र:Krishn-title.jpg|right|130px|link=भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012]]
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[[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|चौकोर फ़ुटबॉल]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|चौकोर फ़ुटबॉल]]
             छोटे पहलवान की तो मौज आ गई। अच्छा खाना-पीना मिलने लगा तो पहलवान की सेहत और अच्छी हो गई। सेठ भी बेखटके अपनी व्यापारिक यात्राएँ करने लगा। एक दिन शाम के झुटपुटे में सेठ की गाड़ी को कुछ लुटेरों ने घेर लिया और गाड़ी को लूट लिया। सेठ ने देखा कि इस पूरे हादसे में पहलवान कुछ नहीं बोला और एक तरफ़ जा कर बैठ गया। [[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|...पूरा पढ़ें]]
             ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। [[भारतकोश सम्पादकीय 22 सितम्बर 2012|...पूरा पढ़ें]]
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14:57, 22 सितम्बर 2012 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

चौकोर फ़ुटबॉल
             ये दुनिया जितनी भी तरक़्क़ी कर रही है वह पहली श्रेणी वाले लोगों के कारण कर रही है और दुनिया में व्यवस्था संभालने का ज़िम्मा उनका है जो दूसरी श्रेणी के लोग हैं, अब रह जाते हैं तीसरी श्रेणी के लोग... तो आप ख़ुद ही सोच सकते हैं कि वे किस श्रेणी में आते हैं। ये लोग होते हैं चौकोर फ़ुटबॉल। ...पूरा पढ़ें

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