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| '''आखिरी आवाज''' [[रांगेय राघव]], जिन्हें [[हिन्दी साहित्य]] का शिरोमणि माना जा सकता है, द्वारा रचित एक प्रसिद्ध उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन 'राजपाल प्रकाशन' द्वारा किया गया था।
| | #REDIRECT [[आखिरी आवाज़ -रांगेय राघव]] |
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| *रांगेय राघव का यह उपन्यास [[1 जनवरी]], [[2009]] को प्रकाशित हुआ था।
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| *राघव जी ने साहित्य की विविध विधाओं के लिए अमूल्य योगदान दिया है।
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| *कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास, आलोचना तथा [[इतिहास]] आदि से सम्बद्ध अनेक बहुमूल्य रचनाएँ रांगेय राघव ने लिखीं।
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| *अपने उपन्यास 'आखिरी आवाज़' में उन्होंने समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और घूसखोरी की कलई खोली है। सरल और सहज शैली में लिखा गया उनका यह उपन्यास पाठक का भरपूर मनोरंजन करता है।
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| 'आखिरी आवाज' ([[1962]]) की भूमिका में लेखक ने प्रकट किया है कि- 'आज भी समाज में संघर्ष होता है और पुराने और नये संस्कारों का संघर्ष होता है। मेरा नार्यन संघर्ष का जीवन्त स्वरूप है। मैंने इतिहास संबंधी उपन्यास लिखे हैं और सामाजिक भी। कथा साहित्य को एक नया विकास देने की ओर मेरी चेष्टा रही है। यह उपन्यास उसी कड़ी का है।' इस उपन्यास में लेखक ने बताया है कि 'व्यक्ति का व्यक्तित्व युग से समन्वित होकर भी आदर्श के बिजन में सीमित नहीं हो जाता।' इस उपन्यास में एक बलात्कार और हत्या के मुकदमे के इर्द-गिर्द कथा घुमती है। उस कथा के माध्यम से स्वातन्त्र्योत्तर [[भारत]] में नायक दल के नेताओं और सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी का भण्डाफोड़ होने के कारण इसको समाजवादी उपन्यास की संज्ञा नहीं दे सकते। घटना प्रधान उपन्यास होने के कारण वस्तु और चरित्र की दृष्टि से यह उपन्यास कोई नयी उपलब्धि नहीं दे पाता।<ref>{{cite web |url=http://www.favreads.in/reviews.php?id_product=2573&id_product_comment=18&action=view#.UP-GjvKBWSo |title=आखिरी आवाज|accessmonthday=23 जनवरी|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==बाहरी कड़ियाँ==
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:उपन्यास]][[Category:गद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]]
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