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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय | |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | ||
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय | <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|ग़रीबी का दिमाग़]]</center> | ||
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तम्बू में सन्नाटा हो गया, सब एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे। जब कोई कुछ नहीं बोला तो पहले ग़रीब की हाईस्कूल पास पत्नी अचानक बोल पड़ी- | |||
" | "ठीक कह रहे हैं बाबू जी, ग़रीबी हमारे दिमाग़ में है... आप लोगों के दिमाग़ में नहीं... अगर हमारी ग़रीबी आपके दिमाग़ में भी होती तो हम ग़रीब नहीं होते..." [[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|...पूरा पढ़ें]] | ||
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| [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]] · | |||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]] · | | [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]] · | ||
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मई 2013|सभ्य जानवर]] | | [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मई 2013|सभ्य जानवर]] | ||
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14:08, 11 अगस्त 2013 का अवतरण
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