"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Pratapgarh-district-map.jpg|right|100px|मानचित्र में प्रतापगढ़ ज़िला]]'प्रतापगढ़' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को 'बेला', 'बेल्हा', 'परतापगढ़',या 'प्रताबगढ़' भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह [[सुल्तानपुर ज़िला|ज़िला सुल्तानपुर]] एवं [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद ज़िले]] के उत्तर, [[जौनपुर ज़िला|जौनपुर ज़िले]] के पूर्व, [[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर ज़िले]] के पश्चिम और [[रायबरेली ज़िला|रायबरेली ज़िले]] के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश के '[[किसान आन्दोलन]]' को [[1920]] के दशक में सर्वाधिक मजबूती बाबा रामचन्द्र ने प्रदान की थी। उनके व्यक्तिगत प्रयासों से ही [[17 अक्टूबर]], [[1920]] को प्रतापगढ़ ज़िले में '[[अवध किसान सभा]]' का गठन किया गया था। प्रतापगढ़ ज़िले का 'खरगाँव' किसान सभा की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। इस संगठन को [[जवाहरलाल नेहरू]] ने दिशा निर्देश दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] | ||[[चित्र:Pratapgarh-district-map.jpg|right|100px|मानचित्र में प्रतापगढ़ ज़िला]]'प्रतापगढ़' भारतीय राज्य [[उत्तर प्रदेश]] का एक ज़िला है। प्रतापगढ़ को 'बेला', 'बेल्हा', 'परतापगढ़',या 'प्रताबगढ़' भी कहा जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह [[सुल्तानपुर ज़िला|ज़िला सुल्तानपुर]] एवं [[इलाहाबाद ज़िला|इलाहाबाद ज़िले]] के उत्तर, [[जौनपुर ज़िला|जौनपुर ज़िले]] के पूर्व, [[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर ज़िले]] के पश्चिम और [[रायबरेली ज़िला|रायबरेली ज़िले]] के उत्तर-पूर्व से घिरा हुआ है। उत्तर प्रदेश के '[[किसान आन्दोलन]]' को [[1920]] के दशक में सर्वाधिक मजबूती बाबा रामचन्द्र ने प्रदान की थी। उनके व्यक्तिगत प्रयासों से ही [[17 अक्टूबर]], [[1920]] को प्रतापगढ़ ज़िले में '[[अवध किसान सभा]]' का गठन किया गया था। प्रतापगढ़ ज़िले का 'खरगाँव' किसान सभा की गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र था। इस संगठन को [[जवाहरलाल नेहरू]] ने दिशा निर्देश दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्रतापगढ़ ज़िला|प्रतापगढ़]] | ||
{अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में [[राष्ट्रपति]] कैसे पदमुक्त होता है? | {अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में [[राष्ट्रपति]] कैसे पदमुक्त होता है? | ||
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||[[चित्र:Bhairosingh-Shekhawat.jpg|right|100px|राष्ट्रपति]][[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] का चुनाव 'अप्रत्यक्ष निर्वाचन' के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति पद के निर्वाचन में अभ्यर्थी होने के लिए आवश्यक है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन के लिए अपना नामांकन करते समय 15,000 रुपये की ज़मानत धनराशि निर्वाचन अधिकारी के समक्ष जमा करे। उसके नामांकन पत्र का प्रस्ताव कम से कम 50 मतदाताओं के द्वारा तथा इतने ही मतदाताओं द्वारा उसके नामांकन पत्र का समर्थन भी किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 56 के अनुसार राष्ट्रपति अपने पदग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहता है, लेकिन इस पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व भी वह [[उपराष्ट्रपति]] को अपना त्यागपत्र दे सकता है या उसे पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व [[संविधान]] के उल्लंघन के लिए [[संसद]] द्वारा लगाये गये 'महाभियोग' द्वारा हटाया जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]], [[संविधान]] | ||[[चित्र:Bhairosingh-Shekhawat.jpg|right|100px|राष्ट्रपति]][[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] का चुनाव 'अप्रत्यक्ष निर्वाचन' के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति पद के निर्वाचन में अभ्यर्थी होने के लिए आवश्यक है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन के लिए अपना नामांकन करते समय 15,000 रुपये की ज़मानत धनराशि निर्वाचन अधिकारी के समक्ष जमा करे। उसके नामांकन पत्र का प्रस्ताव कम से कम 50 मतदाताओं के द्वारा तथा इतने ही मतदाताओं द्वारा उसके नामांकन पत्र का समर्थन भी किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 56 के अनुसार राष्ट्रपति अपने पदग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहता है, लेकिन इस पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व भी वह [[उपराष्ट्रपति]] को अपना त्यागपत्र दे सकता है या उसे पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व [[संविधान]] के उल्लंघन के लिए [[संसद]] द्वारा लगाये गये 'महाभियोग' द्वारा हटाया जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]], [[संविधान]] | ||
{जाति, सम्प्रदाय एवं अन्य आधारों पर गठित क्षेत्रीय दलों की संख्या किस राज्य में सर्वाधिक है? | {जाति, सम्प्रदाय एवं अन्य आधारों पर गठित क्षेत्रीय दलों की संख्या किस राज्य में सर्वाधिक है? | ||
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-[[दयानन्द सरस्वती]] | -[[दयानन्द सरस्वती]] | ||
||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|right|100px|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका भारतीय दर्शनशास्त्र में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। इन्होंने [[भारत]] में '[[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी|कम्युनिस्ट पार्टी]]' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] ई. में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी इन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह वर्ष की सज़ा हुई थी। राय मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विशेष महत्त्व देते थे, क्योंकि उनके विचार में इस स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति वास्तव में सुखी नहीं हो सकता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]] | ||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|right|100px|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका भारतीय दर्शनशास्त्र में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। इन्होंने [[भारत]] में '[[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी|कम्युनिस्ट पार्टी]]' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] ई. में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी इन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह वर्ष की सज़ा हुई थी। राय मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विशेष महत्त्व देते थे, क्योंकि उनके विचार में इस स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति वास्तव में सुखी नहीं हो सकता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]] | ||
{भारत की आज़ादी से पूर्व [[कांग्रेस]] का विभाजन किस वर्ष हुआ? | {भारत की आज़ादी से पूर्व [[कांग्रेस]] का विभाजन किस वर्ष हुआ? | ||
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-[[1942]] | -[[1942]] | ||
||[[चित्र:INC-Flag.jpg|right|100px|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्वज ]]'[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में दोपहर बारह बजे [[बम्बई]] में 'गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज' के भवन में की गई थी। इसके संस्थापक 'आक्टेवियन ह्यूम' और प्रथम अध्यक्ष [[व्योमेश चन्द्र बनर्जी]] बनाये गए थे। 'भारतीय राष्ट्रीय संघ' (कांग्रेस की पूर्वगामी संस्था) की स्थापना का विचार सर्वप्रथम [[लॉर्ड डफ़रिन]] के दिमाग में आया था। [[कांग्रेस]] के प्रथम अधिवेशन में [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] ने हिस्सा नहीं लिया। [[1916]] ई. में [[लाला लाजपत राय]] ने 'यंग इण्डिया' में एक लेख में लिखा- "कांग्रेस लॉर्ड डफ़रिन के दिमाग की उपज है।" [[भारत]] की आज़ादी से पूर्व [[1941]] तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमों में विभाजित हो गई, जिसमें एक खेमे के समर्थक [[बाल गंगाधर तिलक]] और दुसरे खेमे में [[मोतीलाल नेहरू]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] | ||[[चित्र:INC-Flag.jpg|right|100px|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्वज ]]'[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में दोपहर बारह बजे [[बम्बई]] में 'गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज' के भवन में की गई थी। इसके संस्थापक 'आक्टेवियन ह्यूम' और प्रथम अध्यक्ष [[व्योमेश चन्द्र बनर्जी]] बनाये गए थे। 'भारतीय राष्ट्रीय संघ' (कांग्रेस की पूर्वगामी संस्था) की स्थापना का विचार सर्वप्रथम [[लॉर्ड डफ़रिन]] के दिमाग में आया था। [[कांग्रेस]] के प्रथम अधिवेशन में [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] ने हिस्सा नहीं लिया। [[1916]] ई. में [[लाला लाजपत राय]] ने 'यंग इण्डिया' में एक लेख में लिखा- "कांग्रेस लॉर्ड डफ़रिन के दिमाग की उपज है।" [[भारत]] की आज़ादी से पूर्व [[1941]] तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमों में विभाजित हो गई, जिसमें एक खेमे के समर्थक [[बाल गंगाधर तिलक]] और दुसरे खेमे में [[मोतीलाल नेहरू]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] | ||
{'असम गण परिषद दल' किस राज्य विशेष से सम्बन्धित है? | {'असम गण परिषद दल' किस राज्य विशेष से सम्बन्धित है? |
10:56, 19 अगस्त 2013 का अवतरण
राजनीति सामान्य ज्ञान
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