"साँचा:एक व्यक्तित्व": अवतरणों में अंतर

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         '''[[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]]''' [[हिन्दी साहित्य]] के आकाश के परम नक्षत्र, [[भक्तिकाल]] की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ कवि, भक्त तथा समाज सुधारक तीनों रूपों में मान्य है। [[राम|श्रीराम]] को समर्पित विश्वविख्यात ग्रन्थ [[रामचरितमानस|श्रीरामचरितमानस]] को समस्त [[उत्तर भारत]] में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। अपनी पत्नी 'रत्नावली' से अत्याधिक प्रेम के कारण तुलसीदास को रत्नावली की फटकार "लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ" सुननी पड़ी जिससे इनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। [[तुलसीदास|... और पढ़ें]]
         '''[[देवकीनन्दन खत्री]]''' [[हिन्दी]] के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने '[[चन्द्रकान्ता (उपन्यास)|चन्द्रकान्ता ]]', '[[चंद्रकांता संतति]]', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और '[[भूतनाथ -देवकीनन्दन खत्री|भूतनाथ]]' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनन्दन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। [[देवकीनन्दन खत्री|... और पढ़ें]]
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| [[स्वामी विवेकानन्द]] ·
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14:47, 7 नवम्बर 2013 का अवतरण

एक व्यक्तित्व

        देवकीनन्दन खत्री हिन्दी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने 'चन्द्रकान्ता ', 'चंद्रकांता संतति', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और 'भूतनाथ' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनन्दन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। ... और पढ़ें


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