"विश्व मानवाधिकार दिवस": अवतरणों में अंतर

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==शुरुआत==
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10 दिसम्बर, 1948 को 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवाधिकार व मानव की बुनियादी मुक्ति पर घोषणा की थी। [[वर्ष]] [[1950]] में 'संयुक्त राष्ट्र' ने हर वर्ष की 10 दिसम्बर की [[तिथि]] को 'विश्व मानवाधिकार दिवस' तय किया। 65 वर्ष से पहले हुआ पारित 'विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र' एक मील का पत्थर है, जिसने समृद्धि, प्रतिष्ठा व शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के प्रति मानव की आकांक्षा प्रतिबिंबित की है। आज यही घोषणा पत्र 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का एक बुनियादी भाग है।<ref>{{cite web |url=http://iascharisma.blogspot.in/2012/12/blog-post_10.html |title=विश्व मानवाधिकार दिवस|accessmonthday=10 दिसम्बर|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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====क्या है 'मानव अधिकार'====
किसी भी इंसान की जिंदगी, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है- "मानवाधिकार"। '[[भारतीय संविधान]]' इस अधिकार की न सिर्F गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है। [[भारत]] में [[28 सितंबर]], [[1993]] से मानव अधिकार क़ानून अमल में आया। [[12 अक्टूबर]], [[1993]] में सरकार ने 'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग' का गठन किया। आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं, जैसे- बाल मजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, [[बाल विवाह]], महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार आदि।<ref>{{cite web |url=http://aajtak.intoday.in/story/international-human-rights-day-today-1-715588.html |title=क्या है मानव अधिकार|accessmonthday=10 दिसम्बर|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
'विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र' का मुख्य विषय शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगारी, आवास, [[संस्कृति]] , खाद्यान्न व मनोरंजन से जुड़ी मानव की बुनयादी मांगों से संबंधित है। विश्व के बहुत से क्षेत्र गरीबी से पीड़ित है, जो बड़ी संख्या वाले लोगों के प्रति बुनियादी मानवाधिकार प्राप्त करने की सबसे बड़ी बाधा है। उन क्षेत्रों में बच्चे, वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं के बुनियादी हितों को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। इस के अलावा नस्लवाद व नस्लवाद भेद मानवाधिकार कार्य के विकास को बड़ी चुनौती दे रहा है।


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12:26, 10 दिसम्बर 2013 का अवतरण

विश्व मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। इस महत्त्वपूर्ण दिवस की नींव विश्व युद्ध की विभीषिका से झुलस रहे लोगों के दर्द को समझ कर और उसको महसूस कर रखी गई थी। 'संयुक्त राष्ट्र संघ' की महासभा ने 10 दिसम्बर, 1948 को सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र को अधिकारिक मान्यता प्रदान की थी। तब से यह दिन इसी नाम से याद किया जाने लगा। किसी भी इंसान की जिंदगी, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है- "मानवाधिकार"। 'भारतीय संविधान' इस अधिकार की न सिर्फ़ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सज़ा देती है।

शुरुआत

10 दिसम्बर, 1948 को 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' ने विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी कर प्रथम बार मानवाधिकार व मानव की बुनियादी मुक्ति पर घोषणा की थी। वर्ष 1950 में 'संयुक्त राष्ट्र' ने हर वर्ष की 10 दिसम्बर की तिथि को 'विश्व मानवाधिकार दिवस' तय किया। 65 वर्ष से पहले हुआ पारित 'विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र' एक मील का पत्थर है, जिसने समृद्धि, प्रतिष्ठा व शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के प्रति मानव की आकांक्षा प्रतिबिंबित की है। आज यही घोषणा पत्र 'संयुक्त राष्ट्र संघ' का एक बुनियादी भाग है।[1]

क्या है 'मानव अधिकार'

किसी भी इंसान की जिंदगी, आज़ादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है- "मानवाधिकार"। 'भारतीय संविधान' इस अधिकार की न सिर्F गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है। भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार क़ानून अमल में आया। 12 अक्टूबर, 1993 में सरकार ने 'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग' का गठन किया। आयोग के कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं, जैसे- बाल मजदूरी, एचआईवी/एड्स, स्वास्थ्य, भोजन, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार आदि।[2]

'विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र' का मुख्य विषय शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगारी, आवास, संस्कृति , खाद्यान्न व मनोरंजन से जुड़ी मानव की बुनयादी मांगों से संबंधित है। विश्व के बहुत से क्षेत्र गरीबी से पीड़ित है, जो बड़ी संख्या वाले लोगों के प्रति बुनियादी मानवाधिकार प्राप्त करने की सबसे बड़ी बाधा है। उन क्षेत्रों में बच्चे, वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं के बुनियादी हितों को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। इस के अलावा नस्लवाद व नस्लवाद भेद मानवाधिकार कार्य के विकास को बड़ी चुनौती दे रहा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विश्व मानवाधिकार दिवस (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 दिसम्बर, 2013।
  2. क्या है मानव अधिकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 10 दिसम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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