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| [[चित्र:Swami Vivekanand.jpg|thumb|200px|[[स्वामी विवेकानन्द]]]]
| | #REDIRECT [[रामकृष्ण शारदा आंदोलन]] |
| '''रामकृष्ण सारदा आंदोलन''' [[रामकृष्ण परमहंस]], उनकी साध्वी पत्नी सारदा देवी और [[स्वामी विवेकानन्द]] द्वारा कुछ समर्पित और शिक्षित महिलाओं के साथ छोटे पैमाने पर शुरू किया गया आंदोलन था, जिसे [[सिस्टर निवेदिता]] का सहयोग प्राप्त था, जो विवेकानंद की अमेरिकी शिष्या थीं और जिनका मूल नाम 'माग्रेट नोबल' था। यह आंदोलन स्वामी विवेकानंद की उस भविष्यवाणी का साकार रूप था कि "एक ऐसा समय आएगा, जब दुनिया भर की स्त्रियां मानवता के आध्यात्मिक विकास में अपना सहयोग देने के लिए स्वेच्छा से उठ खड़ी होंगी।"
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| ==शुरुआत==
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| 1849 ई. में [[स्वामी विवेकानन्द]] इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि सांसारिक उत्कृष्टता और आध्यात्मिक बोध सुनिश्चित करने के लिए [[भारत]] की महिलाओं को शिक्षित करना होगा। भारतीय स्त्रियों के जागरण के प्रतीकस्वरूप [[सिस्टर निवेदिता]] ने 'रामकृष्ण सारदा मिशन सिस्टर निवेदिता बालिका विद्यालय' की स्थापना की। [[13 नवंबर]], [[1898]] को [[काली]] पूजा के अवसर पर पूज्य माता श्री सारदा देवी ने निवेदिता के विद्यालय का उद्घाटन किया। अगले दिन से विद्यालय मुट्ठी भर छात्राओं के साथ शुरू हो गया और धीरे-धीरे इसने अभिभावकों के आरंभिक विरोध तथा हिचक को समाप्त कर दिया।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=84|url=}}</ref>
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| ====विवेकानन्द का विचार====
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| सन [[1901]] में विवेकानन्द ने स्त्रियों के आश्रम के विचार का प्रतिपादन किया, जिसके लिए उन्होंने 'मठ' शब्द का प्रयोग किया- "पूज्य माता को प्रेरणा का केंद्र बनाकर [[गंगा]] के पूर्वी तट पर एक मठ स्थापित किया जाएगा। वहां ब्रह्मचारिणियों और साध्वियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कालक्रम में ये कुमारी तपस्विनियां मठ में शिक्षिका और प्रशिक्षक बनेंगी। ये [[ग्राम|ग्रामों]] और शहरों में केंद्र खोलकर स्त्री शिक्षा के प्रसार का प्रयास करेंगी। विवेकानन्द की मृत्यु के बाद सिस्टर निवेदिता ने उनका सपना साकार करने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।
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| ==मातृमंदिर की नींव==
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| [[सिस्टर निवेदिता]] की मृत्यु वर्ष [[1911]] में हो गई, लेकिन सारदा देवी द्वारा दीक्षित अन्य समर्पित स्त्रियों ने आंदोलन के प्रति अपना समर्थन जारी रखा। [[1914]] में 'मातृमंदिर' की नींव रखी गई। स्त्रियों का आश्रम स्थापित करने के [[स्वामी विवेकानन्द|विवेकानन्द]] के सपने को साकार करने की दिशा में यह पहला क़दम था, लेकिन [[27 दिसंबर]], [[1953]] को ही सात समर्पित महिला कार्यकर्ताओं को रामकृष्ण मठ और मिशन के तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी शंकरानंद द्वारा ब्रह्मचर्य की दीक्षा प्रदान की जा सकी। श्री सारदा मठ का औपचारिक उद्घाटन [[1954]] में हुआ। स्वामी विवेकानन्द द्वारा बताये गए [[गंगा नदी]] के पूर्वी किनारे पर स्थित खंड को [[1957]] में प्राप्त किया गया।<ref name="aa"/>
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| ==योगदान==
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| रामकृष्ण सारदा मिशन और मठ में महिलाओं और बच्चों के लिए विद्यालय तथा प्रशिक्षण केंद्र, शिशुगृह, अनाथालय, झोपड़पट्टी के बच्चों के लिए अनौपचारिक विद्यालय व चिकित्सालय हैं। इन केंद्रों पर राहत कार्यों का आयोजन किया जाता है और [[दर्शन]] तथा [[धर्म]] की कक्षाओं का भी संचालन होता है। 20वीं [[शताब्दी]] के अंत तक सारदा मठ के [[भारत]] में 12 और [[ऑस्ट्रेलिया]] में एक केंद्र था।
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| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| [[Category:स्वामी विवेकानन्द]][[Category:आधुनिक काल]][[Category:इतिहास कोश]]
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