"सदस्य:आकाश महेशपुरी": अवतरणों में अंतर

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अपने भी रूठे रूठे से
अपने भी रूठे रूठे से


जबसे माँग हुई है खाली
जबसे माँग हुई है ख़ाली


लोगोँ की बजती है ताली
लोगोँ की बजती है ताली

14:43, 1 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

गीत

देख हमारा हाल नहीँ यूँ

गरज गरज के बात करो

दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो

बादल ना उत्पात करो

किस नगरी से आये हो तुम

आँखोँ मेँ भी छाये हो तुम

आये हो तुम नीर बहाने

या दुखिया की पीर बढ़ाने

पानी ही पानी लाये हो

ऐसे ना आघात करो-

दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो

बादल ना उत्पात करो

साजन मेरे दूर गये हैँ

हो कर के मजबूर गये हैँ

तुम आये हो विरह जगाने

इक विधवा को और सताने

साजन से जाकर मिल जाऊँ

या ऐसे हालात करो-

दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो

बादल ना उत्पात करो

सपने थे झूठे झूठे से

अपने भी रूठे रूठे से

जबसे माँग हुई है ख़ाली

लोगोँ की बजती है ताली

बहुत उजाले से डरती हूँ

अब अंधेरी रात करो-

दुखिया के कुछ दुख भी सुन लो

बादल ना उत्पात करो

गीत - आकाश महेशपुरी . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी

ग्राम- महेशपुर

पोस्ट- कुबेरस्थान

जनपद- कुशीनगर

उत्तर प्रदेश

09919080399