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(''''गोपीचन्द भार्गव''' (अंग्रेज़ी: ''Gopi Chand Bhargava''; जन्म- [[8 मार...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
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'''गोपीचन्द भार्गव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Gopi Chand Bhargava''; जन्म- [[8 मार्च]], [[1889]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[26 दिसम्बर]], [[1966]]) संयुक्त पंजाब के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। वे 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष, गाँधीवादी नेता तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका सम्पूर्ण जीवन एक प्रेरणा स्त्रोत था। गोपीचन्द भार्गव के जीवन का मुख्य उद्देश्य समाज की सेवा था और वे आजीवन इसी कार्य में तत्पर रहे। उन्होंने [[महात्मा गाँधी]] के साथ देश की आज़ादी की लड़ाई भी लड़ी।
#REDIRECT [[गोपी चन्द भार्गव]]
 
*गोपीचन्द भार्गव का जन्म 8 मार्च, 1889 को तत्कालीन [[पंजाब]] के [[हिसार ज़िला|हिसार ज़िले]]<ref>अब [[हरियाणा]] का एक ज़िला</ref> में हुआ था।
*उन्होंने 'लाहौर मेडिकल कॉलेज' से एम.बी.बी.एस. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद [[1913]] ई. से चिकित्सा कार्य प्रारम्भ किया था, लेकिन [[1919]] में [[जलियाँवाला बाग़]] हत्याकाण्ड की घटना के कारण वे राजनीति में आ गए।
*[[लाला लाजपत राय]], [[मदन मोहन मालवीय|पंडित मदन मोहन मालवीय]] आदि के विचारों से गोपीचन्द भार्गव बहुत प्रभावित थे। सबसे अधिक उन्हें [[महात्मा गाँधी]] ने प्रभावित किया था।
*डॉ. गोपीचन्द भार्गव ने प्रत्येक आंदोलन में भाग लिया और [[1921]], [[1923]], [[1930]], [[1940]] और [[1942]] में जेल की सज़ाएँ भोगीं।
*अपनी निष्ठा और देशभक्ति के कारण डॉ. भार्गव का बड़ा सम्मान था। वे उदार दृष्टिकोण के व्यक्ति थे। जातिवाद पर उनका विश्वास नहीं था। महिलाओं की समानता के वे पक्षपाती थे।
*[[कांग्रेस|कांग्रेस संगठन]] में वे अनेक पदों पर रहे। [[1946]] में गोपीचन्द भार्गव [[पंजाब]] विधान सभा के सदस्य चुने गए।
*[[भारत]] की आज़ादी और फिर विभाजन के बाद [[सरदार पटेल]] के अनुरोध पर उन्होंने सयुंक्त पंजाब के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] का पद स्वीकार कर जनता की सेवा का प्रण लेते हुए निभाया।
*गोपीचन्द भार्गव [[15 अगस्त]], [[1947]] से [[13 अप्रैल]], [[1949]] तक संयुक्त पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री रहे।
*डॉ. भार्गव 'गाँधी स्मारक निधि' के प्रथम अध्यक्ष भी रहे थे।
*उन्होंने [[महात्मा गाँधी|गाँधी जी]] की रचनात्मक प्रवृत्तियों को आगे बढ़ाने के लिये कई कदम उठाए। विभाजन से उत्पन्न उत्तेजना और कटुता के बीच प्रशासन को उचित दिशा की ओर ले जाने में उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
*[[26 दिसम्बर]], [[1966]] ई. को डॉ. गोपीचन्द भार्गव का निधन हुआ।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
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