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| मधुकैटभ असुरों के पूर्वज पुराणप्रसिद्ध राक्षसद्वय। इनकी उत्पत्ति कल्पांत तक सोते हुए विष्णु के कानों की मैल (महा., शांति, 355/22; दे. भा. 1-4) अथवा पसीने (विष्णु धर्म. 1-15) या क्रमश: रजोगुण और तमोगुण (महा. शांति., 355/22; पद्म. सृ., 40) से हुई थी।
| | #REDIRECT [[मधु कैटभ]] |
| *जब ये ब्रह्मा को मारने दौड़े तो विष्णु ने इनका वध कर दिया। तभी से विष्णु मधुसूदन और कैटभजित् कहलाए।
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| *मार्कंडेय पुराण के अनुसार उमा ने कैटभ को मारा था जिससे वे कैटभा कहलाईं। [[महाभारत]] और [[हरिवंश पुराण]] का मत है कि इन असुरों के मेदा के ढेर के कारण पृथ्वी का नाम मेदिनी पड़ा था। पद्मपुराण के अनुसार देवासुर संग्राम में ये हिरण्याक्ष की ओर थे। <ref name="aa">{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%AE%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%88%E0%A4%9F%E0%A4%AD|title=मधुकैटभ |accessmonthday= 12 सितम्बर |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिंदी }}</ref>
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| [{{पौराणिक चरित्र}}
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| [[Category:पौराणिक कोश]][[Category:महाभारत]][[Category:प्राचीन महाकाव्य]][[Category:महाकाव्य]][[Category:पद्य साहित्य]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:हिन्दू धर्म ग्रंथ]]
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