"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर
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|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय | |+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|भारतकोश सम्पादकीय <small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font> | ||
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<center>[[भारतकोश सम्पादकीय | <center>[[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|ये तेरा घर ये मेरा घर]]</center> | ||
[[चित्र: | [[चित्र:Kapoor-Family-01.jpg|right|120px|link=भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015]] | ||
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जहाँ तक नारी विमर्श की बात है तो निश्चित रूप से गृहस्थ जीवन में संयुक्त परिवार एक गृहणी के लिए बंधनों से भरे रहे होंगे। नारी स्वतंत्रता जैसी स्थिति इन परिवारों में कितनी संभावना लेकर जीवित रहती होगी यह कहना कोई कठिन काम नहीं है। संयुक्त परिवार की व्यवस्था भारत के एक-आध राज्य को छोड़कर सामान्यत: पुरुष प्रधान थी। संयुक्त परिवार, एक परिवार न होकर एक कुटुंब होता था। जिसका मुखिया अपने या परंपराओं द्वारा निष्पादित नियमों को कुटुंब के सभी सदस्यों पर लागू करता था। … [[भारतकोश सम्पादकीय 5 अक्टूबर 2015|पूरा पढ़ें]] | |||
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14:06, 5 अक्टूबर 2015 का अवतरण
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