"समुझि सुमित्राँ राम": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता भाटिया (वार्ता | योगदान) No edit summary |
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 30: | पंक्ति 30: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
;श्रीलक्ष्मण-सुमित्रा-संवाद | |||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> |
10:08, 13 जुलाई 2016 का अवतरण
समुझि सुमित्राँ राम
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
- श्रीलक्ष्मण-सुमित्रा-संवाद
समुझि सुमित्राँ राम सिय रूपु सुसीलु सुभाउ। |
- भावार्थ
सुमित्राजी ने श्री रामजी और श्री सीताजी के रूप, सुंदर शील और स्वभाव को समझकर और उन पर राजा का प्रेम देखकर अपना सिर धुना (पीटा) और कहा कि पापिनी कैकेयी ने बुरी तरह घात लगाया॥73॥
![]() |
समुझि सुमित्राँ राम | ![]() |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख